कोविड-19 काल में व्यवधान से, मलेरिया मामलों व मृतक संख्या में वृद्धि 

सब सहारा अफ्रीका क्षेत्र में अब बड़ी संख्या में महिलाएँ मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानियों का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं.
©UNICEF/Josh Estey
सब सहारा अफ्रीका क्षेत्र में अब बड़ी संख्या में महिलाएँ मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानियों का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं.

कोविड-19 काल में व्यवधान से, मलेरिया मामलों व मृतक संख्या में वृद्धि 

स्वास्थ्य

कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में आए व्यवधान के कारण, मलेरिया के मामलों व उससे होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है, मगर हालात उतने ख़राब साबित नहीं हुए हैं जिनकी पहले आशंका जताई गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को मलेरिया पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की नई ‘World Malaria Report’ के अनुसार, वर्ष 2020 में, मलेरिया के 24 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किये गए और छह लाख 27 हज़ार लोगों की मौत हुई. 

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ये आँकड़े वर्ष 2019 की तुलना में, एक करोड़ 40 लाख अतिरिक्त मामले और 69 हज़ार अतिरिक्त मौतें दर्शाते हैं. 

इनमें से दो-तिहाई अतिरिक्त मौतें (47 हज़ार), महामारी के दौरान मलेरिया की रोकथाम सेवाओं, निदान, और उपचार के प्रावधान में आई रुकावट के कारण हुईं. 

वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम के निदेशक पेड्रो ओलोंसो ने जिनीवा में रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि हालाँकि जिस तरह एक बेहद ख़राब परिदृश्य घटित होने की आशंका थी, वैसे हालात देखने को नहीं मिले हैं. 

वैश्विक महामारी के शुरू के दिनों में, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने सब-सहारा अफ़्रीका में मलेरिया के कारण होने वाली मौतों में दोगुनी वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया था. 

विश्लेषण दर्शाता है कि क्षेत्र में वर्ष 2019 और 2020 के बीच मृतक संख्या में क़रीब 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.  

डॉक्टर ओलोंसो ने कहा, “तात्कालिक और कड़ी मेहनत की वजह से हम यह कह सकते हैं कि दुनिया ने, मलेरिया मौतों में सबसे ख़राब परिदृश्य को घटित होने से रोकने में सफलता प्राप्त की है.”

सब-सहारा अफ़्रीकी देश अब भी मलेरिया का भीषण बोझ झेल रहे हैं, जहाँ सभी मलेरिया मामलों का 95 फ़ीसदी और कुल मृतक संख्या का 96 फ़ीसदी दर्ज किया गया है. 

इस क्षेत्र में 80 प्रतिशत से अधिक मौतें, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हुई हैं. 

कोविड-19 महामारी से पनपी चुनौतियों के बावजूद, मलेरिया से पीड़ित देशों में, योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य के 72 प्रतिशत के बराबर, कीटनाशक मच्छरदानियाँ वितरित करना सम्भव हुआ है. 

प्रगति में ठहराव

रिपोर्ट बताती है कि विश्व भर में वर्ष 2000 और 2020 के बीच, मलेरिया के एक अरब 70 करोड़ मामलों और एक करोड़ से अधिक मौतों की रोकथाम करने में सफलता मिली है.

रोकथाम के ये अधिकांश मामले (82 प्रतिशत) व सम्भावित मौतें (95 प्रतिशत) यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अफ़्रीकी देशों के क्षेत्र में दर्ज किये गए हैं.

मगर, डॉक्टर अलोंसो ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 से पहले ही, मलेरिया के ख़िलाफ़ वैश्विक प्रगति में ठहराव दर्ज किया जा रहा था. 

उन्होंने सचेत किया किया कि फ़िलहाल दुनिया, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की मलेरिया रणनीति के तहत 2020 के अहम पड़ावों पर पहुँचने से दूर होती जा रही है. 

वर्ष 2020 के एक विश्लेषण के अनुसार, विश्व में मलेरिया मामलों के निर्धारित लक्ष्य से 40 प्रतिशत और वैश्विक मृत्यु दर के लक्ष्य से 42 प्रतिशत की दूरी है.

विषमतापूर्ण हालात

वैश्विक स्तर पर, मलेरिया के विरुद्ध प्रगति विषमतापूर्ण रही है. रिपोर्ट बताती है कि ऐसे बहुत से देश जहाँ इस बीमारी का ज़्यादा असर नहीं है, वे मलेरिया उन्मूलन की दिशा में बढ़ रहे हैं.

यूएन एजेंसी ने वर्ष 2021 में दो देशों - अल सैल्वाडोर और चीन – मलेरिया मुक्त घोषित कर दिया. हालाँकि इस बीमारी की घातक चुनौती का सामना कर रहे अनेक देशों के लिये नई चुनौतियाँ पैदा हुई हैं. 

मलेरिया के विरुद्ध, पिछले दो दशकों में वैश्विक प्रगति मोटे तौर पर, यूएन एजेंसी की अनुशंसा प्राप्त औज़ारों व तौर-तरीक़ों के व्यापक विस्तार व इस्तेमाल के ज़रिये हुई हैं.

इनसे बीमारी की रोकथाम, निदान व उपचार में मदद मिलती है.

हालाँकि आँकड़े दर्शाते हैं कि मलेरिया के जोखिम का सामना कर रहे लोगों के लिये जीवनरक्षक उपायों की सुलभता में खाई गहरी हो रही है.

वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति

मौजूदा रणनीति के तहत, वर्ष 2030 तक दुनिया भर में मलेरिया के मामलों और मृत्यु दर में 90 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है. 

रिपोर्ट में दोहराया गया है कि इन लक्ष्यों को पाने के लिये, नए तौर-तरीक़े अपनाए जाने होंगे, नए औज़ारों के ज़रिये प्रयासों में तेज़ी लानी होगी और मौजूदा उपायों को बेहतर ढंग से लागू किया जाना होगा.

इन प्रयासों के तहत, न्यायोचित व सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणालियों व आँकड़ों पर आधारित रणनीतियों पर बल दिया गया है. 

चाड के एक गाँव में एक बच्चे का मलेरिया की जाँच के लिये परीक्षण किये जाते हुए
© UNICEF/Frank Dejongh
चाड के एक गाँव में एक बच्चे का मलेरिया की जाँच के लिये परीक्षण किये जाते हुए

रिपोर्ट में, RTS,S मलेरिया वैक्सीन का इस्तेमाल बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अक्टूबर में इस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुशंसा की थी. रोकथाम व उपचार उपायों के लिये निवेश का स्तर बढ़ाना भी अति-आवश्यक होगा.

पिछले कुछ समय में पर्याप्त धनराशि का अभाव देखा गया है, और वर्ष 2020 के लिये ज़रूरी राशि के लक्ष्य से 50 प्रतिशत की कमी देखी गई.  

रिपोर्ट बताती है कि विश्व भर में मलेरिया नियंत्रण व उन्मूलन के लिये, वर्ष 2020 में तीन अरब 30 करोड़ का निवेश किया गया है. 

जबकि वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने के लिये, छह अरब 80 करोड़ की धनराशि का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

वर्ष 2030 तक वार्षिक निवेश में तीन गुना वृद्धि (10 अरब 30 करोड़ डॉलर) की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.