यमन: हिंसा में आई तेज़ी से बदतर हुए हालात, समाधान की सम्भावनाओं को पहुँची ठेस

यमन के लिये संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत हन्स ग्रुण्डबर्ग ने हाल के दिनों में सैन्य गतिविधियों में आई तेज़ी की निन्दा करते हुए, सभी युद्धरत पक्षों से तत्काल हिंसा से पीछे हटने का आग्रह किया है. उन्होंने मौजूदा हालात को आम नागरिकों के लिये बेहद ख़राब क़रार देते हुए मानवाधिकार हनन के मामलों पर चिन्ता जताई है.
मंगलवार को विशेष दूत की ओर से जारी एक वक्तव्य के अनुसार, राजधानी सना में हवाई कार्रवाई में, आम लोगों की जान गई है और असैन्य प्रतिष्ठानों व रिहाइयी इलाक़ों को नुक़सान पहुँचा है.
UN Envoy Grundberg denounced the military escalation in #Yemen & called on the parties to immediately de-escalate& respect intl law &to engage with UN efforts to enable a political process to sustainably end the conflict &address urgent humanitarian needs: https://t.co/hAQax5jvIU
OSE_Yemen
मारिब गवर्नरेट में भी हमला जारी है, जिसके कारण सितम्बर महीने से अब तक, 35 हज़ार लोगों को अपना घर छोड़कर, सुरक्षित स्थान में शरण लेनी पड़ी है.
इस गवर्नरेट पर निर्बाध मिसाइल हमले जारी हैं, जिनमें आम लोग हताहत हुए हैं, नागरिक प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुँचा है और सामूहिक स्तर पर विस्थापन हुआ है.
विशेष दूत ग्रुण्डबर्ग ने सऊदी अरब के विरुद्ध किये जा रहे निरन्तर हमलों पर भी चिन्ता जताई, जिसमें आम लोग हताहत हुए हैं और बुनियादी ढाँचों को क्षति हुई है.
“आम लोगों और नागरिक प्रतिष्ठानों को किसी भी प्रकार से निशाना बनाया जाना, और किसी पक्ष द्वारा अंधाधुंध हमले किये जाना, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का खुला उल्लंघन है और इसे तत्काल रोकना होगा.”
विशेष दूत ग्रुण्डबर्ग के मुताबिक़, हिंसा तेज़ होने से, यमन संकट के एक टिकाऊ राजनैतिक समाधान की सम्भावनाएँ कमज़ोर हुई हैं.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार क़ानूनों का उल्लंघन, दण्डमुक्ति की भावना के साथ जारी नहीं रह सकता.
विशेष दूत ने क्षोभ जताया कि देश में पहले से ही बदतर हालात हैं, और वर्ष 2021 यमनी जनता के लिये एक बेहद त्रासदीपूर्ण पड़ाव पर समाप्त हो रहा है.
लाखों लोग निर्धनता, भरपेट भोजन ना मिल पाने और आवाजाही की आज़ादी पर गम्भीर पाबन्दियों से पीड़ित हैं.
हन्स ग्रुण्डबर्ग ने संयुक्त राष्ट्र की अपील दोहराते हुए सना हवाई अड्डे को खोले जाने और विभिन्न गवर्नरेट के बीच आमजन की आवाजाही पर लगाई गई रोक हटाने की माँग की है.
उन्होंने भरोसा दिलाया कि वह सभी पक्षों के साथ मिलकर, तत्काल समाधान ढूँढने, तात्कालिक मानवीय
आवश्यकताओं को पूरा करने और एक राजनैतिक प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिये तैयार हैं.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) और यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सना में पिछले महीने हिरासत में लिये गए दो कर्मचारियों के सम्बन्ध में चिन्ता जताई है.
अपने एक वक्तव्य में यूनेस्को महानिदेशक ऑड्री अज़ूले और मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने पुष्टि की है कि हिरासत में लिये जाने के बाद से, दोनों कर्मचारियों के साथ कोई सम्पर्क नहीं हो पाया है.
यूएन एजेंसियों के कर्मचारियों को हिरासत में लिये जाने के बावजूद, संगठनों को ना तो हिरासत में लिये जाने की वजह के बारे में जानकारी दी गई है, और ना ही बताया गया है कि उन्हें किन हालात में रखा गया है.
यूएन कर्मचारियों की तत्काल रिहाई के सम्बन्ध में, अंसार अल्लाह गुट (हूती लड़ाकों) की ओर से मिले आश्वासन के बावजूद, हालात जस के तस हैं.
यूएन एजेंसियों ने ध्यान दिलाया है कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, यूएन कर्मचारियों को अपने दायित्व व आधिकारिक कार्यों के निर्वहन के लिये विशेषाधिकार प्राप्त हैं.
इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसियों की शीर्ष अधिकारियों ने दोनों कर्मचारियों को तत्काल रिहा किये की पुकार लगाई है.