संक्रामक बीमारियाँ हैं विश्वव्यापी ख़तरा, रोकथाम के लिये पुख़्ता तैयारियों पर बल
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वैश्विक महामारी ध्यान दिलाती है कि दुनिया स्थानीय स्तर पर फैलने वाली बीमारियों के सीमाओं से परे जाकर फैलने और उन्हें विश्वव्यापी महामारियों के रूप में उभरने से रोकने के लिये तैयार नहीं है.
यूएन प्रमुख ने 27 दिसम्बर को, ‘महामारियों पर तैयारियों के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ (International Day of Epidemic Preparedness) के लिये जारी अपने सन्देश में आगाह किया कि कोविड-19 ने दर्शाया है कि एक संक्रामक बीमारी कितनी तेज़ी से, दुनिया भर को अपनी चपेट में ले सकती है.
"An outbreak anywhere is a potential pandemic everywhere."-- @antonioguterres stressed the need for global solidarity to prevent future health crises on Monday's International Day of Epidemic Preparedness. https://t.co/bRoA19OJlG pic.twitter.com/x1gLRjnvkL
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उनके मुताबिक़, ये स्वास्थ्य चुनौतियाँ स्वास्थ्य प्रणालियों को ध्वस्त होने के कगार पर धकेल सकती हैं और सम्पूर्ण मानवता के लिये रोज़मर्रा के जीवन में उथलपुथल मचा सकती हैं.
कोविड-19 महामारी की गम्भीरता के मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महामारियों की रोकथाम, तैयारियों और उनसे निपटने के लिये साझेदारियों की पुकार लगाते हुए, पिछले वर्ष 7 दिसम्बर को एक प्रस्ताव पारित किया.
इसके बाद महामारियों से निपटने की तैयारियों के इरादे से, पहला अन्तरराष्ट्रीय दिवस 27 दिसम्बर 2020 को मनाया गया.
गम्भीर असर
संक्रामक बीमारियों व महामारियों से मानव जीवन पर विनाशकारी असर, और दीर्घकालीन सामाजिक व आर्थिक विकास प्रभावित होता है.
वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से पहले से ही चरमरा रही स्वास्थ्य प्रणालियों के ध्वस्त होने का ख़तरा बढ़ जाता है, वैश्विक सप्लाई चेन में व्यवधान आता है और लोगों की आजीविकाओं पर विषमतापूर्ण असर होता है.
इससे महिलाओं व बच्चों समेत सर्वाधिक निर्बल समुदायों और सबसे निर्धन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ बुरी तरह प्रभावित होती हैं.
महासचिव के मुताबिक़ वैश्विक महामारी ने ध्यान दिलाया है कि स्थानीय स्तर पर फैलने वाली बीमारियों के सीमाओं से परे जाकर फैलने और उन्हें विश्वव्यापी महामारियों के तौर पर उभरने से रोकने के लिये, दुनिया अभी तैयार नहीं है.
“इसने हाल की कुछ स्वास्थ्य आपात इमरजेन्सी, जैसेकि सार्स, एवियन इन्फ़ुलएन्ज़ा, ज़ीका, इबोला और अन्य से प्राप्त हुए सबक़ को सीखने में हमारी विफलता को भी उजागर किया.”
महासचिव ने सचेत किया कि, “कोविड-19 मानवता के सामने आने वाली अन्तिम महामारी नहीं होगी.”
“संक्रामक बीमारियाँ, हर देश में एक स्पष्ट और मौजूद ख़तरा बनी हुई हैं.”
उन्होंने कहा कि इस स्वास्थ्य संकट से निपटते समय, विश्व को अगले के लिये भी तैयार रहने की आवश्यकता है.
अहम उपाय
महासचिव ने कहा कि इसका अर्थ है: बेहतर निगरानी व्यवस्था में, जल्द पता लगाने, और हर देश में त्वरित जवाबी कार्रवाई के लिये निवेश का स्तर बढ़ाना. विशेष रूप से सर्वाधिक निर्बलों के लिये.
“इसका अर्थ है स्थानीय स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करना, ताकि उसे ध्वस्त होने से बचाया जा सके.”
“इसका अर्थ है सर्वजन के लिये जीवनरक्षक उपायों, जैसेकि वैक्सीन की न्यायोचित सुलभता सुनिश्चित करना.”
साथ ही, उन्होंने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को साकार करने पर भी बल दिया है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने आगाह किया कि कहीं भी एक बीमारी का फैलाव, हर स्थान पर वैश्विक महामारी फैलने की आशंका हो सकती है.
इसके मद्देनज़र, वैश्विक एकजुटता का निर्माण सबसे अहम है, ताकि हर देश मे संक्रामक बीमारियों को शुरुआत में ही उभरने से रोका जा सके.
