बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के कारण मंडराता जल संकट – WMO की चेतावनी

जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा सहित अन्य जल-सम्बन्धी जोखिमों में वृद्धि हो रही है और आबादी के साथ माँग बढ़ने व जल उपलब्धता में कमी से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ने की आशंका है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने अपनी एक नई रिपोर्ट में दुनिया पर मंडराते जल संकट पर चेतावनी जारी की है.
‘The State of Climate Services 2021: Water’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा जल प्रबन्धन, निगरानी, पूर्वानुमान और समय रहते चेतावनी प्रणालियों में समन्वय नहीं हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर जलवायु वित्त पोषण के लिये प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं.
वर्ष 2018 में, क़रीब साढ़े तीन अरब लोगों के पास, प्रति वर्ष एक महीने के लिये जल की पर्याप्त सुलभता नहीं थी. 2050 तक यह आँकड़ा बढ़कर पाँच अरब हो जाने की सम्भावना है.
#ClimateChange threatens us all and often plays out through water:Extreme rainfall, floods, drought, glacier and ice melt etcWe need better water management, monitoring, early warnings and investment.We are not doing enough to avert the looming crisis.https://t.co/YhOPw5hF8c pic.twitter.com/x6qXdL2UL4
WMO
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO) के महासचिव पेटेरी टालस ने बताया, “तापमान में बढ़ोत्तरी के परिणामस्वरूप, वैश्विक और क्षेत्रीय जल संग्रहण में परिवर्तन हो रहा है, जिससे वर्षा रुझानों और कृषि ऋतुओं में बदलाव आ रहा है.”
उन्होंने आशंका जताई है कि इसका खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक असर होगा.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के समन्वय से और 20 अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, विकास एजेंसियों और वैज्ञानिक संस्थानों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2000 से जल-सम्बन्धी आपदाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है.
इससे पहले के दो दशकों की तुलना में जल-सम्बन्धी त्रासदियों में 134 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अधिकाँश मौतें और आर्थिक हानि एशियाई देशों में देखने को मिली हैं, जहाँ चेतावनी प्रणालियों को मज़बूत बनाने पर बल दिया गया है.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के महानिदेशक ने ध्यान दिलाया कि पिछले एक वर्ष में, भीषण स्तर पर बारिश की घटनाओं से जापान, चीन, इण्डोनेशिया, नेपाल, पाकिस्तान और भारत में भारी बाढ़ की घटनाएँ हुई हैं.
इन घटनाओं की वजह से लाखों-करोड़ों लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं और सैकड़ों की मौत हुई है.
महासचिव टालस ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बाढ़ के कारण आए व्यवधान से सिर्फ़ विकासशील जगत प्रभावित हुआ है. “योरोप में आई विनाशकारी बाढ़ से सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और बड़े पैमाने पर नुक़सान हुआ है.”
पिछले 20 वर्षों में भूमि की सतह पर कुल जल की मात्रा और मृदा (soil) में नमी, बर्फ व जमे हुए पानी सहित भूमि की उपसतह में जल की मात्रा में प्रतिवर्ष एक सेण्टीमीटर की दर से गिरावट आई है.
सबसे अधिक हानि अण्टार्कटिका और ग्रीनलैण्ड में हो रही हैं, मगर अनेक बड़ी आबादी वाले स्थान भी इससे प्रभावित हो रहे हैं, जिसका जल सुरक्षा पर असर होने की आशंका है.
रिपोर्ट बताती है कि सूखे की घटनाओं और उनकी अवधि में पिछले दो दशकों में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अधिकाँश मौतें अफ़्रीका में हुई हैं, जो कि फिर से समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
यूएन एजेंसी महासचिव के अनुसार जल की किल्लत अनेक देशों के लिये चिन्ता की एक बड़ी वजह है, विशेष रूप से अफ़्रीकी देशों के लिये.
“दो अरब से अधिक लोग जल की कमी झेल रहे देशों में रहते हैं और उन्हें सुरक्षित पेयजल की सुलभता और स्वच्छता के अभाव को सहना पड़ता है.”
“हमें मंडराते जल संकट के प्रति जागना होगा.”
रिपोर्ट में जल प्रबन्धन को बेहतर बनाने पर बल दिया गया है, जिसके लिये जल व जलवायु नीतियों को एकीकृत करना होगा और निवेश का स्तर बढ़ाना होगा.
बताया गया है कि इस क्षेत्र में मौजूदा उपाय पर्याप्त नहीं हैं और उनमें समन्वय का अभाव है.
रिपोर्ट में पेश अनुशन्साओं में एकीकृत संसाधन जल प्रबन्धन में निवेश करने के लिये कहा गया है ताकि जल की किल्लत से उपजने वाले दबावों से निपटने के लिये बेहतर प्रबन्धन सुनिश्चित किया जा सके.
लघु द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) और विश्व के सबसे कम विकसित देशों (LDCs) के लिये यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा. साथ ही निर्धनतम देशों में सूखा व बाढ़ की घटनाओं के लिये समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों में निवेश किये जाने का आग्रह किया गया है.
इसके समानान्तर, देशों को जलवायु सेवाओं और समय रहते चेतावनी प्रणालियों के लिये डेटा जुटाने में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिये प्रोत्साहित किया गया है.
इसके अलावा, जल एवँ जलवायु गठबंधन में शामिल होने का सुझाव दिया गया है.
यह विश्व मौसम विज्ञान एजेंसी की एक पहल है जिसमें जल संसाधनों की समीक्षा को बेहतर बनाने सहित अन्य सेवाओं के लिये सहयोग प्रदान किया जाता है.