व्यापार एवँ विकास पर यूएन सम्मेलन – निर्बल देशों के लिये समर्थन बढ़ाने का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने व्यापार एवँ विकास पर यूएन के एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए, कोविड-19 से पुनर्बहाली को टिकाऊ व समावेशी बनाने पर बल दिया है. बारबेडॉस की राजधानी ब्रिजटाउन में सोमवार को 'UNCTAD15' सम्मेलन की शुरुआत हुई है जिसमें यूएन प्रमुख ने कर्ज संकट पर पार पाने के लिये चार-सूत्री कार्रवाई योजना को पेश किया है.
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी (UNCTAD) का यह मंत्रिस्तरीय सम्मेलन हर चार वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है, जो कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले अहम व उभरते मुद्दों पर सम्वाद के लिये एक मंच है.
महासचिव गुटेरेश ने अपने सम्बोधन मे आगाह किया कि विषमतापूर्ण पुनर्बहाली से अधिकाँश दुनिया के पीछे छूट जाने का ख़तरा है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने कर्ज़ के बोझ, निवेश की कमी, अनुचित व्यापार और जलवायु आपात स्थिति से जूझ रहे निर्बल देशों के लिये समर्थन बढ़ाने का आग्रह किया है.
On my visit to Barbados, I heard from people on the frontlines of the climate crisis.For small island countries, adapting & building resilience to climate change is not a luxury — it is an urgent priority.At least 50% of public climate finance must go towards this vital work. pic.twitter.com/ywTYt3sECk
antonioguterres
साथ ही, यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन समता को सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है और कि यह एक बड़ी यात्रा की दिशा में पहला क़दम होगा.
उन्होंने मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में प्रतनिधियों को बताया कि “हमें एक निडर, टिकाऊ और समावेशी वैश्विक पुनर्बहाली के साथ हालात को बदलने की ज़रूरत है.”
महासचिव ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि इसका लाभ चँद लोगों के बजाय ज़्यादा संख्या में लोगों तक पहुँचाना होगा, जिससे उनमें आशा का संचार हो और पृथ्वी को महरहम लगाया जा सके.
यूएन महासचिव ने सचेत किया कि वैश्विक महामारी से उबरते हुए देश तब तक पुनर्निर्माण नहीं कर सकते, जब तक वे कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं.
यूएन प्रमुख ने ‘स्पेशल ड्राइंग राइट्स’ (एसडीआर) के तहत हाल ही में 650 अरब डॉलर जारी किये जाने का स्वागत किया, जो कि अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा सृजित एक प्रकार की विदेशी मुद्रा आरक्षित सम्पत्ति है.
उन्होंने कहा कि इस समर्थन को और अधिक बढ़ाये जाने की आवश्यकता है.
यूएन महासचिव ने चार-सूत्री कर्ज़ कार्रवाई योजना में मध्य आय वाले और निर्बल देशों के लिये, इस्तेमाल में नहीं लाए गए एसडीआर आवण्टित किये जाने का आग्रह किया है.
साथ ही, जी20 समूह की अर्थव्यवस्थाओं से कर्ज़ निलम्बित किये जाने की पहल की अवधि अगले वर्ष तक बढ़ाने का आहवान किया है, जिसे पिछले वर्ष मई में शुरू किया गया था.
यूएन प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय कर्ज़ तंत्र की बनावट में सुधार लाने और कर्ज़ की अदला-बदली सहित अन्य नवाचारी समाधानों को परखने की अपनी अपील भी दोहराई है, विशेष रूप से मध्य-आय वाले देशों के लिये.
इस योजना का चौथा उपाय मौजूदा कमियों को दूर करने के लिये निजी वित्त पोषण की अहमियत को रेखांकित करता है.
उन्होंने कहा कि यह बेहद अन्यायपूर्ण है कि धनी देश सस्ती दरों पर उधार लेकर, पुनर्बहाली का रास्ता तय कर सकते हैं, जबकि निम्न व मध्य-आय वाले देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाएँ जारी रखने में संघर्ष करना पड़ रहा है.
कोविड-19 महामारी के कारण मौजूदा प्रगति पर जोखिम मंडरा रहा है, जिसे ध्यान में रखते हुए शिक्षा, सामाजिक संरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार में निडर ढँग से निवेश किये जाने पर बल दिया गया है.
महासचिव ने कहा कि मुनाफ़े की बजाय पहले लोगों पर ध्यान देना होगा और कर (tax) के बोझ को न्यायसंगत बनाना होगा.
साथ ही, टैक्स देने से बचने, काले धन को सफ़ेद बनाये जाने और धन के ग़ैरक़ानूनी लेनदेन पर लगाम कसी जानी होगी.
इस क्रम में, उन्होंने जी20 समूह, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को आर्थिक सहयोग एवँ विकास संगठन (OECD) के साथ मिलकर समन्वित प्रयासों पर ज़ोर दिया है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि महामारी के बाद की दुनिया में, निर्धनतम देशों तक भी व्यापार एवँ निवेश का लाभ पहुँचाना होगा.
इसके तहत खुले और निष्पक्ष व्यापार नियमों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है ताकि सभी देश समान स्तर पर एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकें, भले ही विकास पैमाने पर उनका कोई भी स्थान हो.
महासचिव ने वैश्विक हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष मौजूद चौथी चुनौती बताया है.
उन्होंने इस सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता हासिल किये जाने के संकल्प को दोहराया है, जिसके लिये जीवाश्म ईंधनों पर दी जाने वाली सब्सिडी को चरणबद्ध ढँग से हटाना होगा.
साथ ही, धनी देशों को दशकों पुराने अपने उस वादे को पूरा करना होगा, जिसमें विकासशील देशों को जलवायु कार्रवाई के लिये प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर मुहैया कराये जाने की पुकार लगाई गई है.
“जलवायु संकट के अग्रिम मोर्चों पर बारबेडॉस जैसे देशों के लिये, सुदृढ़ता निर्माण और अनुकूलन कोई विलास का विषय नहीं है – यह एक तात्कालिक प्राथमिकता है.”
“इसलिये, आज, मैं फिर दानदाताओं और बहुपक्षीय विकास बैन्कों से अपनी अपील दोहराता हूँ कि जलवायु समर्थन का कम से कम 50 फ़ीसदी अनुकूलन व सहनक्षमता प्रयासों को दिया जाना होगा.”