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जीवाश्म ईंधन जलाये जाने से हवा में अनेक प्रकार के प्रदूषक घुल जाते हैं, जोकि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य, दोनों के लिये नुक़सानदेह हैं.

कॉप26: संकल्पों पर पानी फेरती है अरबों डॉलर की जीवाश्म ईंधन सब्सिडी; जलवायु वार्ता में तेज़ी लाए जाने की पुकार

Unsplash/Malcolm Lightbody
जीवाश्म ईंधन जलाये जाने से हवा में अनेक प्रकार के प्रदूषक घुल जाते हैं, जोकि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य, दोनों के लिये नुक़सानदेह हैं.

कॉप26: संकल्पों पर पानी फेरती है अरबों डॉलर की जीवाश्म ईंधन सब्सिडी; जलवायु वार्ता में तेज़ी लाए जाने की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने देशों की सरकारों से, कार्बन उत्सर्जन में कटौती, अनुकूलन और वित्त पोषण के विषय में, नपे-तुले अन्दाज़ में ज़्यादा महत्वाकांक्षा दर्शाने पर बल दिया है. स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन के दौरान महासचिव ने गुरूवार को प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए स्पष्ट किया कि आम सहमति वाले, सबसे निचले स्तर के उपाय पर्याप्त नहीं हैं. 

ग्लासगो में वार्षिक यूएन जलवायु सम्मेलन अपने अन्तिम चरण की ओर बढ़ रहा है. 

गुरूवार को 11 देशों ने गैस और तेल पर निर्भरता का अन्त करने के लिये एक गठबन्धन पेश किया, और शहरों से जुड़े मुद्दे भी चर्चा के केन्द्र में रहे.  

यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन मे कहा कि युवजन, आदिवासी समुदाय, महिला समूह, शहरों व निजी क्षेत्र सहित नागरिक समाज की लामबन्दी, उनके लिये प्रेरणादायक है.

उन्होंने एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम के दौरान दोहराया कि जलवायु चुनौती से मुक़ाबला करने के लिये हर किसी के सहयोग की दरकार है. 

“हम जानते हैं कि क्या किया जाना है. 1.5 डिग्री के लक्ष्य को पहुँच में रखने का अर्थ है, 2030 तक वैश्विक उत्सर्जनों को 45 फ़ीसदी तक घटाना.”

“मगर, राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) का मौजूदा रूप, अगर पूरी तरह से लागू हो भी जाए, तो भी 2030 तक उत्सर्जन बढ़ेंगे.”

महासचिव ने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु व पर्यावरण एजेंसियों के विश्लेषण का उल्लेख करते हुए बताया कि कॉप26 में नवीनतम प्रतिज्ञाओं व संकल्पों के बाद भी, दुनिया तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस से ज़्यादा की विनाशकारी वृद्धि की ओर बढ़ रही है. 

उन्होंने अमेरिका व चीन के बीच हुए सहयोग समझौते का स्वागत करते हुए, उसे सही दिशा में लिया गया एक अहम क़दम बताया.

“मगर, वादे खोखले नज़र आते हैं जब जीवाश्म ईंधन उद्योग को अब भी हज़ारों अरब डॉलर की सब्सिडी मिलती है, जैसाकि IMF ने आकलन किया है.” 

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने हर देश, शहर, कम्पनी, और वित्तीय संस्था से, विश्वसनीयता दर्शाते हुए, बुनियादी रूप से अपने उत्सर्जनों में कटौती करने और कामकाज में कार्बन पर निर्भरता घटाने का आग्रह किया है.

प्रगति की समीक्षा

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये, फ़िलहाल जिन संकल्पों की घोषणा की गई है, वे पर्याप्त नहीं हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, ग्लासगो सम्मेलन में प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए.
UNRIC/Miranda Alexander-Webber
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, ग्लासगो सम्मेलन में प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए.

