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कोविड-19 से मौत का शिकार हुए स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या एक लाख 80 हज़ार तक

फ़िलीपीन्स में एक सुविधा केन्द्र पर, कोविड-19 की वैक्सीन के टीके तैयार किये जाते हुए.
ADB/Eric Sales
फ़िलीपीन्स में एक सुविधा केन्द्र पर, कोविड-19 की वैक्सीन के टीके तैयार किये जाते हुए.

कोविड-19 से मौत का शिकार हुए स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या एक लाख 80 हज़ार तक

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरूवार को कहा है कोविड-19 महामारी के कारण, दुनिया भर में, जनवरी 2020 से मई 2021 के बीच, 80 हज़ार से एक लाख 80 हज़ार के बीच स्वास्थ्यकर्मियों व देखभाल कर्मियों की मौत हो जाने का अनुमान है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का ये खेदनजक अनुमान, उस जानकारी पर आधारित है जो, दुनिया भर में कोरोनावायरस महामारी के कारण, मई 2021 तक हुई लगभग साढ़े 34 लाख लोगों की मौतों के बारे में, एजेंसी को प्राप्त हुई थी.

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संगठन का साथ ही ये भी कहना है कि मौत का शिकार हुए लोगों की असली संख्या, इस आँकड़े से लगभग 60 प्रतिशत ज़्यादा होने की आशंका है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन और महामारी का ख़ात्मा करने के लिये काम कर रहे वैश्विक साझीदारों ने, बेहतर संरक्षा की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए, स्वास्थ्य सैक्टर में कार्यरत कर्मियों की हिफ़ाज़त के लिये ठोस कार्रवाई किये जाने की पुकार भी लगाई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए दोहराया कि “हर एक स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़, उसमें काम करने वाले लोग हैं.”

उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी की स्थिति, हमें ये ज़ोरदार तरीक़े से दिखाती है कि, हम स्वास्थ्यकर्मियों पर किस हद तक निर्भर हैं, और जो लोग हमारे स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं, जब वो संरक्षण के बिना रह जाते हैं तो हम कितने नाज़ुक हालात में रह जाते हैं.”

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी और उसके साझीदार संगठनों का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मियों के समुदाय में इतनी बड़ी संख्या में मौतें होने के अलावा, बहुत से लोग मानसिक दबाव, चिन्ता और थकान से भी प्रभावित हैं.

उन्होंने, दुनिया भर में नेतृत्व कर्ताओं और नीति-निर्माताओं ये सुनिश्चित करने का आहवान का है कि स्वास्थ्य और देखभाल कर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन की उपलब्धता हो.

सितम्बर महीने के अन्त तक, औसतन, पाँच में से दो स्वास्थ्यकर्मियों का पूर्ण टीकाकरण हुआ था, मगर अलग-अलग क्षेत्रों में इस संख्या में बहुत अन्तर है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “अफ़्रीका में, औसतन दस में से लगभग एक स्वास्थ्यकर्मी को ही, वैक्सीन के पूरे टीके मिल पाए हैं. जबकि उच्च आय वाले अधिकतर देशों में, 80 प्रतिशत तक स्वास्थ्यकर्मियों का पूर्ण टीकाकरण हो गया है.” 

जी20 की तरफ़ से कार्रवाई हो

दस दिनों के भीतर, जी20 के देशों के नेतृत्व कर्ताओं की बैठक होने वाली है. अब से लेकर तब तक, वैक्सीन की लगभग 50 करोड़ ख़ुराकों का उत्पादन होगा.

इस साल के आख़िर तक, हर एक देश में लगभग 40 प्रतिशत आबादी को टीके मुहैया कराने के लिये, इतनी ही संख्या में ख़ुराकों की ज़रूरत है.

इस समय, 82 देश, इस लक्ष्य से पीछे छूट जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं. इनमें से लगभग 75 प्रतिशत देशों के लिये, वैक्सीन की अपर्याप्त आपूर्ति मुख्य समस्या है. 

नैतिक ज़िम्मेदारी

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री और वैश्विक स्वास्थ्य वित्त के लिये, WHO के दूत गॉर्डन ब्राउन ने वीडियो लिंक के ज़रिये पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अगर जी20 देश तेज़ी से कार्रवाई नहीं करते हैं तो ये एक ऐतिहासिक दर्जे की नैतिक तबाही बन जाएगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इन देशों ने, संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में चलाई जा रही वैक्सीन समता पहल – कोवैक्स को, एक अरब 20 करोड़ ख़ुराकें दान कराने का संकल्प व्यक्त किया है. अभी तक केवल 15 करोड़ ख़ुराकें ही मुहैया कराई गई हैं.

गॉर्डन ब्राउन ने कहा है कि धनी देशों द्वारा अपने भण्डारों में रखी गईं करोड़ों ख़ुराकें जल्द ही बेकार हो जाने के कगार पर हैं, इसलिये, उन्हें तत्काल ये ख़ुराकें समन्वित तरीक़े से, निम्न आय वाले देशों में पहुँचा देनी चाहिये.

उन्होंने दलील देते हुए कहा कि धनी देश अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अपना आर्थिक कर्तव्य नहीं निभा पाने के दोषी होंगे, जो हम सभी के लिये शर्म की बात होगी.

गॉर्डन ब्राउन ने चेतावनी भरे शब्दों में ये भी कहा कि वैक्सीन विषमता जितने लम्बे समय तक चलेगी, उतनी ही लम्बी अवधि तक ये वायरस मौजूद रहेगा.