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दरकती व चुनौतियों भरी दुनिया में, शान्ति ही एकमात्र विकल्प - यूएन प्रमुख

शान्ति व समरसता को बढ़ावा देने के लिये, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, 'लैम्प ऑफ़ पीस' पुरस्कार से सम्मानित.
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शान्ति व समरसता को बढ़ावा देने के लिये, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, 'लैम्प ऑफ़ पीस' पुरस्कार से सम्मानित.

दरकती व चुनौतियों भरी दुनिया में, शान्ति ही एकमात्र विकल्प - यूएन प्रमुख

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश को, कैथॉलिक चर्च ने शनिवार को ‘लैम्प ऑफ़ पीस’ नामक पुरस्कार से सम्मानित किया है. यूएन प्रमुख ने कहा है कि यह पुरस्कार, दुनिया भर में शान्ति को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत, संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों का सम्मान है.  

‘लैम्प ऑफ़ पीस’ अवॉर्ड, लोगों व समुदायों के बीच शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व को साकार करने के प्रयासों में जुटे व्यक्तियों को दिया जाता है.

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि, 20वीं शताब्दी में, दूसरे विश्व युद्ध की विभीषका के बाद, संयुक्त राष्ट्र को शान्ति प्रसार के उद्देश्य से ही स्थापित किया गया था. 

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यूएन प्रमुख ने वीडियो लिंक से समारोह को सम्बोधित करते हुए बताया कि, “आज हम यहाँ, शान्ति के हमारे लक्ष्य के लिये एकजुट हैं.”

“शान्ति हमें दिशा दिखाने वाले तारे और सबसे मूल्यवान लक्ष्य के रूप में बरक़रार है.”

यह पुरस्कार, एक काँच से बने, तेल के लैम्प का प्रतिरूप है, जोकि अस्सीसी के सेण्ट फ्राँसिस की क़ब्र पर प्रकाशमान है. सेण्ट फ्राँसिस ने आजीवन पर्यावरणीय मुद्दों पर नैतिक आचरण के लिये लोगों को प्रेरित किया.

यह सम्मान, पहली बार वर्ष 1981 में दिया गया था, और इस पुरस्कार से अब तक पोप जॉन पॉल द्वितीय, दलाई लामा, सेण्ट टेरेसा और पूर्व सोवियत संघ के नेता मिख़ाइल गोर्बोचॉफ़ समेत अन्य हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है.

महासचिव गुटेरेश ने आभार प्रकट करते हुए कहा, “एक आस्थावान और सेण्ट फ्राँसिस के मिशन के लिये गहरा सम्मान व प्रशंसा भाव रखने वाले व्यक्ति के तौर पर, यह सम्मान व समारोह, विशेष रूप से अर्थपूर्ण हैं.”

शान्ति को बढ़ावा

संयुक्त राष्ट्र महाचसिव ने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत से ही, शान्ति को बढ़ावा देने के लिये प्रयासों को अपनी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल किया है. 

यूएन प्रमुख के तौर पर बागडोर सम्भालने से पहले, एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन शरणार्थी एजेंसी के मुखिया के तौर पर, हिंसक संघर्ष व टकरावों के बदतरीन प्रभावों को देखा है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने शान्ति के लिये कूटनीति को मज़बूती देने के प्रयास शुरू किये. 

“मैंने रोकथाम प्रयासों पर ज़्यादा बल देते हुए, जोखिमों के विश्लेषण, निर्णय-निर्धारण को मज़बूती और हिंसक घटनाओं के बढ़ने से पहले ही कार्रवाई के लिये, सदस्य देशों को समर्थन देने के इरादे से, ज़्यादा स्फूर्तिवान प्रणालियों व फ़्रेमवर्क स्थापित किये.”

“जब कोविड-19 ने जब पहली बार अपने पैर पसारे, तो मैं समझ गया था कि यह शान्ति के लिये एक नया ख़तरा होगा, और मैंने हमारे साझा शत्रु, वायरस, को हराने के लिये तत्काल वैश्विक युद्धविराम की अपील की.”

भविष्योन्मुख दृष्टि

शान्ति के सन्देशवाहक के तौर पर, यूएन प्रमुख ने अपने पद व कार्यालय के ज़रिये ईमानदार और मतभेदों को दूर कर, विश्वास के पुलों का निर्माण करने के प्रयास किये हैं.

मगर, उन्होंने माना कि मौजूदा दौर में, शान्ति के लिये संघर्ष एक बेहद कठिन ज़िम्मेदारी है, और वर्तमान हिंसक संघर्ष व टकराव जटिल और आपस में जुड़े हुए हैं.

“हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ शान्ति, पहुँच से दूर है और उस पर भीषण ख़तरा है.” 

महासचिव ने उन देशों व क्षेत्रों का उल्लेख किया, जोकि लम्बी अवधि से जारी टकरावों व हिंसक संघर्षों से जूझ रहे हैं, और जहाँ शान्ति को कमज़ोर बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि ऐसे क्षणों में, शान्ति का सम्मान करना, अपने दायित्वों पर चिन्तन करना, उन्हें बरक़रार रखना और बढ़ावा देना और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. 

यूएन प्रमुख के मुताबिक़, शान्ति, यथास्थितिवाद की निष्क्रिय स्वीकारोक्ति नहीं है, बल्कि एक ठोस कार्रवाई है और अनेक मर्तबा एक मुश्किल विकल्प भी है. 

उन्होंने कहा कि शान्ति, हमसे बहुत कुछ माँग करती है. “मगर, हमारी खण्डित व मुश्किलों भरी दुनिया में, यही एकमात्र रास्ता है.”

“यह हर दिन, हर देश में, संयुक्त राष्ट्र के कामकाज को आगे बढ़ाने व दिशा देने वाली ताक़त है.” 

महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि एकजुटता के साथ, शान्ति पथ पर आगे बढ़ कर ही, सर्वजन के लिये एक बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है.