कॉप26: जलवायु वित्त के लिये, निजी सैक्टर के संकल्प
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन कॉप26 में बुधवार का दिन, वित्तीय घोषणाओं के नाम रहा. सबसे बड़ी घोषणा थी – दुनिया भर की लगभग 500 वित्तीय संस्थाओं व संगठनों द्वारा पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, 130 ट्रिलियन की धनराशि जुटाने पर सहमति. इन लक्ष्यों में तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना भी शामिल है और ये धनराशि दुनिया की कुल वित्तीय सम्पदाओं का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है.
जलवायु कार्रवई और वित्त के लिये संयक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्क कार्नी ने नैट शून्य के लिये ग्लासगो वित्तीय गठबन्धन को इकट्ठा किया है.
ये गठबन्धन बैंकों हस्तियों, बीमा कम्पनियों की हस्तियों और निवेशकों का एक ऐसा समूह है जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को अपने कामकाज के केन्द्र में रखने का संकल्प व्यक्त किया है.
लेकिन इस सबका क्या अर्थ है?
मार्क कार्नी ने कॉप26 के जलवायु वित्त कार्यक्रम के दौरान, प्रतिनिधियों से दो टूक अन्दाज़ में कहा, “आज मुख्य सन्देश ये है कि धन मौजूद है, बदलाव के लिये धन मौजूद है, और ये कोई आँय, बाँय, शाँय करने का समय नहीं है.”
बैंक ऑफ़ इंगलैण्ड के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी ने ज़ोर देकर कहा कि वो नैट शून्य के मुद्दे को, नई वित्तीय व्यवस्था के एक अति महत्वपूर्ण ढाँचे के रूप में देखते हैं.
उन्होंने कहा, “ये दरअसल ग्राहकों का ध्यान केन्द्रित करने का मुद्दा है, यानि जहाँ कार्बन उत्सर्जन हो रहे हैं वहीं पर उनकी मात्रा कम करने में मदद पर ध्यान केन्द्रित करना."
"तो, जिन कम्पनियों के पास कार्बन उत्सर्जन घटाने की योजनाएँ हैं, उन्हें धनराशि व सम्पदा भी मिल जाएगी, जिन कम्पनियों के पास ऐसी योजनाएँ नहीं हैं, उन्हें धन भी नहीं मिलेगा. इसलिये मैं उनसे, ऐसी योजनाएँ तुरन्त बनाने और उन पर अमल करने की सिफ़ारिश करता हूँ.”
मार्क कार्नी ने कहा कि हमें इस बारे में जानकारी भी मिलती रहेगी कि कौन सी कम्पनी या संगठन क्या कर रहे हैं, कौन बेहतर कर रहे हैं और किन्हें बेहतर करने की ज़रूरत है. हमें ये भी जानकारी मिलती रहेगी कि किनके पास नीतियाँ है और किनके पास नहीं हैं.
निजी क्षेत्र की ज़रूरत क्यों?
इस गठबन्धन के अनुसार निजी क्षेत्र से मिलने वाले धन की बदौलत, निजी क्षेत्र के कार्यक्रमों के लिये धन उपलब्ध हो सकता है, और सार्वजनिक चैनलों के ज़रिये जलवायु निवेश में लगाए गए अरबों डॉलर की राशि को, खरबों के जलवायु निवेश में तब्दील किया जा सकता है.
मगर व्यवस्थाओं व प्रणालियों में बदलाव के लिये पूरी वित्तीय व्यवस्था में, सहकारिता, महत्वाकांक्षी संकल्प, और निकट अवधि वाली कार्रवाई की ज़रूरत होगी.
मार्क कार्नी ने कॉप26 की इस वृहद सभा में कहा, “आज से पहले तक, दुनिया में इस बदलाव के लिये समुचित धन उपलब्ध नहीं था, ये एक ऐतिहासिक पड़ाव है.”
जलवायु परिवर्तन के लिये यूएन कन्वेन्शन (UNFCCC) की कार्यकारी निदेशक पैट्रीशिया ऐस्पिनोसा के अनुसार, निसन्देह विश्व की अर्थव्यवस्था में एक गहरे और व्यापक बदलाव की ज़रूरत है, और निजी सैक्टर को इस बदलाव का हिस्सा बनना होगा.

उन्होंने एक पत्रकार सम्मेलन में कहा कि निजी सैक्टर को अब ये समझ में आ रहा है कि जलवायु जोखिम, उनके पोर्टफ़ोलियो के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं और उन्हें अपने कामकाज के तरीक़े ज़्यादा टिकाऊ बनाने होंगे.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की मुखिय इन्गेर ऐण्डर्सन की नज़र में, निजी सैक्टर के साथ नया गठबन्धन, एक अति महत्वपूर्ण मुद्दा है.
उन्होंने कहा, “हमारी कार्बन अन्तर रिपोर्ट दिखाती है: मौजूदा राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDCs) के अनुसार, लगभग 500 गीगा टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बचा हुआ है. हमने चार गीगाटन उत्सर्जन घटा दिया, मगर हम प्रतिवर्ष 55 गीगाटन उत्सर्जन फैला भी रहे हैं. ये आँकड़े आपस में मेल नहीं खाते हैं.”
“वित्तीय सैक्टर के लिये, काफ़ी वास्तविक अवसर मौजूद हैं, हमें कोयला, तेल और गैस के प्रयोग से दूर हटना होगा.”