कोविड-19: ताबड़तोड़ बूस्टर टीके लगाने से, 'वैक्सीन विषमता गहराने का ख़तरा'
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने आगाह किया है कि कोविड-19 से बचाव के लिये अन्धाधुन्ध तरीक़े से, वैक्सीन के अतिरिक्त टीके (Booster dose) लगाने के कार्यक्रमों से वैश्विक महामारी के लम्बा खिंच जाने और विश्व में वैक्सीन विषमता गहराने की आशंका है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोई भी देश बूस्टर टीकों के ज़रिये, वैश्विक महामारी से बाहर नहीं आ सकता है.
Full speech of @DrTedros' opening remarks at the media briefing on #COVID19 - 22.12.2021https://t.co/Jt3hddAWKg
WHO
यूएन एजेंसी प्रमुख की इस वर्ष के लिये यह अन्तिम पत्रकार वार्ता थी.
“और अन्य सतर्कता उपायों की ज़रूरत के बिना, बूस्टर टीकों को, उत्सवों की योजनाओं के साथ आगे बढ़ने के टिकट के रूप में नहीं देखा जा सकता.”
प्रतिरक्षण पर विशेषज्ञों के रणनैतिक सलाहकार समूह (SAGE) ने बुधवार को, अतिरिक्त ख़ुराकों के सम्बन्ध में अन्तरिम दिशानिर्देश जारी किये हैं.
समूह ने चिन्ता जताई है कि कुछ देशों में सामूहिक रूप से, बूस्टर ख़ुराक दिये जाने की क्षमता है, मगर ऐसा होने से टीकाकरण में पहले से पसरी वैक्सीन विषमता और गहरी हो जाएगी.
फ़िलहाल, सभी वैक्सीन ख़ुराकों का क़रीब 20 फ़ीसदी, बूस्टर या अतिरिक्त ख़ुराकों के तौर पर दी जा रही हैं.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि ताबड़तोड़ बूस्टर कार्यक्रमों से महामारी का अन्त होने के बजाय, उसके लम्बा खिंच जाने की सम्भावना है.
इससे वैक्सीन आपूर्ति उन देशों में मुड़ जाएगी, जहाँ पहले से टीकाकरण कवरेज ऊँचे स्तर पर है, और वायरस को फैलने और अपना रूप व प्रकार बदलने का अवसर मिला जाएगा.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जल्द से जल्द सभी देशों में 40 प्रतिशत आबादी और वर्ष 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण को प्राथमिकता दी जानी होगी.
संगठन के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह याद रखना होगा कि अस्पताल में भर्ती होने या मौत होने का जोखिम उन लोगों के लिये है, जिनका अभी टीकाकरण नहीं हुआ है, ना कि बूस्टर ख़ुराक ना पाने वाले लोगों के लिये.
“और हमें बेहद स्पष्ट रहना होगा कि हमारे पास जो वैक्सीन हैं, वे डेल्टा और ओमिक्रॉन, दोनों वैरीएण्ट्स के लिये कारगर हैं.”
वैक्सीन विषमता का विरोध
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि कुछ देशों में अन्धाधुन्ध ढंग से वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराक दिये जाने के कार्यक्रम शुरू किये गए हैं – तीसरी, यहाँ तक कि चौथी ख़ुराक के लिये, जैसे कि इसराइल में हुआ है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों में से केवल आधी संख्या में ही देश, अपनी 40 फ़ीसदी आबादी का टीकाकरण में सफल हो पाए हैं.
इसकी वजह, वैश्विक आपूर्ति में व्याप्त विषमता बताई गई है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, वर्ष 2021 में पर्याप्त संख्या में टीके दिये गए, और यदि वैक्सीन टीके कोवैक्स पहल के तहत न्यायसंगत ढंग से वितरित किये गए होते, तो हर देश इस लक्ष्य को सितम्बर महीने में पूरा कर सकता था.
“हम उत्साहित हैं कि आपूर्ति बेहतर हो रही है. आज, कोवैक्स ने अपनी 80वीं करोड़ वैक्सीन ख़ुराक की खेप रवाना की है. इनमें से आधी ख़ुराकें पिछले तीन महीनों में भेजी गई हैं.”
उन्होंने देशों व विनिर्माताओं से कोवैक्स पहल को प्राथमकिता देने और एक साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया है, ताकि पीछे छूट गए देशों को सहारा दिया जा सके.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुमान दर्शाते हैं कि वर्ष 2022 की पहली तिमाही में पूरी दुनिया में वयस्क आबादी का टीकाकरण करने और उच्च-जोखिम वाली आबादी को अतिरिक्त ख़ुराक देने के लिये पर्याप्त वैक्सीन उपलब्धता है.
मगर, इसके बाद ही, सभी वयस्कों के लिये व्यापक पैमाने पर बूस्टर ख़ुराक का प्रबन्ध करना सम्भव हो सकता है.
कोरोनावायरस के कारण इस वर्ष 35 लाख लोगों की मौत हुई है और हर सप्ताह 50 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा रही है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया कि टीकों ने, निश्चित रूप से अनेक ज़िन्दगियाँ बचाई हैं, मगर विषमतापूर्ण वितरण की वजह से अनेक मौतें हुई हैं.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि नए साल में, इस वर्ष में मिले सबक़ ध्यान रखने होंगे, और वर्ष 2022 को कोविड-19 के अन्त का वर्ष बनाना होगा.