यमन: मारे गए या अपंग हुए बच्चों की संख्या पहुँची - दस हज़ार से ऊपर
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने मंगलवार को कहा है कि यमन में मार्च 2015 में भड़के गृहयुद्ध में एक और शर्मनाक पड़ाव पार हो गया है जब इस लड़ाई में मारे गए या अपंग हुए बच्चों की संख्या 10 हज़ार को पार कर गई है.
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने कहा है कि औसतन ये संख्या, हर दिन चार बच्चों की मौत या उनके अपंग होने के बराबर है.
"Today, we have surpassed 10,000 Yemeni children killed or injured.#Yemen is the most difficult place in the world to be a child; incredulously, it's getting worse," -- @1james_elder of @UNICEF pic.twitter.com/9EIimhMYAu
UNGeneva
उन्होंने सभी पक्षों से लड़ाई तुरन्त रोक देने का आग्रह करते हुआ कहा कि यमन, बच्चों के लिये, दुनिया भर में सबसे कठिन स्थानों में से एक है. और निसन्देह, यह और भी ज़्यादा बदतर होता जा रहा है.
विश्व का बदतरीन मानवीय संकट
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर के अनुसार, यमन में युद्ध के कारण उत्पन्न हालात, दुनिया का सबसे बदतरीन संकट बने हुए हैं.
उन्होंने कहा कि इस संकट में चार तरह के जोखिमों के तार उलझे हुए हुए हैं: यह एक हिंसक और लम्बा चल रहा संघर्ष है, आर्थिक विनाश, स्वास्थ्य सहित, तमाम सार्वजनिक सेवाएँ ढह जाने के कगार पर हैं, कुपोषण, पानी व स्वच्छता, शिक्षा, संरक्षण का मुद्दा; और धन की क़िल्लत का सामना कर रही संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था.
यूनीसेफ़ के अनुसार, यमन में एक करोड़ 10 लाख से भी ज़्यादा बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है, यानि लगभग हर पाँच में से चार बच्चों को.
क़रीब चार लाख बच्चे, अत्यन्त गम्भीर कुपोषण का शिकार हैं, 20 लाख से ज़्यादा बच्चे, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, और दो तिहाई शिक्षकों को चार वर्ष से नियमित वेतन नहीं मिला है, जिनकी संख्या क़रीब एक लाख 70 हज़ार है.
लगभग 17 लाख बच्चे, अब देश के भीतर ही विस्थापित हैं और क़रीब डेढ़ करोड़ लोगों को, स्वच्छ पानी, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता के साधन उपलब्ध नहीं है, जिनमें आधी संख्या बच्चों की है.
यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, “मौजूदा उपलब्ध धनराशि और लड़ाई का कोई ख़ात्मा नहीं होने पर, यूनीसेफ़, तमाम बच्चों तक मदद पहुँचाने में सफल नहीं रह सकता.”
“सीधे शब्दों में कहा जाए तो अन्तरराष्ट्रीय समर्थन व सहायता के अभाव में, और ज़्यादा बच्चों की मौत होगी, जबकि उनका इस लड़ाई में कोई भी हाथ नहीं है.”
साढ़े 23 करोड़ डॉलर की दरकार
उनका कहना है कि यमन में यूनीसेफ़ को जीवरक्षक कार्यक्रम, वर्ष 2022 के मध्य तक जारी रखने के लिये, साढ़े 23 करोड़ डॉलर की रक़म की आवश्यकता है.
यूनीसेफ़ ने लगभग चार हज़ार प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में, अत्यन्त गम्भीर कुपोषण से पीड़ितों के इलाज में मदद की है.
हर तिमाही में, लगभग 15 लाख परिवारों को नक़दी मुहैया कराई है जिससे लगभग 90 लाख लोगों को फ़ायदा पहुँचा है.
साथ ही 50 लाख से ज़्यादा लोगों को पीने का स्वच्छ पानी मुहैया कराया है.
यूनीसेफ़ ने संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली वैक्सीन उपलब्धता पहल – कोवैक्स के ज़रिये, कोविड-19 वैक्सीन भी मुहैया कराई हैं, मनोवैज्ञानिक सहायता पहुँचाई है, बारूदी सुरंगों के बारे में जागरूकता फैलाई है और बेहद कमज़ोर हालात वाले बच्चों को सीधे सहायता मुहैया कराई है.
साथ ही हज़ारों सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करके तैनात किया है.
यूनीसेफ़ ने केवल वर्ष 2021 के दौरान, लगभग छह लाख 20 हज़ार बच्चों को, औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा तक पहुँच बनाने में मदद की है.
साथ ही रोकी जा सकने वाली बीमारियों के वैक्सीन टीके मुहैया कराए हैं – जिनमें पोलियो अभियान के तहत, 50 लाख से ज़्यादा बच्चों तक ख़ुराकें पहुँचाना भी शामिल है.