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यूएन शान्तिरक्षा अभियानों के लिये बढ़ी चुनौतियाँ, ज़्यादा समर्थन का आहवान

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के एक गाँव में एक महिला यूएन शान्तिरक्षक, फ़ेस मास्क वितरित कर रही है.
MONUSCO
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के एक गाँव में एक महिला यूएन शान्तिरक्षक, फ़ेस मास्क वितरित कर रही है.

यूएन शान्तिरक्षा अभियानों के लिये बढ़ी चुनौतियाँ, ज़्यादा समर्थन का आहवान

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सदस्य देशों से, विश्व भर में यूएन शान्तिरक्षा अभियानों और उनमें सेवारत हज़ारों शान्तिरक्षकों के लिये समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया है. यूएन प्रमुख ने कोरिया गणराज्य की राजधानी सियोल में आयोजित शान्तिरक्षा के मुद्दे पर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह अपील जारी की है.

महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया है कि वर्ष 1945 के बाद, दुनिया सबसे अधिक संख्या मे हिंसक संघर्षों का सामना कर रही है.  

वर्ष 2014 के बाद से आयोजित बैठकों की श्रृंखला में यह दो-दिवसीय आयोजन एक नवीनतम कड़ी है. इन सम्मेलनों का उद्देश्य, पश्चिमी सहारा से लेकर भारत और पाकिस्तान तक यूएन के मैदानी अभियानों को बेहतर बनाना है.  

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उन्होंने कहा कि इस अवधि में संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा अभियानों के लिये समर्थन में वृद्धि हुई है, मगर नए जोखिम व चुनौतियाँ भी उभरे हैं.

उन्होंने इन हालात मद्देनज़र, ज़्यादा सहायता की आवश्यकता को रेखांकित किया है. 

यूएन प्रमुख ने अपने वीडियो सन्देश में कहा, “कोविड-19 महामारी, जलवायु संकट और भू-राजनैतिक तनावों का मतलब है कि हिंसक संघर्ष ज़्यादा जटिल हैं और लम्बे खिंचते हैं.”

“शान्तिरक्षा अभियान, इतने प्रासंगिक और इनकी सफलता इतनी तात्कालिक, इससे पहले कभी नहीं रहे.”

सियोल में आयोजित बैठक, संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा मिशन में सुधार लाने के प्रयासों के अनुरूप है, विशेष रूप से ‘एक्शन फ़ॉर पीसकीपिंग’ (A4P) पहल, जिसे महासचिव ने तीन वर्ष पहले पेश किया था.   

A4P पहल के तहत आठ प्राथमिकता क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है, जिनमें संरक्षण, साझेदारी, प्रदर्शन व जवाबदेही समेत अन्य मुद्दों का ख़याल रखा गया है.

मार्च 2021 में A4P+ नामक रणनीति के ज़रिये, इसे मज़बूती दी गई थी, ताकि पिछले दो वर्षों में लिये गए संकल्प तेज़ी से लागू किये जा सकें.

ख़ामियों को दूर करना

अतीत में मंत्रिस्तरीय बैठकों के दौरान, शान्तिरक्षा अभियानों की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से मुद्दों की पड़ताल की गई. 

इनमें ज़्यादा संख्या में महिला शान्तिरक्षकों की तैनाती किये जाने की आवश्यकता भी है. इस बार की बैठक में चिकित्सा क्षमता निर्माण व टैक्नॉलॉजी पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है. 

महासचिव ने आगाह किया कि यूएन शान्तिरक्षा अभियानों को विमानन और उच्च तकनीकी क्षमताओं में कमी का सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने माली जैसे देशों का उदाहरण दिया, जहाँ विस्तृत व दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र है और जहाँ हैलीकॉप्टर व चिकित्सा कारणों से अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों तक तत्काल पहुँचाने वाली टीमों की तत्काल आवश्यकता है. 

“हमें आपकी साझेदारी की ज़रूरत है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम अच्छी तरह से प्रशिक्षित सैनिक, उपयुक्त उपकरणों के साथ तैनात कर रहे हैं.”

“अक्सर, वर्दीधारी शान्तिरक्षकों के पास प्राथमिक चिकित्सा राहत देने, योजना बनाने और गश्त पर जाने, या सूचना की समीक्षा करने और ख़तरों की शिनाख़्त करने के कौशल का अभाव होता है.”

महासचिव ने ग़लत आचरण की रोकथाम व उससे निपटने के लिये भी समर्थन का आग्रह किया है, विशेष रूप से यौन शोषण व दुर्व्यवहार के मामलों में. 

शान्तिरक्षा के अन्य आयाम

उदघाटन समारोह के बाद, संयुक्त राष्ट्र व देशों की सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने दो चर्चाओं में हिस्सा लिया: शान्ति क़ायम रखने; और साझेदारियों, प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण पर. 

यूएन अभियान समर्थन विभाग के प्रमुख अतुल खरे ने शान्तिरक्षा के अन्य महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि यूएन मिशन के पर्यावरणीय पदचिन्हों को घटाने के लिये, प्रयास दोगुना बढ़ाए जा रहे हैं.

साथ ही, शान्तिरक्षा टुकड़ियों की तैनाती के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति के लिये भी समर्थन का आग्रह किया गया है.

उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता के लिये कार्रवाई एक प्राथमिकता है. इस क्रम में, उन्होंने ‘वरिष्ठ महिला प्रतिभा पाइपलाइन’ (Senior Women Talent Pipeline) का उल्लेख किया.

यह एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसके ज़रिये वरिष्ठ स्तरों पर लैंगिक बराबरी को बढ़ावा देने, महिला शान्तिरक्षकों की संख्या बढ़ाने व उनके लिये अनुकूल माहौल के निर्माण पर बल दिया जा रहा है.