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यूक्रेन में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर चिन्ता

यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में, 2014 में लड़ाई भड़कने के बाद से ही, दोनों तरफ़ शैक्षणिक स्थलों को भारी तबाही का सामना करना पड़ा है. (फ़ाइल फ़ोटो).
© UNICEF/Aleksey Filippov
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में, 2014 में लड़ाई भड़कने के बाद से ही, दोनों तरफ़ शैक्षणिक स्थलों को भारी तबाही का सामना करना पड़ा है. (फ़ाइल फ़ोटो).

यूक्रेन में मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति पर चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में बुधवार को, यूक्रेन में मानवाधिकार स्थिति पर ताज़ा जानकारी हासिल की गई जिस दौरान बताया गया है कि यूक्रेन के सरकार नियंत्रित इलाक़ों के साथ-साथ, पूर्व में, सम्पर्क रेखा के पार के इलाक़ों में बुनियादी स्वतंत्रताएँ सिमटी हैं. पूर्वी इलाक़ों में मुख्य रूप से रूस समर्थित अलगाववादियों का नियंत्रण है.

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उप उच्चायुक्त नदा अल नशीफ़ ने, मानवाधिकार परिषद को सम्बोधित करते हुए बताया कि इसी तरह के मानवाधिकार हनन मामले, क्राइमिया में भी दर्ज किये गए हैं जिस पर वर्ष 2014 से, अस्थाई रूप से रूसी महासंघ ने क़ब्ज़ा किया हुआ है.

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मानवाधिकार उप उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि यूएन मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने 29 ऐसी घटनाएँ दर्ज की हैं जिनमें सरकार या मुख्य धारा के विचारों की आलोचना करने वाले पत्रकारों, मीडिया पेशेवरों, ब्लॉग लिखने वालों और व्यक्तियों को निशाना बनाया गया है. ये घटनाएँ नवम्बर 2019 से अक्टूबर 2021 के बीच दर्ज की गईं.

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार पैरोकारों, मीडियाकर्मियों और कार्यकर्ताओं को मिलने वाली धमकियाँ और उन्हें हिंसा का निशाना बनाए जाने के बारे में किसी की जवाबदेही निर्धारित नहीं किया जाना, विशेष चिन्ता की बात है.

ये ऐसे लोग हैं जो ऑनलाइन मंचों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं या नीति-निर्माण प्रक्रिया में शिरकत करने की कोशिश करते हैं.

जिन लोगों को निशाना बनाया जाता है वो भ्रष्टाचार और कोविड-19 सम्बन्धी प्रतिबन्धों पर अमल किये जाने जैसे विषय कवर करते हैं.

मानवाधिकार उप उच्चायुक्त ने कहा कि दण्डमुक्ति से दीगर हमलों को बल मिलता है जिससे ऐसा माहौल बनता है जिसमें लोग अपने विचार व्यक्त करने से डरते हैं, नागरिक गतिविधियों का स्थान सिकुड़ता है और बहुलवाद भी सीमित होता है. 

ऐसी स्थितियों के कारण, सार्वजनिक मामलों में शिरकत, गतिविधियाँ और नागरिक सक्रियता हतोत्साहित होते हैं.

पूर्वी शत्रु

मानवाधिकार उप उच्चायुक्त नदा अल नशीफ़ ने देश के पूर्वी हिस्से का भी ज़िक्र किया जहाँ लूहान्स्क और दोनेत्स्क नामक दो स्वयंभू गणतंत्र क़ायम किये गए है. 

उन्होंने कहा कि जब से 2014 में सशस्त्र गुटों ने इन इलाक़ों पर नियंत्रण स्थापित किया है तब से वहाँ भी, मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रताओं पर गम्भीर पाबन्दियाँ दर्ज की गई हैं. 

इन पाबन्दियों के कारण मुक्त अभिव्यक्ति और स्वतंत्र सक्रियता के लिये स्थान घटा है. 

इन दोनों गणतंत्रों में नियंत्रण रखने वाले अधिकारों ने ऑनलाइन मंचों पर आलोचना को दबाने और सार्वजनिक मामलों में शिरकत को रोकने के लिये क़ानूनों में बदलाव किये हैं.

इन दोनों गणतंत्रों में अधिकारियों ने ऑनलाइन मंचों पर अपने विचार व्यक्त करने वालों और उन इलाक़ों में निर्णय प्रक्रिया की आलोचना करने वाली सार्वजनिक सभाओं में भाग लेने वालों को, मनमाने तरीक़े से  बन्दी बनाया है.

क्राइमिया प्रतिबन्ध

मानवाधिकार उप उच्चायुक्त ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर इसी तरह की पाबन्दियाँ, क्राइमिया में भी लगाई गई हैं, इनमें रूसी महासंघ की नीतियों के आलोचक विचारों को मुख्य रूप से निशाना बनाया गया है.

भिन्न मत या आलोचनात्मक विचार रखने वाले पत्रकारों की निगरानी की गई है, उन पर आपराधिक मुक़दमे दर्ज किये गए हैं, गिरफ़्तारियाँ हुई हैं, क्राइमिया में दाख़िल होने से रोका गया है और कुछ को क्राइमिया से बाहर निकाल दिया गया है.

इस स्थिति पर, परिषद के सदस्य देशों ने चिन्ता व्यक्त की है. योरोपीय प्रतिनिधिमण्डल ने यूक्रेन के तमाम इलाक़ों में हालात का जायज़ा लेने के लिये आवागमन आसान बनाने का आहवान किया है.

उधर बेलारूस ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि देश में बढ़ती निर्धनता के बीच, 40 लाख से लेकर एक करोड़ के बीच लोगों को अपने स्थान छोड़ने पड़े हैं.

ब्रिटेन ने, यूक्रेन की सीमाओं पर रूस की सैन्य मौजूदगी बढ़ने की ख़बरों के बीच, रूस से अपना ये धमकियों भरा और अस्थिरता वाला बर्ताव रोकने का आग्रह किया है. 

उधर रूस ने भी रूसी भाषा के टीवी चैनल बन्द किये जाने और रूसी भाषा मीडिया के लिये काम करने वालों पर दोषारोपण किये जाने पर चिन्ता व्यक्त की है.