तीन अरब लोगों को मयस्सर नहीं है स्वस्थ भोजन ख़ुराक
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि एजेंसी (FAO) ने कहा है कि दुनिया भर में लगभग तीन अरब लोगों, यानि विश्व की कुल आबादी के लगभग 40 प्रतिशत हिस्से के पास, अपने लिये स्वस्थ भोजन की एक ख़ुराक का प्रबन्ध करने के साधन उपलब्ध नहीं हैं. एजेंसी ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अगर अनपेक्षित घटनाओं के कारण, लोगों की आमदनी में एक तिहाई कमी हो जाती है तो अतिरिक्त एक अरब लोग भी इसी पाँत में पहुँच जाएंगे.
विश्व की खाद्य व कृषि स्थिति पर जारी 2021 की इस रिपोर्ट का नाम है - State of Food and Agriculture (SOFA) - Making agrifood systems more resilient to shocks and stresses.
Is our food supply at risk?@FAO's The State of Food & Agriculture 2021 report offers a close-up look at how we can make agrifood systems more resilient to shocks & stresses, & in turn provide affordable, healthy diets for all 👉🏽https://t.co/ybYxcMgDGa #SOFA2021 #FoodSystems pic.twitter.com/V8JMZAGEXO
FAO
रिपोर्ट में कहा गया है कि सटीक तैयारी नहीं की गई तो इस तरह के अनपेक्षित झटके, इन प्रणालियों की साख़ व स्थिरता को कमज़ोर करते रहेंगे.
रिपोर्ट में इन झटकों को ऐसी लघुकालीन घटनाओं के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी प्रणाली या व्यवस्था, लोगों के रहन-सहन, सम्पदाओं, आजीविकाओं, सुरक्षा और भविष्य के झटकों का सामना करने की सामर्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं.
और ज़्यादा सहनक्षमता
यूएन खाद्य व कृषि एजेंसी ने देशों से अपनी व्यवस्थाओं और प्रणालियों को, अनपेक्षित झटकों और आकस्मिक घटनाओं का सामना करने के लिये, और ज़्यादा सहनसक्षम व सहनशील बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.
इनमें कोविड-19 महामारी जैसे झटके शामिल हैं जो, दुनिया भर में हाल के समय में भुखमरी में आए उछाल के, बहुत बड़े हिस्से के लिये ज़िम्मेदार है.
खाद्य और कृषि संगठन के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, “स्वास्थ्य महामारी ने, कृषि आधारित खाद्य प्रणालियों की सहनक्षमता और कमज़ोरियों, दोनों को ही उजागर किया है.”
ग़ौरतलब है कि कृषि अधारित खाद्य प्रणालियों में ऐसी गतिविधियों को गिना जाता है जिनमें खाद्य और इतर पदार्थों का उत्पादन शामिल होता है.
साथ ही इनमें खाद्य और इतर कृषि पदार्थों के भण्डारण, प्रसंस्करण, परिवहन, वितरण और उपभोग जैसी गतिविधियाँ भी शामिल होती हैं.
कृषि आधारित खाद्य प्रणालियाँ, हर साल लगभग 11 अरब टन खाद्य उत्पादन करती हैं और इस क्षेत्र में अरबों लोगों को रोज़गार मिलता है, प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से.
ठोस कार्रवाई
रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भी ज़्यादा विचार योग्य स्थिति ये है कि अति अहम परिवहन में बाधा उत्पन्न होने के कारण, लगभग साढ़े 84 करोड़ लोगों के लिये, खाद्य पदार्थ बहुत महंगे हो जाएंगे.
रिपोर्ट में 100 से ज़्यादा देशों से एकत्र किये गए संकेतक भी शामिल किये गए हैं जिनमें परिवहन नैटवर्क, व्यापारिक प्रवाह और स्वस्थ व विभिन्न सामग्रियों वाली खाद्य ख़ुराकों जैसे कारकों का विश्लेषण शामिल है.
वैसे तो भुखमरी से सम्बन्धित चुनौतियाँ, निम्न आय वाले देशों में ज़्यादा बड़ी होती हैं, मगर, मध्य आय वाले देशों में बहुत जोखिम है.
उदाहरण स्वरूप, ब्राज़ील की कुल निर्यात सम्पदा का 60 प्रतिशत हिस्सा, केवल एक व्यापार साझीदार (देश) से आता है. अगर उस साझीदार देश को किसी तरह के झटकों का सामना करना पड़े, तो ऐसे में, ब्राज़ील के विकल्प बहुत सीमित हो जाते हैं.
यहाँ तक कि ऑस्ट्रेलिया और कैनेडा जैसे उच्च आमदनी वाले देश भी जोखिम का सामना कर रहे हैं क्योंकि खाद्य वितरण में, लम्बी दूरी तय किये जाने के कारक शामिल हैं.
सिफ़ारिशें

संगठन ने, रिपोर्ट में सामने आए सबूतों के आधार पर अनेक सिफ़ारिशें भी पेश की हैं.
इनमें, आकस्मिक घटनाओं और झटकों का सामना करने के लिये, अनेक रास्ते बनाने की ख़ातिर, उत्पादन, बाज़ार, आपूर्ति श्रृंखला और स्रोतों में विविधता का पहलू शामिल करना बहुत अहम है.
छोटी और मध्यम दर्जे की कृषि आधारित खाद्य उत्पादन इकाइयों व सहकारी संगठनों को सहायता व समर्थन दिये जाने से, घरेलू मूल्य श्रृंखलाओं में विविधता बरक़रार रखने में मदद मिलेगी.
एक अन्य प्रमुख कारक है – इण्टरनैट. अच्छी तरह से जुड़े हुए नैटवर्कों के ज़रिये, परिवहन, बाज़ार, भण्डार आगमन और श्रम के क्षेत्रों में आने वाली बाधाओं को तेज़ी से सुलझाया जा सकता है.
और अन्त में, भुखमरी से मुक्ति पाने के लिये बहुत ज़रूरी है कि कमज़ोर हालात का सामना कर रहे परिवारों और घरों की सहनक्षमता व सामर्थ्य बढ़ाई जाए.
ये सामर्थ्य और सहनशीलता बढ़ाने के लिये, सम्पदाओं, आमदनी के विविधतापूर्ण स्रोतों की उपलब्धता और सामाजिक संरक्षण वाले कार्यक्रमों का सहारा लिया जा सकता है.