लेकिन उन्होंने, ग्लासगो सम्मेलन में दर्ज की गई प्रगति की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया: इन घोषणाओं में वनों की कटाई रोकने व उनकी पुनर्बहाली, शहरों की ओर से नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन के संकल्प और कोयले पर निर्भरता को चरणबद्ध ढंग से हटाने की बात कही गई है.  

यूएन प्रमुख ने एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह स्थापित किये जाने की घोषणा की है, ताकि ग़ैर-सरकारी पक्षकारों द्वारा, नैट शून्य संकल्पों के विश्लेषण और आकलन के लिये स्पष्ट मानक स्थापित किये जा सकें.

यह समूह अगले वर्ष अपनी सिफ़ारिशें पेश करेगा.  

जलवायु वार्ता: अभी लक्ष्य से दूर

कॉप26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने पिछले 24 घण्टों में हुई बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अनुकूलन के वैश्विक लक्ष्य पर चर्चा सम्पन्न हो गई है, और उन्हें उम्मीद है कि इसे पारित कर लिया जाएगा. 

उन्होंने कहा कि सहयोगपूर्ण माहौल में प्रगति हुई है, मगर सचेत किया कि अभी सबसे अहम मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है.

कॉप26 अध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया, “अभी और बहुत काम किया जाना बाक़ी है, और कॉप26 के शुक्रवार को, ख़त्म होने का कार्यक्रम है, समय बीता जा रहा है.”

“वित्त पोषण पर बातचीत में तेज़ी लाए जाने की ज़रूरत है, और यह तेज़ी अभी लाए जाने की आवश्यकता है.”

उन्होंने महासचिव गुटेरेश के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि दुनिया को इस चुनौती से निपटने के लिये आगे बढ़ना होगा और महत्वाकांक्षा बढ़ानी होगी. 

एक नए गठबन्धन की स्थापना

इससे पहले, दिन में एक सकारात्मक घटनाक्रम के तहत, 11 देशों ने कॉप26 सम्मेलन के दौरान ‘Beyond Oil and Gas Alliance’ (BOGA) नामक एक गठबन्धन की घोषणा की है.

इसमें आयरलैण्ड, फ़्रांस, डेनमार्क और कोस्टा रीका सहित अन्य देशों के अलावा, कुछ उप-राष्ट्रीय सरकारें भी शामिल हैं.

यह अपनी तरह का पहला गठबन्धन है जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर तेल व गैस के अन्वेषण व उनके दोहन का अन्त किये जाने के लिये एक समय सीमा निर्धारित की जाएगी. 

इससे पहले, इस तरह की घोषणाएँ, महज़ कोयला खनन के सम्बन्ध में ही की गई हैं. BOGA सदस्यों ने एक प्रैस वार्ता के दौरान बताया कि वे इस क्रम में, सभी प्रकार के लाइसेंस, रियायतें और लीज़ का अन्त करने के लिये प्रतिबद्ध हैं. 

स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन आयोजन स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन.
UN News/Laura Quinones
स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन आयोजन स्थल के बाहर विरोध प्रदर्शन.

कोस्टा रीका की पर्यावरण व ऊर्जा मंत्री एण्ड्रिया मेज़ा ने कहा, “जीवाश्म ईंधन में निवेश किये जाने वाला हर डॉलर, नवीकरणीय और प्रकृति संरक्षण के लिये एक डॉलर कम है...”

एक हज़ार से अधिक नागरिक समाज संगठनों के जलवायु कार्रवाई नैटवर्क (Climate Action Network) ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि इसका लम्बे समय से इन्तज़ार था.

नैटवर्क के सदस्यों का मानना है कि, वैश्विक गोलार्द्ध में स्थित देश अब भी बड़ी मात्रा में तेल व गैस का उत्पादन कर रहे हैं, और उनकी इसे रोकने की कोई योजना नहीं है.

मगर, BOGA पहल दर्शाती है कि अब स्थिति बदल रही है और बहुत से देशों के लिये, जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध ढंग से हटाना वर्जित नहीं है.

