जलवायु मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UNFCCC) की कार्यकारी सचिव पैट्रीशिया ऐस्पिनोसा ने रविवार को, संयुक्त राष्ट्र के 26वें वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) के उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि कार्बन उत्सर्जनों में त्वरित और व्यापक कटौती के अभाव में, मानवता के भविष्य के लिये गम्भीर संकट पैदा होने की आशंका है. उन्होंने कहा कि जलवायु चुनौती पर पार पाने के लिये संसाधन मौजूद हैं और साझा उद्देश्य के प्रति एकता, भरोसे का स्रोत है.
रविवार, 31 अक्टूबर, को स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में कॉप26 सम्मेलन शुरू हुआ है.
12 नवम्बर तक चलने वाले इस सम्मेलन में सभी मोर्चों पर महत्वाकांक्षा बढ़ाने और पैरिस जलवायु समझौते को कारगर ढंग से लागू किये जाने के लिये दिशा-निर्देशों को अन्तिम रूप देने पर चर्चा होगी.
सम्मेलन से ठीक पहले अनेक रिपोर्टें और अध्ययन जारी किये गए हैं, जिनके निष्कर्षों में मौजूदा जलवायु कार्रवाई को अपर्याप्त क़रार दिया गया है.
इन अध्ययनों में, पैरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य तक सीमित रखने के लिये महत्वाकांक्षी जलवायु संकल्पों की अहमियत को रेखांकित किया गया है.
कार्यकारी सचिव ऐस्पिनोसा ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में, दुनिया एक अहम पड़ाव पर खड़ी है. उन्होंने कॉप26 में सफलता को पूर्ण रूप से सम्भव बताते हुए अपने आशावादी रुख़ की वजह बताई.
“मेरे विचार में हम जो समझ व देख रहे हैं, हम जानते हैं कि यह रूपान्तरकारी बदलाव हो सकता है. उपकरण, संसाधन व समाधान मौजूद हैं.”
“ये बस समय की बात है.”
उन्होंने कहा कि विचारों में भिन्नताएँ हैं, मगर यह देखना भी भरोसा दिलाता है कि उद्देश्यों को लेकर एकता है.
“कॉप26 में एक सफल नतीजे के लिये, एक साथ मिलकर वाक़ई में काम करने के लिये इच्छुक हैं.”
‘अस्तित्व पर संकट’
यूएन महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कॉप26 के उदघाटन कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मानवता के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.
“हमारे पास इस संकट को हल करने के लिये क्षमता और संसाधन मौजूद हैं. मगर हम पर्याप्त क़दम नहीं उठा रहे हैं.”
महासभा प्रमुख ने पुख़्ता जलवायु कार्रवाई के लिये नवीकरणीय उर्जा टैक्नॉलॉजी व नवाचारों को सभी देशों तक पहुँचाने के प्रयासों में तेज़ी लाने, निजी सैक्टर द्वारा नैट शून्य उत्सर्जन संकल्पों को समर्थन देने, उन्हें स्पष्ट व ज़्यादा असरदार बनाने का आग्रह किया है.
साथ ही निर्बल देशों में अनुकूलन प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित किये जाने और हरित रोज़गारो के सृजन पर बल दिया है.
इस क्रम में दुनिया के एक अरब 80 करोड़ युवाओं के कौशल को विकसित करने व हरित अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ने में उनके योगदान का उपयोग किये जाने की अपील की है.
‘अधूरी आशाएँ’
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, जी20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिये इटली की राजधानी रोम में थे, जहाँ से वह रविवार को ग्लासगो सम्मेलन के लिये रवाना हुए. उन्होंने अपने एक ट्वीट सन्देश में कहा कि रोम से वह अपनी अधूरी उम्मीदों के साथ जा रहे हैं, मगर उनकी आशाएँ पूरी तरह दफ़न नहीं हुई हैं.
यूएन प्रमुख के अनुसार, कॉप26 के दौरान उनका लक्ष्य 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ोत्तरी के लक्ष्य को जीवित रखना और आमजन व पृथ्वी के लिये वित्त पोषण व अनुकूलन के वादों को पूरा करना होगा.
महासचिव गुटेरेश ने जी20 समूह के एक सत्र में ध्यान दिलाया कि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना, सभी नेताओं का दायित्व है.
विशेष रूप से इसलिये, चूँकि इस समूह के सदस्य वैश्विक उत्सर्जन के 80 प्रतिशत के लिये ज़िम्मेदार हैं. यूएन प्रमुख के मुताबिक़, ग्लासगो में हो रही बैठक, जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले में एक नया मोड़ साबित हो सकती है, मगर इसके लिये कार्रवाई की आवश्यकता होगी.
महासचिव ने टिकाऊ विकास के मुद्दे पर एक अन्य सत्र को सम्बोधित करते हुए आगाह किया कि मौजूदा समय में आर्थिक विकास, गहरी विषमताओं पर आधारित है और ये असमानताएँ बढ़ रही हैं.
इस क्रम में उन्होंने समावेशी, टिकाऊ विकास पर ज़ोर दिया है ताकि पृथ्वी पर मंडराते तिहरे संकट – जलवायु, जैवविविधता, प्रदूषण – पर पाया जा सके और स्थिर समाज सुनिश्चित किये जा सकें.