म्याँमार में तत्काल अन्तरराष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई की दरकार - यूएन प्रमुख

म्याँमार में यंगून शहर का पुराना इलाक़ा.
Unsplash/Zuyet Awarmatik
म्याँमार में यंगून शहर का पुराना इलाक़ा.

म्याँमार में तत्काल अन्तरराष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई की दरकार - यूएन प्रमुख

शांति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि म्याँमार संकट को विनाशकारी हालात में तब्दील ना होने देने के लिये तत्काल अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है. यूएन प्रमुख ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भेजी गई एक रिपोर्ट में आशंका जताई है कि सैन्य नेतृत्व की सत्ता पर मज़बूत होती पकड़ से निपटना, समय बीतने के साथ मुश्किल हो जाएगा.   

म्याँमार में सैन्य नेतृत्व ने इस वर्ष एक फ़रवरी को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई आँग सान सू ची सरकार को बेदख़ल कर दिया था, जिसके बाद से देश राजनैतिक संकट से जूझ रहा है. 

सेना के मुताबिक़ पिछले वर्ष जिन आम चुनावों में आँग सान सू ची की पार्टी की भारी जीत हासिल हुई, उनमें धाँधली हुई थी, मगर इसके लिये ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किये गए.

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सत्ता पर सेना का नियंत्रण होन के बाद व्यापक पैमाने पर, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुए जिन पर क़ाबू पाने के लिये सुरक्षाकर्मियों ने हिंसक, दमनात्मक कार्रवाई की. 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट के अनुसार, इन प्रदर्शनों में एक हज़ार 100 से अधिक लोगों की मौत हुई, आठ हज़ार से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

साथ ही, हिरासत में रखे जाने के दौरान कम से कम 120 लोगों की मौत हुई है.  

सामूहिक प्रयास 

यूएन प्रमुख ने कहा कि व्यापक स्तर पर सशस्त्र संघर्ष के जोखिम को टालने के लिये सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होगी ताकि दक्षिणपूर्व एशिया के बीचोंबीच और उससे परे भी, बहुआयामी तबाही को टाला जा सके.   

उन्होंने आगाह किया कि खाद्य सुरक्षा के लिये हालात तेज़ी से बिगड़ रहे हैं, सामूहिक विस्थापन में वृद्धि हो रही है और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली, कोविड-19 की नई लहर के बीच दरक रही है.

महासचिव के अनुसार मौजूदा घटनाक्रम के गम्भीर मानवीय नतीजों को ध्यान में रखते हुए, क्षेत्रीय पक्षों के साथ समन्वित ढँग से कोशिशें की जानी होंगी. 

“म्याँमार को फिर से लोकतांत्रिक सुधारों के रास्ते पर वापिस लाने के लिये, एकजुट अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय जवाबी कार्रवाई की जानी ज़रूरी है.”
इस क्रम में, राष्ट्रपति विन म्यिन्त, स्टेट काउंसलर आँग सान सू ची सहित अन्य सरकारी अधिकारियों की तत्काल रिहाई की माँग की गई है. 

‘जन आकाँक्षा का सम्मान हो’

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि म्याँमार में संवैधानिक व्यवस्था को बहाल किया जाना और नवम्बर 2020 के चुनाव नतीजों को स्वीकार किया जाना बेहद ज़रूरी है.

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश, सेना पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल, स्थानीय जनता की आकाँकाओं का सम्मान करने और देश व क्षेत्र की शान्ति और स्थिरता के हित में कर सकते हैं.  

उन्होंने तत्काल मानवीय राहत मार्गों की सुलभता व निर्बल समुदायों तक सहायता पहुँचाने की अपील की है. 

इनमें उत्तरी राखीन प्रान्त में छह लाख से अधिक और पड़ोसी देश बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे सात लाख से ज़्यादा रोहिंज्या मुसलमान भी हैं.
वर्ष 2017 में म्याँमार सेना की कार्रवाई के दौरान जान बचाने के लिये रोहिंज्या समुदाय के लाखों लोगों ने सीमा पार कर बांग्लादेश में शरण ली थी.

यूएन प्रमुख ने आशंका जताई है कि म्याँमार की सत्ता पर सेना की मज़बूत होती पकड़ को रोकने के लिये समय बीता जा रहा है. 

पाँच-सूत्री योजना को समर्थन

बुधवार को पेश रिपोर्ट में मध्य-अगस्त 2020 से मध्य-अगस्त 2021 की अवधि का ब्यौरा दिया गया है. 

इस रिपोर्ट को 119 देशों ने स्वीकृति दी है, जबकि चीन सहित 36 देश अनुपस्थित रहे, और बेलारूस ने इसके विरोध में मत दिया. 

रिपोर्ट में महासचिव गुटेरेश ने दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) द्वारा, ब्रुनेई के दूसरे विदेश मंत्री एरिवान युसूफ़ को, अगस्त में म्याँमार के लिये विशेष दूत नियुक्त किये जाने का स्वागत किया गया है. 

इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र समर्थित पाँच सूत्री योजना को सामयिक व व्यापक ढँग से लागू किये जाने का आग्रह किया गया है ताकि संकट के शान्तिपूर्ण समाधान को सुनिश्चित किया जा सके.

साथ ही, क्षेत्रीय संगठन से, म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत के साथ मिलकर प्रयास किये जाने होंगे. 

आसियान देशों के समूह ने इस पाँच-सूत्री योजना को पारित किया है जिसमें हिंसा का अन्त किये जाने, सृजनात्मक सम्वाद स्थापित करने, सीधे तौर पर मध्यस्थता प्रयासों के लिये एक दूत की नियुक्ति किये जाने और एक मानवीय राहत पैकेज का उल्लेख है.