सूडान: सुरक्षा बलों की 'शर्मनाक' कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों की मौत की निन्दा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सूडान में 25 अक्टूबर को सैन्य तख़्तापलट के बाद से, सुरक्षा बलों के हाथों कम से कम 39 लोगों के मारे जाने की निन्दा की है. इनमें से 15 लोगों की मौत बुधवार को ख़ारतूम, ख़ारतूम-बाहरी और ओमदुरमान में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हुई है.
यूएन मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने अपने एक वक्तव्य में क्षोभ जताया है कि सैन्य और सुरक्षा प्रशासन से बार-बार अनावश्यक और गैरज़रूरी बल प्रयोग से परहेज़ करने की अपील की गई थी.
🇸🇩 #Sudan: @MBachelet condemns as utterly shameful military authorities’ use of live ammunition into large crowds of unarmed protesters, leaving dozens dead, many injured, in gross violation of international law, amid blanket Internet and phone shutdowns: https://t.co/ZJ7bgByp5h pic.twitter.com/xBbmk5Uu1v
UNHumanRights
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह शर्मनाक है कि प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध गोलियों का इस्तेमाल किया गया.
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, बुधवार को हुए प्रदर्शनों में कम से कम 100 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 80 व्यक्तियों को शरीर के ऊपरी हिस्से और सिर में गोलियाँ लगी हैं.
बताया गया है कि आँसू गैस का भी भारी मात्रा में इस्तेमाल किया गया. विरोध प्रदर्शन से पहले गिरफ़्तारी अभियान चलाया गया था, जोकि प्रदर्शनों के दौरान और बाद में भी जारी रहा.
स्थानीय पुलिस ने एक बयान जारी करके, कम से कम 89 पुलिसकर्मियों के घायल होने की बात कही है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने, सुरक्षा बलों की कार्रवाई की भर्त्सना करते हुए कहा, “निहत्थे प्रदर्शनकारियों की बड़ी भीड़ पर गोलियाँ चलाना, अनेक लोगों को मृत और घायल छोड़ देना निन्दनीय है.”
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से सार्वजनिक असहमति का दमन किये जाने पर लक्षित है, और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों का खुला उल्लंघन है.
बताया गया है कि सैन्य प्रशासन ने फ़ोन और मोबाइल संचार सेवाओं पर पूर्ण पाबन्दी लगा दी है, जबकि इण्टरनेट सेवाओं पर पहले से ही रोक है. सूडान, शेष दुनिया से कट गया है, केवल सैटेलाइट लिंक ही काम कर रहे हैं.
सैन्य तख़्तापलट के बाद गम्भीर हालात
सूडान की सेना ने अक्टूबर महीने में, देश की सत्ता साझा कर रही अन्तरिम सरकार को भंग करते हुए, प्रधानमंत्री अब्दल्ला हमदोक और उनके मंत्रिमण्डल को हिरासत में ले लिया था.
सैन्य तख़्तापलट ऐसे समय में हुआ, जब अप्रैल 2019 में पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदख़ल किये जाने के बाद, देश लोकतंत्र के मार्ग पर आगे बढ़ रहा था.
यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक़, सैन्य तख़्तापलट के बाद से ही पत्रकारों, विशेष रूप से प्रशासन के ख़िलाफ़ मुखर पत्रकारों को निशाना बनाया गया है.
उन्हें रिपोर्टिंग करते समय मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है, और उनके घरों व कार्यालयों पर छापेमारी की गई है.
सादी वर्दी में कुछ हथियारबन्द हमलावरों द्वारा पत्रकारों को अगवा किये जाने के मामलों की भी ख़बरें मिली हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त बाशेलेट ने कहा, “इण्टरनेट बन्द होने से, मौजूदा हालात पर आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में पत्रकारों की भूमिका, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.”
मगर, उन्होंने आशंका जताई कि लगातार कठिन हो रहे माहौल में स्व-सेन्सरशिप का माहौल पनप सकता है, जिसका मीडिया बहुलतावाद और स्वतंत्रता पर भीषण असर होगा.
यूएन की शीर्ष अधिकारी ने सूडान प्रशासन से, अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार व शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्र होने के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे लोगों व राजनैतिक नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि घायल प्रदर्शनकारियों की स्वास्थ्य देखभाल कर रहे, स्वास्थ्यकर्मियों को निशाना ना बनाया जाए, और ना ही उनके अतिआवश्यक कार्य में रुकावटें पैदा की जाएँ.