कोविड से उपजी असमानताओं के मद्देनज़र - 'नए सामाजिक अनुबन्ध' की ज़रूरत
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा कि कोविड-19 से हर जगह "गहरी संरचनात्मक असमानताएँ उजागर हुई हैं", जिससे देशों के भीतर व उनके बीच की खाई और ज़्यादा चौड़ी हो गई है.
मिशेल बाशेलेट ने, दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू शहर में, विश्व मानवाधिकार नगर फ़ोरम (WHRCF)’ के दौरान गुरूवार को ये बात कही.
ये फ़ोरम - चुनौती भरे समय में मानवाधिकार: ‘एक नया सामाजिक अनुबन्ध’ (Human Rights in Times of Challenge: A New Social Contract) नामक थीम पर आयोजित किया गया.
मानवाधिकार प्रमुख ने अपने सम्बोधन में कहा कि ग़रीबी, असमानता और भेदभाव बढ़ता जा रहा है, जिससे नागरिकों और उनके नेताओं के बीच अविश्वास पनप रहा है.
अपने वीडियो सन्देश में उन्होंने कहा, "इससे पहले भी, दुनिया के अनेक हिस्सों में हुए प्रदर्शनों ने हमें सचेत किया था कि अगर सामाजिक और आर्थिक अधिकार क़ायम नहीं रखे गए, तो समाज ख़तरे में पड़ जाएगा."
दोबारा विश्वास क़ायम करने की ज़रूरत
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख के मुताबिक़, नागरिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समेत सभी मानवाधिकारों को बढ़ावा देता व उनकी रक्षा करता एक नया सामाजिक अनुबन्ध स्थापित करने से, दोबारा लोगों का विश्वास हासिल करना सम्भव हो सकेगा.
उन्होंने कहा, "इसमें सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और पानी व स्वच्छता के अधिकार सहित भेदभाव रहित जीवन जीने का अधिकार" शामिल है."
मिशेल बाशेलेट ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के अपने पिछले भाषण का हवाला देते हुए कहा कि जटिल कोविड-19 संकट से बाहर निकलने और एक समावेशी, हरित, टिकाऊ व सुदृढ़ भविष्य की दिशा में, एक स्पष्ट रास्ता तलाश करना ही “विश्व नेताओं की इस पीढ़ी का काम होगा” - या फिर उनके पतन” की वजह बनेगा.
समाजों में निवेश
मानवाधिकार प्रमुख ने ज़ोर देकर ये भी कहा कि "मानव अधिकारों में निवेश करने का मतलब है, संकटों के ख़िलाफ़ समाज को लचीला बनाने में निवेश करना."
उन्होंने वर्ष 2008 के आर्थिक संकट के बाद चिली के राष्ट्रपति के रूप में अपने व्यक्तिगत अनुभव का ज़िक्र करते हुए कहा, "मैंने मितव्ययिता उपायों से दूर रहना ठीक समझा और सामाजिक सुरक्षा में निवेश किया, जिससे हुए भारी लाभों का मैंने ख़ुद अनुभव किया."
मिशेल बाशेलेट ने यह बदलाव कार्य पेंशन सुधार के ज़रिये किया, जिससे महिलाओं के लिये एक बेहतर व्यवस्था की शुरुआत हुई, और पुनर्वितरण और समान पहुँच के साथ यह सुनिश्चित किया गया कि सबसे कमज़ोर वर्ग के लोगों को एक बुनियादी आय मिल सके.
उन्होंने कहा, "आर्थिक और सामाजिक आँकड़ों से यह संकेत मिला है कि ये नीतियाँ, ना केवल आर्थिक विकास और बुनियादी न्याय को बढ़ावा दे रही थीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सार्वजनिक संस्थानों में लोगों का विश्वास बढ़ाने का काम भी कर रही थीं."
"दुनिया भर में ये उद्देश्यों प्राप्त करने में, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और एकजुटता, बेहद महत्वपूर्ण हैं."
अमूल्य अनुभव
यह फ़ोरम अधिक समानतापूर्ण समाज के निर्माण के रास्तों की तलाश करने पर केन्द्रित है, जो कि मानव और ग्रह के लिये बेहतर होगा.
मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, "विशेष रूप से कोविड-19 के दौरान, शहरों और स्थानीय सरकारों को मानवाधिकारों को बढ़ावा देने व उनकी रक्षा करने का जो अनुभव मिला है, वो अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिये अमूल्य है."
अनेक स्थानीय सरकारों ने पहले से ही, अनेक प्रकार की मानवाधिकार योजना और घोषणाएँ विकसित कर ली हैं, जबकि कईं अन्य देश, अपने बजट में "किसी को पीछे न छोड़ देने" के लक्ष्य को प्राथमिकता दे रहे हैं.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने विस्तार से बताया कि जब महामारी के कारण स्कूल व कक्षाएँ बन्द करने के लिये मजबूर होना पड़ा था, या कोविड-19 संकट के कारण लोगों की आय के साधन ख़त्म हो गए थे और लोगों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध था, तो बड़ी संख्या में लोगों ने, बच्चों के घरों में स्कूली भोजन पहुँचाया.
बहुपक्षवाद को मज़बूत करना ज़रूरी
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि नागरिक जन, महापौरों और स्थानीय अधिकारियों से समाधानों की उम्मीद रखते हैं, लेकिन अक्सर अपने निर्वाचन क्षेत्रों को सीधे प्रभावित करने वाले निर्णयों में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है.
उन्होंने कहा, "स्थानीय सरकारों की आवाज़ को राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सुनने की ज़रूरत है."
उन्होंने कहा कि उनकी आवाज़ों से "बहुपक्षवाद मज़बूत होगा."
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, "मैं इस फ़ोरम में आप सभी से स्थानीय सरकारों के एक मज़बूत समुदाय के निर्माण की दिशा में मिलकर काम करने का आहवान करती हूँ, जो साथ मिलकर आपस में सहयोग करें और मानवाधिकारों के लिये लड़ें."