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कोविड-19: WHO प्रमुख की चेतावनी, ओमिक्रॉन को कम न आँका जाए

कोलम्बिया में, कोविड-19 से बचने के लिये स्थानीय समुदायों का टीकाकरण किया जा रहा है.
PAHO/Karen González Abril
कोलम्बिया में, कोविड-19 से बचने के लिये स्थानीय समुदायों का टीकाकरण किया जा रहा है.

कोविड-19: WHO प्रमुख की चेतावनी, ओमिक्रॉन को कम न आँका जाए

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएण्ट "शायद" अब दुनिया के अधिकतर देशों में मौजूद है और इसे "हल्का" मानकर ख़ारिज कर देना, एक भारी ग़लती होगी.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनीवा स्थित मुख्यालय से संवाददाताओं से कहा कि यह वैरिएण्ट अब 77 देशों में मौजूद है.

उन्होंने कहा, “ओमिक्रॉन जिस गति से फैल रहा है, वैसा हमने पिछले किसी वैरिएण्ट के साथ नहीं देखा है. हम चिन्तित हैं कि लोग ओमिक्रॉन को हल्के में ले रहे हैं. निश्चित रूप से, हमने अब तक जान लिया है कि इस वायरस को कम करके आँकना बहुत बड़ा जोखिम होगा."

"अगर ओमिक्रॉन से बीमारी कम गम्भीर भी हो, तो भी भारी संख्या में मामलें बढ़ने से एक बार फिर स्वास्थ्य प्रणालियाँ भारी बोझ में आ सकती हैं. मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहूँगा: अकेले टीकाकरण से कोई भी देश इस संकट से बाहर नहीं निकल सकता. सभी देशों को प्रभावी रोकथाम उपायों से ओमिक्रॉन को फैलने से रोकना होगा - और उन्हें यह करना चाहिये."

'सब कुछ करें'

ब्रिटेन के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार ने मंगलवार को चेतावनी दी थी कि दिसम्बर के अन्त तक ओमिक्रॉन संक्रमण के मामले प्रति दिन दस लाख तक पहुँच सकते हैं.

उन्होंने कहा कि यदि इन नए संक्रमितों के एक अंश को भी अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण दबाव का सामना करना पड़ेगा. यह परेशानी की बात है कि यह परिदृश्य उस देश का है, जहाँ की लगभग 70 फ़ीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है.

यूएन स्वास्थ्य एडेंसी के महानिदेशक ने चेतावनी दी कि महामारी को रोकने की रणनीतियों के बीच में से किन्हीं को चुनन का तरीक़ा ग़लत है: “सामाजिक दूरी अपनाने की बजाय टीकाकरण, या फिर हवादार स्थानों के इस्तेमाल और हाथों की स्वच्छता रखने की जगह टीका लगाना. हमें यह सब करने उपाय करने होंगे, सब कुछ लगातार करें. सभी कुछ अच्छे ढंग से करें."

उन्होंने कहा कि वर्ष के पहले नौ महीनों की तुलना में पिछले 10 हफ्तों में, अन्तरराष्ट्रीय वैक्सीन पहल - COVAX  के तहत अधिक टीके भेजे गए हैं, और अधिकतर देश, टीके मिलते ही, उतनी ही तेज़ी से उनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "कुछ देशों को टीकाकरण करने और तेज़ी से उनका विस्तार करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. डब्ल्यूएचओ और हमारे सहयोगी, इन बाधाओं को दूर करने के लिये, उन देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं."

"हालाँकि हम आपूर्ति में और सुधार की उम्मीद करते हैं,  लेकिन इसकी कोई गारण्टी नहीं है, और कठिनाई से हमने जो जीत हासिल की है, उसकी स्थिति अभी नाज़ुक बनी हुई है."

कुछ के लिये बूस्टर टीका

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने कहा, "सामने आ रहे सबूतों से यह अन्दाज़ा लग रहा है कि गम्भीर बीमारी और मृत्यु के ख़िलाफ़ टीकों का असर थोड़ा कम हुआ है." 

उन्होंने कहा कि इसी कारण कुछ देशों में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिये, 18 से अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर टीका देने का सिलसिला शुरू हो गया है, जबकि अभी इसके कोई सबूत नहीं हैं कि वे असरदार रहेंगे.

"डब्ल्यूएचओ चिन्तित है कि इस तरह के कार्यक्रमों से, इस साल देखे गए टीकों की जमाख़ोरी फिर दोहराई जाएगी, और असमानताएँ बढ़ेंगी...मैं बहुत स्पष्ट रूप में कहना चाहूँगा: डब्ल्यूएचओ बूस्टर टीके के ख़िलाफ़ नहीं है. हम विषमताओं के ख़िलाफ़ हैं. हमारा प्रमुख मक़सद, सभी जगहों पर लोगों की जान बचाना है."

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि आपूर्ति की कमी के कारण, कम जोखिम वाले समूहों को बूस्टर ख़ुराक देना, उच्च जोखिम का सामना करने वाले उन लोगों के जीवन को ख़तरे में डालता है, जिन्हें अभी तक पहला टीकी भी नहीं मिला है.

उनका तर्क था कि वहीं, उच्च जोखिम वाले लोगों को अतिरिक्त ख़ुराक देने की तुलना में, कम जोखिम वाले लोगों को प्राथमिक ख़ुराक देने से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है.

सबसे कमज़ोर वर्ग को प्राथमिकता दें

“साथ मिलकर, हम स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, वृद्धों और अन्य जोखिम वाले समूहों को, टीकों की प्राथमिक ख़ुराक सुनिश्चित करके अधिक से अधिक जीवन बचा पाएंगे.”

“ज़्यादातर देशों में, अस्पताल में भर्ती होने और मौत का शिकार होने वाले वो लोग हैं जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है. इसलिये, टीकों की सबसे अधिक पहुँच वाले देशों में भी,  टीकाकरण न किये गए लोगों को टीके लगाना प्राथमिकता होनी चाहिये.”

उन्होंने कहा कि महामारी ख़त्म करने के वैश्विक प्रयास के तहत, "सबसे अधिक संरक्षित की बजाय, सबसे कम संरक्षित की रक्षा करना" हर देश की प्राथमिकता होनी चाहिये.

लगभग 41 देश अभी अपनी 10 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण भी नहीं कर पाए हैं, और 98 देश अभी तक 40% टीकाकरण के लक्ष्य तक नहीं पहुँचे हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "अगर हम असमानता को समाप्त करते हैं, तो हम महामारी को ख़त्म कर सकते हैं. अगर हम, असमानताएँ जारी रहने देते हैं तो, हम महामारी को जारी रहने देंगे."