विश्व भर से शहरों का संकल्प

दुनिया भर के एक हज़ार से ज़्यादा शहरों ने कॉप26 सम्मेलन के दौरान, वर्ष 2030 तक अपने उत्सर्जनों की मात्रा में 50 फ़ीसदी की कटौती और 2050 तक नैट-शून्य के लक्ष्य को हासिल करने की घोषणा की है.

कोलम्बिया के बोगोटा शहर की मेयर क्लाउडिया लोपेज़ ने यूएन न्यूज़ को बताया, “क़रीब 30 वर्षों की कॉप बैठकों में, कॉप26 ऐसी पहली है जिसमें स्थानीय व शहरी निकाय, एक आवाज़ के साथ आए और उदाहरण पेश करते हुए नेतृत्व किया.”

“यह पहली बार है जब हम 1,049 शहरों का संकल्प दिखा पाए हैं, जिनके पास पहले ही जलवायु कार्रवाई व निवेश हैं.”

कॉप26 सम्मेलन में गुरूवार को शहरी क्षेत्रों व निर्मित पर्यावरण पर चर्चा हुई है. बताया गया है कि वर्ष 2050 तक 68 प्रतिशत वैश्विक आबादी के शहरों में बसने का अनुमान है, जिसके मद्देनज़र एक टिकाऊ व सुदृढ़ शहरी भविष्य का निर्माण बेहद अहम है.

2050 तक, एक अरब 60 करोड़ लोग शहरों में रह रहे होंगे, लेकिन उन्हें अत्यधिक उच्च तापमानों का सामना करना पड़ सकता है. 

इसके अलावा, 80 करोड़ लोग ऐसे शहरों में बसे होंगे, जिन पर समुद्री जलस्तर में वृद्धि होने और तटीय इलाक़ों में बाढ़ का जोखिम मण्डरा रहा है. 

जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में टिकाऊ शहरों से मदद मिल रही है.
Unsplash/Chuttersnap
जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में टिकाऊ शहरों से मदद मिल रही है.

बेहतर भविष्य का निर्माण

पर्यावास मामलों की यूएन एजेंसी - UN Habitat के मुताबिक़, विश्व की 78 फ़ीसदी ऊर्जा की खपत शहरों में ही होती है, और वे 60 प्रतिशत से अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार है. जबकि पृथ्वी की सतह के कुल आकार में उनका हिस्सा दो प्रतिशत से भी कम है.

यूएन पर्यावरण एजेंसी की प्रमुख इन्गेर ऐण्डरसन ने कॉप26 की एक चर्चा के दौरान, निर्माण को ज़्यादा ऊर्जा दक्ष बनाए जाने का आग्रह किया. 

उन्होंने कहा कि हर सप्ताह, पेरिस के आकार के समतुल्य नई इमारतें बनाई जाती हैं, और इस विषय में जलवायु, जैवविविधता, जीवन की गुणवत्ता जैसी बातों का भी ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, केवल 19 देशों ने ही इमारतों के लिये ऊर्जा दक्षता के लिये कोड निर्धारित व लागू किये हैं.

बहुत से देशों में भविष्य में इमारत निर्माण, इन उपायों को इस्तेमाल किये बिना ही आगे बढ़ाया जाएगा. 

इन्गेर ऐण्डरसन ने आगाह किया कि ऊर्जा दक्ष इमारत में निवेश किये जाने वाले हर एक डॉलर पर, 37 डॉलर पारम्परिक इमारतों में निवेश किये जाते हैं, जोकि ऊर्जा दक्षता के नज़रिये से पर्याप्त नहीं हैं. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि धीमी रफ़्तार पर होने वाले, छोटे-छोटे बदलावों के बजाय, वास्तव में सैक्टर की कायापलट कर देने की आवश्यकता है और बेहतर निर्माण सुनिश्चित किया जाना होगा.