भोजन की हानि व बर्बादी से प्रतिवर्ष 400 अरब डॉलर का नुक़सान, रोकथाम उपायों की पुकार
भोजन को आधा-अधूरा खाकर उसे कूड़ेदान में फेंक देने की प्रवृत्ति से, भोजन बर्बादी की समस्या गम्भीर रूप धारण कर रही है, और यह ऐसे समय में हो रहा है जब 80 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सोने के लिये मजबूर हैं. इस मुद्दे की ओर, बुधवार, 29 सितम्बर, को 'भोजन की हानि व बर्बादी पर अन्तरराष्ट्रीय जागरूकता दिवस' पर विशेष ध्यान आकर्षित किया गया है.
यूएन एजेंसियों ने इस अवसर पर आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान बताया कि भोजन की हानि व बर्बादी की रोकथाम ना सिर्फ़ विश्व आबादी के लिये महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पृथ्वी के भविष्य के नज़रिये से भी अति-आवश्यक है.
खाद्य एवँ कृषि संगठन (FAO) के महानिदेशक क्यू डोंग्यू ने कहा, “हम विश्व में कुल उत्पादित भोजन के 14 प्रतिशत की हानि, और घरों, फ़ुटकर, रेस्तराँ व अन्य खाद्य सेवाओं में 17 प्रतिशत बर्बादी को जारी नहीं रहने दे सकते.”
“यह भोजन मूल्य में प्रति वर्ष 400 अरब डॉलर के नुक़सान के बराबर है.”
यूएन एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने अपने वीडियो सन्देश में खाद्य प्रणालियों में काया पलट कर देने वाले बदलाव लाने के लिये वैश्विक सहयोग बढ़ाने का आहवान किया है.
उन्होंने कहा कि खाद्य प्रणाली के विभिन्न चरणों में कार्रवाई, टिकाऊ विकास लक्ष्यों के अनुरूप की जानी होगी.
टिकाऊ विकास एजेण्डे का 12वाँ लक्ष्य, टिकाऊ उत्पादन व खपत रुझानों पर आधारित है, जिसमें वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर भोजन की बर्बादी को प्रति व्यक्ति आधा किये जाने का उद्देश्य है.
तिहरा संकट
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशक इंगर एण्डरसन ने कहा कि हमारी खाद्य प्रणालियों और उपभोग के तौर-तरीक़ों से, ग्रह के लिये तिहरा संकट खड़ा हो रहा है.
उनके मुताबिक़ मूल्यवान जल व भूमि संसाधनों के इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता खोने और प्रदूषण की समस्या और ज़्यादा गम्भीर हो रही है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि भोजन की हानि व बर्बादी की रोकथाम करने से अनेक लाभ होंगे.
“खाद्य सुरक्षा, स्पष्ट रूप से. हर स्तर पर लागत में बचत. जलवायु पर असर में कमी.”
उन्होंने कहा कि प्रदूषण के बोझ में कमी आएगी और जल व भूमि का इस्तेमाल घटाया जा सकेगा.
“मौजूदा कृषि भूमि के दक्षतापूर्ण इस्तेमाल से जैवविविधिता की भी रक्षा हो सकेगी, और इसलिये, विस्तारीकरण के दबाव को घटाना भी महत्वपूर्ण है.”
तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के उप कार्यकारी निदेशक अमीर महमूद अब्दुल्लाह ने बताया कि अफ़्रीका में भोजन की हानि का मूल्य, अनाज के वार्षिक आयात मूल्य से अधिक है.
इस हानि की वजह से खाद्य असुरक्षा और गहरी होती है.
अन्तत: बर्बाद होने वाले और ना खाए जाने वाले भोजन के लिये, बहुमूल्य भूमि, जल, कृषि सामग्री व ऊर्जा का इस्तेमाल करने से, पर्यावरण भी प्रभावित होता है.
उन्होंने कहा कि ग्लासगो में वार्षिक यूएन जलवायु सम्मेलन में जाते समय, सभी के लिये यह ध्यान रखा जाना बेहद अहम है.
टिकाऊ खाद्य प्रणालियाँ
संयुक्त राष्ट्र ने, बुधवार को अन्तरराष्ट्रीय दिवस से कुछ ही दिन पहले खाद्य प्रणालियों पर एक अहम बैठक आयोजित की थी.
बताया गया है कि टिकाऊ विकास के 12वें लक्ष्य वर्ष 2030 तक हासिल करने के लिये सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होगी.
कृषि विकास के लिये अन्तरराष्ट्रीय कोष (IFAD) के प्रमुख गिल्बर्ट हॉँगबो ने सरकारों और निजी सैक्टर के लिये प्राथमिकताओं का ख़ाका पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय कृषि नीतियों और विकास योजनाओं में भोजन हानि को रोकने के उपाय किये जाने होंगे.
साथ ही लघु किसानों के लिये ग्रामीण वित्तीय सेवाओं की सुलभता को बेहतर बनाना होगा.