'समानता है मानवाधिकारों के केन्द्र में', विषमताओं से निपटने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने पिछले दो वर्षों में पीड़ादाई ढंग से बढ़ती विषमताओं की असहनीय क़ीमतों को दर्शाया है. उन्होंने शुक्रवार, 10 दिसम्बर, को ‘विश्व मानवाधिकार दिवस’ के अवसर पर जारी अपने वक्तव्य में, समानता व साझा मानवता पर बल देते हुए, बेहतर पुनर्निर्माण के लिये सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में 73 वर्ष पहले, 10 दिसम्बर 1948 को, मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र को पारित करके, एक बेहतर विश्व के निर्माण में पेश आने वाली विषमताओं का उन्मूलन करने का प्रयास किया गया था.
वर्ष 2021 के लिये मानवाधिकार दिवस की थीम, 'समानता – विषमताएँ दूर करना और मानवाधिकारों को बढ़ावा देना' है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने आगाह किया कि वैश्विक महामारी के दौरान विषमताओं में भयावह वृद्धि हुई है.
उनका मानना है कि कोरोनावायरस संकट ने अब तक दर्ज की गई प्रगति को मज़बूत करने के प्रयासों में मिली विफलता को उजागर किया है.
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के सार्वभामिक घोषणा-पत्र पर पहली बार हस्ताक्षर होने के बाद से, दुनिया में सम्पन्नता बढ़ी है और लोग लम्बा जीवन जी रहे हैं.
“ज़्यादा बच्चे स्कूल जाते हैं, और ज़्यादा महिलाएँ पहले से अधिक स्वायत्ता हासिल करने में सक्षम हैं.”
पहले से ज़्यादा संख्या में देशों में लोगों के पास - निर्धनता, वर्ग, जाति और लैंगिकता की बेड़ियों को तोड़ पाने का अवसर है.
हालाँकि, उन्होंने सचेत किया कि इस प्रगति के बावजूद, पिछले 20 वर्षों में, निरन्तर वैश्विक झटकों व व्यवधानों और फिर 2020 में वैश्विक महामारी का, प्रगति की रफ़्तार पर असर पड़ा है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ध्यान दिलाया कि समानता, मानवाधिकारों और उन सभी समाधानों के केन्द्र में है, जिनकी आवश्यकता वैश्विक संकटों पर पार पाने के लिये होगी.
"इसका अर्थ यह नहीं है कि हम सभी एक जैसे दिखें, एक तरह से सोचें या एक तरह से काम करें. इसके बिल्कुल विपरीत, इसका अर्थ है कि हम अपनी विविधता बनाए रखें और यह मांग करें कि हर किसी के साथ बिना किसी भेदभाव के बर्ताव किया जाए."
मानवाधिकार उच्चायुक्त और महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर शान्ति के लिये एक नए एजेण्डा का उल्लेख किया, जोकि वैश्विक सुरक्षा के लिये बहुआयामी दृष्टि का परिचायक है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा, “यह कार्रवाई का एक एजेण्डा है – और अधिकारों का एक एजेण्डा है.”
यूएन महासचिव ने सितम्बर 2021 में “हमारा साझा एजेण्डा” नामक एक फ़्रेमवर्क प्रस्तुत करते हुए, मानवाधिकारों पर आधारित एक नए सामाजिक अनुबन्ध की पुकार लगाई थी.
इस एजेण्डा के तहत दुनिया भर में, नए सिरे से वैश्विक एकजुटता का आहवान किया गया है.
इसके अन्तर्गत, असुरक्षा की बुनियादी वजहों से निपटने के लिये सामूहिक कार्रवाई पर ज़ोर देने, सहनक्षमता और समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों में निवेश करने, बहुपक्षीय साझेदारियाँ विकसित करने, शान्तिनिर्माण प्रयास जारी रखने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से मुक़ाबला करने की बात कही गई है.
यूएन महासचिव ने इस दिवस पर जारी अपने सन्देश में आगाह किया कि कोविड-19 महामारी, जलवायु संकट और जीवन के सभी क्षेत्रों में डिजिटल टैक्नॉलॉजी के विस्तार ने, मानवाधिकारों के लिये नए जोखिम उत्पन्न कर दिये हैं.
“बहिष्करण और भेदभाव हर तरफ़ फैले हैं. सार्वजनिक विमर्श का स्थान सिकुड़ रहा है. निर्धनता और भुखमरी, दशकों में पहली बार बढ़ रहे हैं.”
“करोड़ों बच्चे, शिक्षा प्राप्ति के अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं. विषमता और ज़्यादा गहरी हो रही है.”
यूएन प्रमुख के मुताबिक़, महामारी से उबरने के प्रयास, मानवाधिकारों व स्वतंत्रताओं के विस्तार, और विश्वास का पुनर्निर्माण करने के लिये एक अवसर साबित होने चाहिये.
उन्होंने कहा कि न्याय में भरोसा और क़ानूनों व संस्थाओं की निष्पक्षता को मज़बूती प्रदान की जानी होगी.
“ये आस्था कि लोगों की बात न्यायसंगत रूप में सुनी जा सकती है और उनकी समस्याओं व कठिनाइयों के शान्तिपूर्ण समाधान निकाले जा सकते हैं.”
महासचिव ने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र, मानव परिवार के हर एक सदस्य के अधिकारों की ख़ातिर मुस्तैद है.
“हम, आज और हर एक दिन, सभी के लिये न्याय, समानता, गरिमा व मानवाधिकारों के लिये काम करते रहेंगे.”