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म्याँमार: आंग सान सू ची को कारावास की सज़ा के निर्णय की निन्दा

म्याँमार की राजनैतिक नेता आंग सान सू ची संयुक्त राष्ट्र के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पेश होते हुए (10 दिसंबर 2019)
ICJ/Frank van Beek
म्याँमार की राजनैतिक नेता आंग सान सू ची संयुक्त राष्ट्र के हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पेश होते हुए (10 दिसंबर 2019)

म्याँमार: आंग सान सू ची को कारावास की सज़ा के निर्णय की निन्दा

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार पदाधिकारी मिशेल बाशेलेट ने म्याँमार में स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को, एक सैन्य अदालत द्वारा कारावास के दण्ड की निन्दा की है, और उनकी तुरन्त रिहाई का आहवान भी किया है.

आंग सान सू ची पर, भ्रष्टाचार और चुनावी धान्धली के भी आरोप निर्धारित किये गए हैं.

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आंग सान सू ची को कारावास की सज़ा की ये ख़बर, उन मीडिया ख़बरों के दौरान आई है जिनके अनुसार, यंगून शहर में, सप्ताहान्त के दौरान एक सैन्य वाहन, प्रदर्शनकारियों से टकराया गया जिसके कारण कम से कम पाँच लोगों की मौत हो गई और अनेक लोग घायल हुए हैं.  

राजनैतिक मन्तव्य

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सोमवार को एक वक्तव्य में कहा कि आंग सान सू ची को दोषी ठहराए जाने वाला निर्णय, एक “फ़र्जी मुक़दमे” का परिणाम है.

उन्होंने कहा कि सेना द्वारा नियंत्रित एक न्यायालय के सामने, गुप्त रूप से चलाए गए मुक़दमे के बाद, स्टेट काउंसलर को दोषी ठहराया जाना, राजनीति से प्रेरित मन्तव्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं है.

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, “ये ना केवल उनकी स्वतंत्रता के हनन का मामला है – बल्कि इससे, राजनैतिक सम्वाद का एक और दरवाज़ा बन्द होता है.”

आंग सान सू ची, म्याँमार की पूर्व नेता हैं जिन्हें फ़रवरी 2021 में सेना द्वारा तख़्तापलट करके सत्ता हथियाने के बाद से ही, किसी अज्ञात स्थान पर हिरासत में रखा गया है. उन पर एक बन्द न्यायालय में मुक़दमा चलाया गया जहाँ किसी पर्यवेक्षक को जाने की इजाज़त नहीं थी.

म्याँमार में, सेना ने नवम्बर 2020 में हुए चुनावों के नतीजों को अवैध घोषित करते हुए, 1 फ़रवरी 2021 को, तख़्तापलट करके सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया था.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि ऐसा समझा जाता है कि सैन्य नेतृत्व – जुण्टा ने, दस हज़ार से भी ज़्यादा राजनैतिक लोगों को बन्दी बनाया हुआ है और कम से कम 175 ऐसे राजनैतिक बन्दियों की मौत, हिरासत में ही हो चुकी है.

तत्काल रिहाई की पुकार

मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने एक वक्तव्य में, आंग सान सू ची और उन तमाम लोगों की तुत्काल रिहाई का आहवान किया है जिन्हें मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाकर रखा गया है.

मिशेल बाशेलेट ने, देश की व्यावसायिक राजधानी यंगून में सप्ताहान्त के दौरान, प्रदर्शनकारियों पर किये गए हमले की भी तीखी निन्दा की है.

एक अपुष्ट वीडियो में, सुरक्षा बलों के एक ट्रक को, निहत्थे प्रदर्शनकारियों को रौंदते हुए देखा जा सकता है, और बाद में, उन प्रदर्शनकारियों पर जानलेवा गोलियाँ भी चलाई गई हैं.

मीडिया ख़बरों के अनुसार, इस घटना में, हताहतों के अलावा, 15 लोगों को बन्दी भी बनाया गया है.

म्याँमार में, संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष प्रतिनिधि रामनाथन बालकृष्णन ने भी इस हिंसा की निन्दा की है और निहत्थे आम लोगों पर अत्यधिक व ग़ैर-आनुपातिक बल प्रयोग करने के लिये, ज़िम्मेदारों को न्याय की जवाबदेही निर्धारित किये जाने की मांग की है.

उन्होंने कहा है कि आरम्भिक ख़बरों से संकेत मिलता है कि इस घटना में अनेक लोग हताहत हुए हैं.

उन्होंने साथ ही ज़ोर देकर ये भी कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता “एक बुनियादी मानवाधिकार है और सुरक्षा बलों की कार्रवाई पूर्ण रूप से अस्वीकार्य है...मैं इस हमले की कठोरतम शब्दों में निन्दा करता हूँ और हताहतों के परिवारों के साथ गहरी शोक सम्वेदना व्यक्त करता हूँ.”

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, फ़रवरी में हुए तख़्तापलट के बाद से, देश में सशस्त्र झड़पें, हिंसा और असुरक्षा महत्वपूर्ण रूप से बढ़े हैं, जिसके कारण हज़ारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.