बालावस्था के कैंसर से बचाव में, दवाओं की उपलब्धता के लिये नवीन पहल

निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले कैंसर पीड़ित बच्चों को सस्ती, सुरक्षित और असरदार दवाओं तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से एक नया कार्यक्रम शुरू किया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका के सैण्ट जूड बाल अनुसन्धान अस्पताल द्वारा सोमवार को शुरू किये गए - The Global Platform for Access to Childhood Cancer Medicines कार्यक्रम का मक़सद है - कैंसर से जीवित बचने की दर में "अस्वीकार्य असन्तुलन" का मुक़ाबला करना.
यूए स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, इससे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में दवा की उपलब्धता की समस्या से निपटने व कैंसर देखभाल के लिये एक अभिनव दृष्टिकोण मिलेगा, जो अक्सर उच्च क़ीमतों, आपूर्ति में रुकावट और अवहनीय लागत के कारण वित्तीय कठिनाई से जटिल हो जाता है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का अनुमान है कि हर साल दुनिया भर में 4 लाख बच्चे कैंसर का शिकार होते हैं. इनमें से ग़रीब देशों में रहने वाले अधिकतर लोग कैंसर की दवाएँ लगातार ख़रीदने या उनका ख़र्च वहन करने में असमर्थ होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक साल में लगभग एक लाख मौतें होती हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, "कैंसर से पीड़ित 10 में से नौ बच्चे, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं. उच्च आय वाले देशों में 80 प्रतिशत की तुलना में, इन देशों में कैंसर से बचाव की दर 30 प्रतिशत से कम है.”
"यह नया मंच, सैण्ट जूड के साथ वर्ष 2018 में शुरू की गई बाल कैंसर के लिये वैश्विक पहल (Global Initiative for Childhood Cancer) की सफलता पर आधारित है. यह मंच इस अस्वीकार्य असन्तुलन को दूर करने में मदद करेगा और कैंसर पीड़ित बच्चों की दर्दनाक स्थिति का सामना करने वाले हज़ारों माता-पिता में आशा की किरण जगाएगा."
अमेरिका के मेम्फिस, टैनेसी में स्थित सैण्ट जूड अस्पताल, बालावस्था के कैंसर और अन्य जानलेवा बाल रोगों के अनुसन्धान एवं उपचार के लिये विश्व की अग्रणी संस्था है.
यहाँ विकसित इलाजों ने, अमेरिका में बालावस्था के कैंसर से बचाव की दर को, 1962 के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत करने में मदद की है.
सैण्ट जूड अस्पताल यह मंच शुरू करने के लिये,, छह साल तक 20 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा. इसके तहत, वर्ष 2022 में शुरू होने वाले पायलट चरण में, भाग लेने वाले देशों को बिना किसी क़ीमत के दवाएँ दी जाएंगी.
यह धनराशि, सम्पूर्ण विश्व में, बालावस्था के कैंसर की दवाओं के लिये दी गई, अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय प्रतिबद्धता है.
शोध अस्पताल के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO), डॉक्टर जेम्स आर डाउनिंग ने कहा, "सैण्ट जूड की स्थापना, बालावस्था के कैंसर और अन्य भयावह बाल रोगों के अनुसन्धान व उपचार को आगे बढ़ाने के मक़सद से की गई थी."
"लगभग 60 साल बाद, दुनिया भर में बच्चों के प्रति उसी वादे के विस्तार हेतु, हम विश्व स्वास्थ्य संगठन, साझीदार संगठनों और अपने वैश्विक गठबन्धन सहयोगियों के साथ खड़े हैं."
"हम इस मंच के ज़रिये, ऐसे बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रहे हैं जो यह सुनिश्चित करे कि सभी जगहों पर बच्चों को कैंसर से बचाने वाली सुरक्षित दवाएँ मुहैया हो सकें."
मंच का लक्ष्य, 2022 से 2027 के बीच लगभग एक लाख 20 हज़ार बच्चों को सुरक्षित और प्रभावी दवाएँ प्रदान करना और इस समयावधि के बाद इसका विस्तार करना है.
सभी देशों को दवाओं के चयन, उपचार मानक विकसित करने और देखभाल की प्रक्रिया की निगरानी के लिये, सूचना प्रणाली विकसित करने में मदद दी जाएगी.
शुरुआती दो साल के पायलट चरण के लिये, 12 देशों के चुनाव हेतु, देशों की सरकारों के साथ चर्चाएँ चल रही हैं.
उम्मीद है कि 2027 के अन्त तक, 50 देशों को इस पहल के तहत दवाएँ मुहैया हो सकेंगी.