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‘सत्ता के सामने सच कहने वाले’ दो पत्रकार, नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित

दिमित्री मुलातोफ़ (बाएँ) और मारिया रेस्सा को, संयुक्त रूप से, वर्ष 2021 के नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
Euku via Wikimedia Commons/UNESCO
दिमित्री मुलातोफ़ (बाएँ) और मारिया रेस्सा को, संयुक्त रूप से, वर्ष 2021 के नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

‘सत्ता के सामने सच कहने वाले’ दो पत्रकार, नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित

संस्कृति और शिक्षा

रूस और फ़िलीपीन्स के दो पत्रकारों को वर्ष 2021 के नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है जिस पर, यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि ये पुरस्कार, इस सच्चाई को मान्यता देता है कि एक स्वतंत्र प्रैस “शान्ति, न्याय, टिकाऊ विकास और मानवाधिकारों के लिये अनिवार्य है – स्वतंत्र व निष्पक्ष संस्थान निर्माण की एक बुनियाद भी है.”

नोबेल शान्ति पुरस्कार पाने वाली फ़िलीपीन्स की पत्रकार हैं - मारिया रेस्सा जो ऑनलाइन समाचार संगठन – रैपलर (Rappler) की सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं.

पुरस्कार पाने वाले एक अन्य पत्रकार हैं रूस के दिमित्री मुरातोफ़, जो नवाया ग़ज़ेटा अख़बार के मुख्य सम्पादक और सह-संस्थापक हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इन दो पत्रकारों को नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर बधाई सन्देश में कहा है, “कोई भी समाज, ऐसे पत्रकारों के बिना स्वतंत्र और न्यायसंगत नहीं हो सकता जो, व्यवस्थाओं की ग़लतियों की जाँच-पड़ताल कर सकें, नागरिकों तक सही जानकारी व सूचनाएँ पहुँचाएँ, सार्वजनिक हस्तियों को जवाबदेह ठहराएँ और सत्ता के सामने सत्य बोलें.”

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पत्रकारिता हमारी महान सहयोगी

यूएन प्रमुख ने कहा कि इसके बावजूद, मीडिया के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाज़ी और मीडियाकर्मियों के ख़िलाफ़ हमले उभार पर हैं.

उन्होंने कहा, “हम पत्रकारों के ख़िलाफ़ हिंसा और उनके उत्पीड़न में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं, ये निजी रूप में, और ऑनलाइन मंचों पर हो रहा है. अक्सर महिला पत्रकारों को, विशेष दुर्व्यवहार का निशाना बनाया जाता है.”

साथ ही, टैक्नॉलॉजी ने, सूचना के आदान-प्रदान और फैलाव के तरीक़े पूरी तरह बदल दिये हैं, और अक्सर नई टैक्नॉलॉजी के इन तरीक़ों का ग़लत इस्तेमाल, आम जनता की राय को नकारात्मक रूप में प्रभावित करने और हिंसा व नफ़रत को ईंधन मुहैया कराने के लिये किया जाता है.

एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी के दौर में, अक्सर झूठ के ज़रिये सच्चाई को दबाने की कोशिशें हुई हैं, मगर “इस चलन को एक नई सामान्य स्थिति नहीं बनने दिया जा सकता”.

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा, “मुक्त व स्वतंत्र पत्रकारिता, दुष्प्रचार और ग़लत जानकारी का फैलाव रोकने में, हमारी महान सहयोगी है.”

उन्होंने कहा, “पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए, आइये, प्रैस स्वतंत्रता के लिए हम, अपना संकल्प एक बार फिर मज़बूत करें, पत्रकारों की बुनियादी भूमिका को पहचान दें और एक मुक्त, स्वतंत्र और विविधतापूर्ण मीडिया को समर्थन देने के लिये, हर स्तर पर अपने प्रयास फिर से मज़बूत करें.”

कठिन परिश्रम व साहस का फल

फ़िलीपीन्स की पत्रकार सुश्री मारिया रेस्सा, लगभग तीन दशकों से प्रैस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देती रही हैं, जिस कारण, वो कभी-कभी हमलों व दुर्व्यवहार का निशाना भी बनाई गई हैं.

