अफ़ग़ानिस्तान: मानवीय संकट गहराने से रोकने के लिये तत्काल कार्रवाई की माँग

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान में ज़रूरतमन्दों तक मानवीय राहत पहुँचाने का मार्ग स्पष्ट करने के लिये, हरसम्भव उपाय किये जाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि सर्दी के मौसम के दौरान, मानवीय आपदा के गहराने का ख़तरा है और इसकी रोकथाम करनी होगी.
यूएन के विशेष रैपोर्टेयर के समूह की ओर से, यह अपील संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव 2615 के पारित होने के एक दिन के बाद, गुरूवार को जारी की गई है.
🇦🇫 #Afghanistan: UN experts call on the international community to take urgent steps to clear the way for humanitarian aid in Afghanistan and prevent an impending #humanitarian catastrophe there: https://t.co/w9oadcWDjv pic.twitter.com/0SI0ZdOypB
UN_SPExperts
तालिबान पर वर्ष 2015 में प्रतिबन्ध लगाये गए थे, मगर बुधवार को सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव में, इन पाबन्दियों में मानवीय सहायता और बुनियादी ज़रूरत सम्बन्धी अन्य गतिविधियों के लिये, छूट का प्रावधान किया गया है.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि मौजूदा प्रतिबन्धों के कारण, उन बुनियादी ढाँचों के संचालन में रुकावटें पेश आ रही हैं, जोकि स्थानीय आबादी की आवश्यकताएँ पूरा करने के लिये अहम हैं.
साथ ही, संकट की पृष्ठभूमि में ज़रूरतों का दायरा व स्तर बढ़ने के बावजूद, इस व्यवस्था से अफ़ग़ान नागरिकों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचा पाना मुश्किल हुआ है.
पिछले कुछ हफ़्तों में, ईंधन, विद्युत व्यवस्था समेत अन्य बुनियादी सेवाओं के लिये धनराशि ख़त्म हो गई है, जिसके कारण, अफ़ग़ान नागरिकों के लिये अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित हुई हैं.
बिजली की क़िल्लत के कारण स्वास्थ्य केंद्रों में, स्वच्छ जल सहित बुनियादी सेवाओं के संचालन में भी मुश्किलें आ रही हैं.
मौजूदा संकट के कारण, इण्टरनेट और ऑनलाइन संसाधनों की उपलब्धता व सुलभता प्रभावित हुई है, जिससे सम्बद्ध मानवाधिकार प्रभावित हुए हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि इन हालात में महिलाएँ, विशेष रूप से प्रभावित हुई हैं, चूँकि घर से बाहर महिलाओं के जाने पर पाबन्दी होने के कारण, उनकी स्वतंत्र रूप से कमाई की क्षमता प्रभावित हुई है.
यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और राष्ट्रीय बैन्कों ने प्रतिबन्धों के अनुपालन को सुनिश्चित किया है, जिससे अफ़ग़ानिस्तान में नक़दी की समस्या खड़ी हो गई है और मुद्रा की क़िल्लत भी महसूस की गई है.
इसके परिणामस्वरूप, औपचारिक व अनौपचारिक अर्थव्यवस्थाओं पर गम्भीर और नकारात्मक असर पड़ा है. अफ़ग़ानिस्तान में यह विशेष रूप से चिन्ताजनक है, चूँकि कुल सार्वजनिक व्यय का 75 फ़ीसदी सहायता धनराशि पर निर्भर है.
स्वतंत्र विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि मानवीय राहत के लिये छूट के प्रावधानों को सरल व कारगर बनाना होगा.
“मानवीय राहतकर्मियों की प्रभावित आबादी तक पहुँच और उनकी सुरक्षा के लिये सभी उपायों को सुनिश्चित किया जाना होगा.”
उन्होंने कहा कि कुछ प्रान्तों में मानवीय राहत पहुँचाये जाने के प्रयासों में अफ़ग़ान महिला कर्मचारियों की महिला भागीदारी पर पाबन्दी लगाई गई है, जिसे हटाया जाना होगा.
इस वक्तव्य को जारी करने वाले मानवाधिकार विशेषज्ञों की सूची यहाँ देखी जा सकती है.
सभी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, जिनीवा में यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं, और वो अपनी निजी हैसियत में, स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं.
ये मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.