म्याँमार: मानवाधिकार हनन के मामले 'अभूतपूर्व स्तर' पर, एकजुट कार्रवाई की मांग

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने एक कड़ा सन्देश जारी करते हुए, म्याँमार में मानवाधिकार हनन के गम्भीर मामलों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी पर गहरा क्षोभ जताया है. यूएन एजेंसी ने सैन्य नेतृत्व की जवाबदेही तय किये जाने और देश में लोकतंत्र बहाली के लिये दोगुने प्रयास किये जाने की मांग की है
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविल ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि देश में मानवाधिकारों की स्थिति, अभूतपूर्व पैमाने पर गहरा रही है.
म्याँमार में सैन्य नेतृत्व ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई आंग सान सू ची सरकार को, इस वर्ष एक फ़रवरी 2021 को बेदख़ल कर दिया था, जिसके बाद से देश राजनैतिक संकट से जूझ रहा है.
@UNHumanRights calls on int'l community to redouble efforts to hold #Myanmar military accountable after alarming escalation of grave #humanrights abuses, including burning to death of 11 people this week, among them five minors. Full statement here 👉https://t.co/BdwwSNna4x pic.twitter.com/XzClTWys1u
OHCHRAsia
इसके बाद, लोकतंत्र के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शनों का सख़्ती से दमन किया गया है, बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं और हज़ारों लोग हिरासत में लिये गए हैं.
बताया गया है कि पिछले एक सप्ताह में ही, सुरक्षा बलों ने 11 लोगों को जान से मार दिया है, जिनमें पाँच नाबालिग़ हैं.
एक अन्य घटना में, शान्तिपूर्ण सभा के अपने बुनियादी अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे लोगों पर वाहन से टक्कर मारी गई है.
यूएन प्रवक्ता ने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि जीवन जीने, स्वतंत्रता, व्यक्ति की सुरक्षा, यातना के विरुद्ध पाबन्दी, निष्पक्ष मुक़दमे की कार्रवाई और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकारों के गम्भीर हनन के मामले रोज़ सामने आ रहे हैं.
ख़बरों के अनुसार मंगलवार को, एक विद्रोही गुट ने सगाइंग क्षेत्र के सालिनग्यी टाउनशिप में, म्याँमार सेना के एक दल को, रिमोट चालित विस्फोटक के ज़रिये निशाना बनाया था.
इस घटना की जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने डन टा गाँव पर छापे की कार्रवाई के दौरान छह पुरुषों और पाँच नाबालिग़ों को गिरफ़्तार कर लिया.
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, इनमें सबसे छोटे बच्चे की उम्र 14 वर्ष थी.
इसके बाद, एक इलाक़े से आग की लपटे आती हुई दिखाई दीं और बाद में वहाँ, बुरी तरह जले हुए 11 शव बरामद किये गए.
रविवार को हुई एक अन्य घटना में, सुरक्षा बलों ने यंगून की क्यिम्यिनडाइंग टाउनशिप में, एक वाहन को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर चढ़ा दिया और फिर गोलियाँ चलाई गईं, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं.
रूपर्ट कोलविल ने कहा, “ये हमले जघन्य हैं, पूर्ण रूप से अस्वीकार्य हैं, और मानवता के साझा मूल्यों की अवहेलना करते हैं.”
हाल के कुछ हफ़्तों में, यूएन मानवाधिकार कार्यालय को कथित रूप से गाँव जलाए जाने की रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं, इनमें संरक्षित स्थलों, जैसे कि धार्मिक उपासना स्थलों व रिहायशी इमारतें, को निशाना बनाए जाने की घटनाएँ हुई हैं.
चिन प्रान्त के थण्टलंग टाउन में, विश्वसनीय रिपोर्टों के अनुसार, सेना ने 10 अलग-अलग घटनाओं में 19 नागरिक व धार्मिक प्रतिष्ठानों और 450 घरों को आग के हवाले कर दिया.
कुछ ही सप्ताह पहले, सुरक्षा बलों ने कथित रूप से कायाह प्रान्त में एक स्थल में आग लगा दी थी, जिसकी वजह से वहाँ शरण लेने वाले ग्रामीणों के ज़िन्दा जलने की ख़बरें मिली हैं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त के प्रवक्ता ने कहा कि देश में तख़्तापलट के बाद से सुरक्षा बल, अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत तय दायित्वों के निर्वहन में विफल रहे हैं.
इसके परिणामस्वरूप, अब तक एक हज़ार 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है, और 10 हज़ार 600 से अधिक व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है.
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार हनन के नवीनतम मामले, एक मज़बूत, एकजुट और संकल्पित, अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता रेखांकित करते हैं.
यूएन कार्यालय ने म्याँमार में सैन्य नेतृत्व की जवाबदेही तय किये जाने और देश में लोकतंत्र बहाली के लिये दोगुने प्रयास किये जाने की मांग की है.
यूएन प्रवक्ता के मुताबिक़, म्याँमार की साहसी व दृढ़ संकल्पित जनता ने मानवाधिकार दिवस पर, तख़्तापलट का विरोध करते हुए एक मौन प्रदर्शन का आयोजन किया है.