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अन्तरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस: सर्वजन के लिये डिजिटल समानता पर ज़ोर

कोविड-19 महामारी ने बुज़ुर्गों के लिये डिजिटल खाई को पाटे जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
Unsplash/Georg Arthur Pflueger
कोविड-19 महामारी ने बुज़ुर्गों के लिये डिजिटल खाई को पाटे जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

अन्तरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस: सर्वजन के लिये डिजिटल समानता पर ज़ोर

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार, 1 अक्टूबर, को ‘अन्तरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस’ के अवसर पर ऑनलाइन माध्यमों पर डिजिटल समानता को बढ़ावा दिये जाने और उन्हें, युवाओं व बुज़ुर्गों, हर किसी के लिये समावेशी बनाये जाने पर बल दिया है. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस अवसर पर अपने सन्देश में कहा कि विश्व में टैक्नॉलॉजी पर बढ़ती निर्भरता के बीच, हर व्यक्ति अपना रास्ता ढूँढने की चुनौती का सामना कर रहा है.

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उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में समर्थन प्रदान करने से, सबसे अधिक लाभ शायद बुज़ुर्ग आबादी को ही होगा.

यूएन प्रमुख के अनुसार इन टैक्नॉलॉजी के ज़रिये बुज़ुर्ग नागरिकों को अपने प्रियजनों से जुड़े रहने, धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने और अपना रुख़ ज़ाहिर करने में मदद मिल सकती है. 

“ये और अनेक अन्य कार्य अब ऑनलाइन आयोजित किये जा रहे हैं, विशेष रूप से ऐसे समय में जब व्यक्ति व समुदाय कोविड-19 महामारी पर जवाबी कार्रवाई के तहत थोपी गई पाबन्दियों से जूझ रहे हैं.”

डिजिटल बचाव अहम

वैश्विक महामारी के दौरान वृद्जनों को एकाकीपन की चुनौती का सामना करना पड़ा है और उन्हें साइबर अपराध के उभरते हुए ख़तरों का शिकार बनने का जोखिम भी है. 

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि वृद्धजनों को अपना निशाना बनाने की ताक में लगे अपराधियों की जवाबदेही तय किये जाने के लिये हरसम्भव उपाय किये जाने होंगे. 

इसके समानान्तर, महत्वपूर्ण बचाव उपायों के तहत बुज़ुर्गों के डिजिटल कौशल को भी मज़बूती प्रदान की जानी होगी, और इसे उनके जीवन को बेहतर बनाने वाले ज़रिये के रूप में देखा जाना होगा.  

यूएन प्रमुख के मुताबिक़ वृद्धजन, महज़ एक निर्बल समूह से कहीं बढ़कर हैं. “वे ज्ञान, अनुभव और हमारी सामूहिक प्रगति में सम्पन्न योगदान का स्रोत हैं.”

यूएन महासचिव ने कहा कि वृद्धजनों के लिये नई टैक्नॉलॉजी की सुलभता व उसके इस्तेमाल को सुनिश्चित किये जाने से, वे टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में बेहतर ढँग से योगदान दे सकते हैं.  

इस क्रम में, महासचिव ने ज़्यादा समावेशी नीतियों, रणनीतियों व कार्रवाईयों का आग्रह किया है ताकि सभी उम्र के लोगों के लिये डिजिटल समानता हासिल की जा सके. 

डिजिटल खाई

डिजिटल नवाचार और व्यापक स्तर पर हुई प्रगति के बावजूद, विश्व आबादी का एक-तिहाई हिस्सा अभी ऑनलाइन नहीं है. 

सबसे ज़्यादा विकसित देशों में 87 प्रतिशत व्यक्ति ऑनलाइन हैं, मगर सबसे कम विकसित देशों के लिये यह आँकड़ा महज़ 19 फ़ीसदी है.

महिलाओं और बुज़ुर्गों को डिजिटल असमानता का ज़्यादा सामना करना पड़ता है.

उदाहरणस्वरूप, योरोप में हर चार में से एक योरोपीय नागरिक के पास बुनियादी या उससे ज़्यादा डिजिटल कौशल है.

योरोप के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग के अनुसार, 35 से 44 वर्ष आयु वर्ग में यह आँकड़ा हर तीन में से दो व्यक्ति, 25 से 34 वर्ष आयु वर्ग में हर चार में से तीन व्यक्ति, और 16 से 24 वर्ष आयु वर्ग में हर पाँच में से चार व्यक्ति है.

ऑनलाइन सक्रियता 

वर्ष 2019 के एक सर्वेक्षण के अनुसार, योरोपीय संघ में, 75 और उससे अधिक आयु वर्ग में हर पाँच में से एक प्रतिभागी, कभी-कभार ऑनलाइन गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं. 

16 से 29 वर्ष आयु वर्ग में लोगों के लिये यह आँकड़ा 98 फ़ीसदी है. 

ऑनलाइन माध्यमों पर बुज़ुर्गों की सक्रियता कम होने की अनेक वजहें बताई गई हैं, जिनमें डिजिटल उपकरणों या इण्टरनेट की सुलभता, ज़रूरी कौशल का अभाव, अनुभव और आत्मविश्वास की कमी सहित अन्य अवरोध हैं.

टैक्नॉलॉजी की बनावट से भी वृद्धजनों के लिये उसका इस्तेमाल चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, विशेष रूप से अगर वे शारीरिक या संज्ञानात्मक (cognitive) दुर्बलताओं से पीड़ित हों.

विश्व आबादी की बढ़ती उम्र के बीच ये समस्याएँ और गहरी हो गई हैं. वर्ष 2019 में, दुनिया में 65 वर्ष से अधिक लोगों की संख्या 70 करोड़ से अधिक थी.

अगले तीन दशकों में, विश्व भर में वृद्धजनों की संख्या दोगुनी हो जाने का अनुमान है - 2050 तक यह बढ़कर डेढ़ अरब तक पहुँच सकती है.