58 वर्षीय मारिया रेस्सा को, फ़िलीपीन्स के राष्ट्रपति रॉड्रिगो डुएर्टे की और उनके ड्रग युद्ध की आलोचना करने वाले लेख प्रकाशित करने पर, अनेक आपराधिक आरोपों व जाँच-पड़ताल का भी सामना करना पड़ा है.

संयुक्त राष्ट्र के सांस्कृतिक संगठन – यूनेस्को के अनुसार, मारिया रेस्सा को, “अपने व्यवसाय पर अमल करने से सम्बन्धित कथित अपराधों” के लिये गिरफ़्तार भी किया गया है, और उन्हें महिला होने के नाते, उनके ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने और ऑनलाइन मंचों पर धमकियाँ देने, गालियों भरी भाषा का इस्तेमाल करने और उत्पीड़न का लगातार निशाना बनाया गया है.

इस सबके परिणामस्वरूप, उन्हें एक समय, फ़ेसबुक पर हर घण्टे, औसतन नफ़रत भरे 90 सन्देश प्राप्त हो रहे थे.

मारिया रेस्सा, एशिया के लिये, सीएनएन की प्रमुख खोजी पत्रकार रहने के अलावा, एबीएस-सीबीएन के समाचार व समकालीन मामलों की प्रमुख भी रही हैं.

टाइम पत्रिका द्वारा 2018 में, “पर्सन ऑफ़ द ईयर” घोषित किये गए पत्रकारों की सूची में भी उनका नाम शामिल था.

बलिदान देने वाले सहकर्मियों को सम्मान

दिमित्री मुरातोफ़ का अख़बार, रूस में सत्तारूढ़ अभिजात्य वर्ग और विशेष रूप से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुखर आलोचना करने वाले, चन्द अख़बारों में से एक है.

इस अख़बार को, कथित रूप से धमकियों और उत्पीड़न का निशाना बनाया जा रहा है, ख़ासतौर से, चेचन्या में मानवाधिकार हनन सम्बन्धी उसकी कवरेज के लिये.

उनके नवाया ग़ैज़ेटा अख़बार के छह पत्रकारों की हत्याएँ हो चुकी हैं और यह नोबेल शान्ति पुरस्कार, अख़बार की एक अन्य रिपोर्टर ऐना पोलित्कोव्सकाया की हत्या के 15 वर्ष पूरे होने के एक दिन बाद घोषित हुआ है.

मीडिया ख़बरों के अनुसार, 59 वर्षीय दिमित्री मुरातोफ़ ने कहा है, “हम रूसी पत्रकारिता का प्रतिनिधित्व करना जारी रखेंगे, जिसे अब दबाया जा रहा है.”

दिमित्री मुरातोफ़ को यह कहते हुए भी बताया गया है कि उन्होंने ये सम्मान “उन पत्रकारों को समर्पित किया है जिन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के जनाधिकारों की ख़ातिर, अपने प्राणों का बलिदान कर दिया.”

उन्होंने इस सन्दर्भ में, कुछ ऐसे पत्रकारों के नाम भी लिये जिनकी, पत्रकारिता करने के लिये, हत्या कर दी गई, “ये पुरस्कार उनके लिये है”.

पुरस्कार, सम्मान व राशि

विश्व के इस प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक के साथ-साथ, लगभग 14 लाख डॉलर की पुरस्कार राशि भी भेंट की जाती है.

ये पुरस्कार स्वीडन के अन्वेषक अल्फ़्रेड नोबेल ने स्थापित किया था, जिन्होंने 1985 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.

नोबेल शान्ति पुरस्कारों के लिये, वर्ष 2021 के नामांकन में, ग्रेटा थनबर्ग, बेलारूस की मानवाधिकार कार्यकर्ता व राजनैतिक हस्ती स्वियातलाना त्सिख़ानौस्काया और जेल में बन्द रूसी विपक्षी नेता एलेक्सेई नवालनी शामिल थे.

इन हस्तियों के अलावा, जिन संगठनों को नोबेल शान्ति पुरस्कार के लिये नामांकन मिला था, उनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली ‘समानता वैक्सीन वितरण पहल’ – कोवैक्स और नस्लभेद के ख़िलाफ़ अभियान – ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ भी शामिल थे.

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