म्याँमार: मानवाधिकारों की त्रासदीपूर्ण स्थिति, तत्काल कार्रवाई की पुकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने गुरूवार को आगाह करते हुए कहा है कि म्याँमार में मौजूदा गम्भीर हालात को, पूर्ण संघर्ष में बदलने से रोकने के लिये, तत्काल ठोस कार्रवाई किये जाने के ज़रूरत है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब उनके कार्यालय की एक ताज़ा रिपोर्ट में, देश में सैन्य शासन द्वारा लोगों के अधिकारों का बड़े पैमाने पर हनन के मामलों का विस्तृत विवरण दिया गया है.
🇲🇲#Myanmar: Alarmed by possibility of an escalating civil war, UN Human Rights Chief @mbachelet warns @UN_HRC that Myanmar faces a vortex of repression, violence and economic collapse as impacts of the military coup continue to devastate lives & hopes.👉 https://t.co/n47Q8aD5yx pic.twitter.com/2JgQw7eYmP
UNHumanRights
इनमें से कुछ मानवाधिकार हनन के मामले तो, मानवता के विरुद्ध अपराध या युद्धापराध तक की श्रेणी में गिने जा सकते हैं.
यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि फ़रवरी में भड़की हिंसा ने देश को हिलाकर रख दिया है और उस हिंसा में अब बड़ै दायरे वाले गृह युद्ध में बदल जाने के संकेत नज़र आ रहे हैं. उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के स्तर पर और ज़्यादा ठोस व तत्काल कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई है.
मिशेल बाशेलेट ने, जिनीवा में यूएन मानवाधिकार परिषद में कहा कि देश के अनेक ऐसे इलाक़ों में भी, नागरिक लड़ाकों और सरकारी बलों के बीच अब लगभग नियमित रूप से झड़पें हो रही हैं, “जहाँ पीढ़ियों से कोई संघर्ष नहीं देखा गया था”.
मिशेल बाशेलेट ने, म्याँमार पर अपनी रिपोर्ट, मानवाधिकार परिषद में पेश करते हुए बताया कि इस रिपोर्ट में मानवाधिकार हनन और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के उल्लंघन के अनेक गम्भीर मामलों का भी विवरण दिया गया है.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि देश अर्थव्यवस्था में तेज़ गिरावट की स्थिति का भी सामना कर रहा है, और कोविड-19 महामारी के विनाशकारी प्रभावों से भी जूझ रहा है; ये एक ऐसी मानवीय त्रासदी के हालात हैं जिनमें बेहतर होने के कोई संकेत नज़र नहीं आ रहे हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की एक हाल क रिपोर्ट में आगाह किया गया था कि निर्धनता, राजनैतिक अशान्ति, और आर्थिक संकट के हालात में, लाखों लोगों के सामने, खाद्य असुरक्षा का जोखिम उत्पन्न हो गया है.
मानवाधिकार हनन
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में एक फ़रवरी 2021 को सत्ता का तख़्तापलट करके नियंत्रण स्थापित करने के बाद से, सैन्य अधिकारियों ने ही ज़्यादातर मानवाधिकार उल्लंघन किया है, साथ ही जानलेवा हथियारों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया है और बड़े पैमाने पर ही लोगों की गिरफ़्तारियाँ की गई हैं.
रिपोर्ट में, लोगों के जीवन, स्वतंत्रता, सुरक्षा, उत्पीड़न निषिद्धता, निष्पक्ष मुक़दमा लड़ने के अधिकारों के साथ-साथ, विचार अभिव्यक्ति व शान्तिपूर्ण सभाएँ करने के अधिकारों के उल्लंघन के मामलों का भी विवरण दिया गया है.
रिपोर्ट में मध्य फ़रवरी से लेकर मध्य जुलाई तक की अवधि के मामले शामिल किये गए हैं और ये रिपोर्ट तैयार करने के लिये, मानवाधिकार हनन के 70 से ज़्यादा पीड़ितों और गवाहों के साथ बातचीत की गई है.
साथ ही, दूरस्थ स्थानों से स्थिति पर नज़र रखी गई, मुक्त स्रोतों का सहारा लिया गया, और अनेका जानकार पक्षों व पैरोकारों के साथ बैठकें भी की गईं.
म्याँमार में, फ़रवरी के तख़्तापलट के बाद से, 1120 लोग मारे गए हैं. सैन्य अधिकारियों ने 8 हज़ार से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार भी किया है, और ऐसी भी ख़बरें हैं कि कम से कम 120 लोगों की मौत, हिरासत में हुई है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि सैन्य अधिकारियों की तरफ़ से, मानवाधिकार हनन रोकने के प्रयास करने के कोई संकेत नज़र नहीं आते हैं.
ना ही, दण्ड मुक्ति व सुरक्षा क्षेत्र में सुधारों के लिये अतीत में पेश की गई सिफ़ारिशें लागू करने की कोई मंशा ही नज़र आती है
उन्होंने मज़बूत जवाबदेही उपाय तत्काल लागू किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर भी दिया है.
सैन्य तख़्तापलट के बाद से, सेना और नस्लीय सशस्त्र गुटों के बीच लड़ाई बढ़ने की भी ख़बरें हैं, जिनके कारण हज़ारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है, मुख्य रूप से, कायीन, शान और काचीन प्रान्तों में.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन प्रान्तों में, सेना ने, अन्धाधुन्ध हवाई हमले किये हैं, और गोलाबारी भी की है, जिनमें अनेक लोगों की मौत हुई है.
मिशेल बाशेलेट ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, म्याँमार में लोकतंत्र बहाली के लिये प्रयास बढ़ाकर दो गुना करने का आहवान किया है क्योंकि मौजूदा अशान्ति की स्थिति को और ज़्यादा बिगड़ने से रोकने के लिये, ऐसा किया जाना बहुत ज़रूरी है.