महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के लिये 'समय बीता जा रहा है'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) से चन्द हफ़्ते पहले, देशों से कार्बन उत्सर्जन घटाने और जलवायु कार्रवाई के लिये वित्त पोषण सुनिश्चित करने का आहवान किया है. यूएन प्रमुख ने गुरूवार को इटली के मिलान शहर में सम्मेलन से पहले तैयारियों के तहत आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.
महासचिव गुटेरेश ने बैठक को वर्चुअल रूप से सम्बोधित करते हुए कहा, “मैं पुरज़ोर ढंग से कहना चाहता हूँ कि समय बीता जा रहा है.”
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन का वो बिन्दु जहाँ से लौट पाना सम्भव नहीं होगा, वह ख़तरनाक ढंग से बेहद नज़दीक आ गया है.
"We can either save our world or condemn humanity to a hellish future" - @UN Chief António Guterres speaking to Ministers at the #PreCOP26 in Milan today. Statement:🔗https://t.co/wpKWYmSe0m#PreCop | #COP26 pic.twitter.com/zKk9C4hmm6
UNFCCC
“नागरिक समाज क़रीब से देख रहा है और उसका संयम ख़त्म होता जा रहा है.”
यूएन प्रमुख ने देशों को सरकारों से पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल करने के लिये अपने प्रयास तेज़ करने का आहवान किया है.
इस समझौते में पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में औसत वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाना है.
वर्ष 2015 में हुए इस समझौते में देशों से महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई का संकल्प लिया जाना अपेक्षित है, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) कहा गया है.
महासचिव गुटेरेश ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मौजूदा राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं से वैश्विक तापमान में 2.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने की आशंका है.
उन्होंने कहा कि इसके विनाशकारी नतीजे होंगे, जिसके मद्देनज़र, जलवायु कार्रवाई में ज़्यादा महत्वाकांक्षी दर्शाए जाने की आवश्यकता है.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखे जाने का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब जी20 समूह के सभी देश ज़्यादा महत्वाकांक्षी और निर्णायक कार्रवाई का संकल्प लें.
उन्होंने विकसित देशों से जलवायु कार्रवाई की अगुवाई का आहवान करते हुए, उभरती अर्थव्यवस्थाओं से भी कार्बन उत्सर्जन में कटौती की पुकार लगाई है.
संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को रोकने के लिये सबसे प्रभावी रास्ता चरणबद्ध ढंग से कोयले के इस्तेमाल पर विराम लगाना है.
उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में वैश्विक प्रगति के बावजूद, अभी एक लम्बा रास्ता तय किया जाना बाक़ी है.
उन्होंने चीन की उस घोषणा का स्वागत किया, जिसमें कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिये अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय समर्थन हटाने की बात कही गई है.
साथ ही, अन्य वाणिज्यिक बैंकों व निजी वित्तीय संस्थाओं से इसका अनुसरण करने का आग्रह करते हुए, नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने की बात कही गई है.
यूएन प्रमुख के मुताबिक़ जलवायु कार्रवाई के लिये वित्त पोषण के सिलसिले में आवश्यक उपायों को सभी समझते हैं.
उन्होंने कहा कि विकसित देशों की यह ज़िम्मेदारी है कि अपने निजी संकल्पों को पूरा करने के साथ-साथ, प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर के वादे की सामूहिक प्रतिबद्धता को निभाया जाए.
इस धनराशि के ज़रिये विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिये वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराया जाना है. “यह भरोसे से जुड़ा ज़रूरी सवाल है.”
महासचिव ने कहा कि जलवायु अनुकूलन के लिये समर्थन, जलवायु समीकरण का उपेक्षित हिस्सा रहा है.
जलवायु वित्त पोषण का महज़ 25 फ़ीसदी ही अनुकूलन के मद में बताया गया है, जबकि निजी क्षेत्र के वित्तीय संसाधनों में तो यह सिर्फ़ 0.1 प्रतिशत है.
महासचिव ने दानदाताओं व विकास बैंकों से अपने जलवायु समर्थन का कम से कम 50 प्रतिशत, अनुकूलन व सुदृढ़ता निर्माण के लिये रखने का आग्रह किया है.
“विकासशील देशों को अनुकूलन के लिये पहले से ही 70 अरब डॉलर की आवश्यकता है, और इस दशक के अन्त तक यह आँकड़ा चार गुना से अधिक बढ़कर प्रतिवर्ष 300 अरब डॉलर हो सकती है.”
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि इस वादे को पूरा करने में विफलता हाथ लगी तो, बड़े पैमाने पर ज़िन्दगियों व आजीविकाओं का नुक़सान होगा.
महासचिव ने देशों से आग्रह किया है कि मंत्रिस्तरीय बैठक का उपयोग, ग्लासगो में कॉप26 वार्ता से पहले आपसी भरोसे के निर्माण में किया जाना होगा.
उन्होंने कहा कि देशों को दूरदृष्टि का परिचय देते हुए नैतिक आदर्श प्रदर्शित करने होंगे ताकि मौजूदा व भावी पीढ़ियाँ, एक स्वस्थ ग्रह पर सर्वजन के लिये शान्ति, अवसर व गरिमा के लिये आशान्वित हो सकें.