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कोविड-19: इण्टरनैट उपलब्धता में उछाल के बावजूद, निर्धनजन बहुत पीछे छूटे

इक्वेडोर के मॉण्टे सिनाई में, एक किशोरी अपने गर पर, ऑनलाइन शिक्षा प्राप्ति के लिये तैयारी करते हुए.
© UNICEF/Santiago Arcos
इक्वेडोर के मॉण्टे सिनाई में, एक किशोरी अपने गर पर, ऑनलाइन शिक्षा प्राप्ति के लिये तैयारी करते हुए.

कोविड-19: इण्टरनैट उपलब्धता में उछाल के बावजूद, निर्धनजन बहुत पीछे छूटे

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में इस वर्ष इण्टरनैट का प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर लगभग 4 अरब 90 करोड़ हो गई है मगर अब भी लगभग दो अरब 90 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें इण्टरनैट इस्तेमाल करने की बिल्कुल भी सुविधा नहीं मिली है. इनमें से 96 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं.

अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इण्टरनैट की उपलब्धता और उसके प्रयोग में ये बढ़त, कोविड-19 महामारी के कारण भी दर्ज की गई है.

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संगठन का कहना है कि वैश्विक विकास के नज़रिये से ये अच्छी बात है, मगर इण्टरनैट की उपलब्धता और उसका प्रयोग अब भी बहुत असमान है, क्योंकि करोड़ों लोगों को ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल करने का मौक़ा कभी-कभी ही मिलता है.

बहुत से लोग मिलजुल कर उपकरण इस्तेमाल करते हैं और बहुत से लोगों को इण्टरनैट की इतनी धीमी रफ़्तार मिलती है जिससे इण्टरनैट का इस्तेमाल करने में उन्हें बाधाएँ उत्पन्न होती हैं.

आईटीयू के महासचिव हाउलिन झाओ का कहना है कि वैसे तो दुनिया की लगभग दो तिहाई आबादी अब ऑनलाइन संसाधनों का प्रयोग करने योग्य है, मगर अब भी बहुत कुछ किये जाने की ज़रूरत है ताकि दुनिया भर में हर व्यक्ति को इण्टरनैट प्रयोग की सुलभ और आसान सुविधा प्राप्त हो सके.

उन्होंने कहा कि आईटीयू तमाम पक्षों के साथ मिलकर, ये सुनिश्चित करने के लिये काम करेगा कि बाक़ी बची लगभग दो अरब 90 करोड़ की आबादी के लिये भी, इण्टरनैट व ऑनलाइन सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हो सकें और कोई भी पीछे ना छूटे.

‘कनेक्टिविटी’ में उछाल

यूएन एजेंसी की रिपोर्ट में पाया गया है कि लोगों की ऑनलाइन मौजूदगी में भारी उछाल से नज़र आता है कि इसमें कोविड-19 महामारी का सामना करने के लिये किये गए उपायों का बड़ा योगदान है.

वर्ष 2019 के बाद से, लगभग 78 करोड़ 20 लाख अतिरिक्त लोगों ने ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल करना शुरू किया जोकि तालाबन्दियों, स्कूल बन्द होने और दूरस्थ स्थानों से कामकाज व बैंक सुविधाओं के इस्तेमाल के कारण, ऑनलाइन मौजूदगी में 17 प्रतिशत की वृद्धि थी.

असमान प्रगति

रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 स्वास्थ्य संकट के पहले वर्ष के दौरान, दुनिया भर में इण्टरनैट का प्रयोग करने वालों की संख्या में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जोकि एक दशक में सबसे बडी वृद्धि थी.

मगर रिपोर्ट में ये भी रेखांकित किया गया है कि ये बढ़त असमान रही है.

निर्धन देशों में, अक्सर इण्टरनैट पहुँच के बाहर है और 46 कम विकसित देशों में, लगभग तीन चौथाई लोगों ने कभी भी ऑनलाइन संसाधनों का प्रयोग नहीं किया है.

डिजिटल संसाधनों से वंचित

आईटीयू की निदेशक डोरीन बोग्डैन-मार्टिन ने जिनीवा में कहा, “इण्टरनैट के मामले में विकसित और विकासशील देशों के बीच गहरी खाई है. अफ़्रीका में, केवल एक तिहाई आबादी को ही इण्टरनैट प्रयोग करने की सुविधा हासिल है.”

उन्होंने बताया कि योरोप में लगभग 90 प्रतिशत आबादी के पास इण्टरनैट कनेक्टिविटी है.

रिपोर्ट में पाया गया है कि उम्रदराज़ लोगों, महिलाओं और ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले लोगों की तुलना में, युवजन, पुरुषों व नगरीय इलाक़ों में रहने वाले लोगों द्वारा इण्टरनैट का इस्तेमाल करने की ज़्यादा सम्भावना है. इसके अलावा विकासशील देशों में लैंगिक खाई ज़्यादा प्रमुखता से नज़र आती है.

आईटीयू ने कहा है कि निर्धनता, निरक्षरता, बिजली की कम उपलब्धता और डिजिटल कौशल के अभाव के कारण, डिजिटल संसाधनों से वंचित समुदायों के रास्ते में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं.