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मानवता अपने विकास की किशोरावस्था जीवन काल के अन्तिम चरण में, ब्रिटिश प्रधानमंंत्री

ब्रिटेन (यूके) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, 22 सितम्बर 2021 को यूएन महासभा की 76वीं उच्चस्तरीय डिबेट को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Cia Pak
ब्रिटेन (यूके) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, 22 सितम्बर 2021 को यूएन महासभा की 76वीं उच्चस्तरीय डिबेट को सम्बोधित करते हुए.

मानवता अपने विकास की किशोरावस्था जीवन काल के अन्तिम चरण में, ब्रिटिश प्रधानमंंत्री

यूएन मामले

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यूएन महासभा की उच्च स्तरीय जनरल डिबेट में कहा है कि मानवता के लिये, यह समय परिवपक्वता और समझदारी दिखाने, और पृथ्वी ग्रह को हम जो नुक़सान पहुँचा रहे हैं, उसकी ज़िम्मेदारी स्वीकार करने का है.

बोरिस जॉनसन ने, बुधवार, 22 सितम्बर को, यूएन महासभा के उच्च स्तरीय सत्र में दिये अपने भाषण में कहा कि मानव नस्लें, अपने विकास सम्बन्धी जीवन काल की किशोरावस्था के अन्तिम चरण के नज़दीक हैं. 

उन्होंने ब्रिटेन द्वारा, आगामी नवम्बर में आयोजित किये जाने वाले यूएन जलवायु सम्मेलन कॉप26 का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये सम्मेलन, मानवता के लिये ये दिखाने का एक मौक़ा साबित हो सकता है कि उसमें, सीखने और परिपक्व समझदारी दिखाने की क़ाबलियत है.

यह सम्मेलन स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो शहर में आयोजित होना है.

ब्रितानी प्रधामंत्री ने कहा, “हर रोज़, हर सप्ताह, हम ऐसा स्थाई नुक़सान कर रहे हैं कि, मानवता के वजूद के 10 लाख वर्ष पूरे होने से पहले ही, दरअसल, हम इस सुन्दर ग्रह - पृथ्वी को, रहने के क़ाबिल नहीं छोड़ेंगे, ना केवल ख़ुद के लिये, बल्कि अन्य प्रजातियों के लिये भी.”

‘हमारी पीढ़ियाँ जानेंगी कि दरअसल अपराधी हम ही हैं’

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने आगाह करते हुए कहा कि अगर हालात बदले नहीं गए तो, इस सदी के अन्त तक वैश्विक तापमान वृधि 2.7 डिग्री सेल्सियस से भी ज़्यादा हो सकती है, जिसके विनाशकारी परिणाम होंगे, और इसके लिये मानव गतिविधियाँ ज़िम्मेदार होंगी.

उन्होंने कहा, “हमारे नाती-पोते जानेंगे कि...हमने समय की नज़ाकत को नहीं समझा, और वो पूछेंगे कि हम किस तरह के इनसान थे, जो इतने स्वार्थी थे और जिनमें दूर-दृष्टि की इतनी कमी थी.”

बोरिस जॉनसन ने घोषणा कि कि कॉप26 सम्मेलन में, पूरे विश्व को, इस सदी के मध्य यानि वर्ष 2050 तक, कार्बन तटस्थता का लक्ष्य हासिल करने का संकल्प लेना होगा.

उन्होंने कहा कि विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 70 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाले देश, पहले ही इस लक्ष्य के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुके हैं, मगर कार्बन उत्सर्जन में ठोस कटौती करने के लिये, चार क्षेत्रों में संकल्पों की आवश्यकता है:

कोयले पर आधारित ऊर्जा का ख़ात्मा, बिजली चालित (इलैक्ट्रिक) वाहनों का प्रयोग, जलवायु वित्त, और ज़्यादा वृक्षारोपण.

बोरिस जॉनसन ने, कोयले के विषय पर कहा कि ब्रिटेन में हरित टैक्नॉलॉजी ने कार्बन उत्सर्जन में कटौती के प्रयासों की अगुवाई की है. कोयले से हटकर बिजली पर निर्भरता, वर्ष 2024 तक चरणबद्ध तरीक़े से हासिल कर ली जाएगी, और वायु टर्बाइन स्थापन बढ़ाया जा रहा है.

ब्रितानी प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में लाखों और पेड़ लगाकर, बाढ़ से बचने के प्रयास मज़बूत किये जाएंगे. उन्होंने साथ ही पाकिस्तान के उदाहरण पर अमल करने का आग्रह किया, जहाँ 10 अरब पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया है.

उन्होंने जलवायु वित्त के बारे में याद करते हुए कहा कि ब्रिटेन, बाक़ी दुनिया को जलवायु परिवर्तन का सामना करने के प्रयासों में मदद के लिये, 11 अरब 60 करोड़ डॉलर की रक़म मुहैया कराएगा. 

बोरिस जॉनसन ने, डेनमार्क और अमेरिका द्वारा भी ऐसा ही किये जाने की सराहना की. अलबत्ता, उन्होंने कहा कि देशों के राष्ट्रीय संकल्प अभी काफ़ी नहीं हैं, और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के ज़रिये, आवश्यक संसाधन निवेश के लिये, निजी सैक्टर का भी लाभ उठाया जाना चाहिये.

हरित क्रान्ति के लाभ ही लाभ...

बोरिस जॉनसन ने कहा कि इस तरह के संसाधन निवेश से, जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने के साथ-साथ, उच्च आमदनी व उच्च कौशल वाले लाखों रोज़गार उत्पन्न होंगे.

बहुत सी नई कम्पनियाँ व उद्योग, पहले ही जलवायु संकट के समाधान पेश कर रही हैं, जिनमें मवेशियों से मीथेन गैस का उत्सर्जन कम करने वाला चारा, रोबोटिक्स और खाद्य उत्पादन में बेहतरी और वृद्धि करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि टैक्नॉलॉजी क्षेत्र में इस तरह की प्रगति से, उपभोक्ताओं के लिये लागत कम होगी, इसलिये हमें इस हरित औद्योगिक क्रान्ति से, डरने की कोई वजह नहीं है, बल्कि इससे हमें लाभ ही लाभ होंगे. 

पूरा भाषण यहाँ उपलब्ध है.