अफ़ग़ानिस्तान में स्वास्थ्य ढाँचा ढह जाने के कगार पर
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में स्वास्थ्य ढाँचा ढहने के कगार पर है, जबकि राजधानी काबुल के रास्तों पर परिवारों को जिस गम्भीर भुखमरी के जिन हालात का सामना करना पड़ रहा है, वो शहरी इलाक़ों और सूखे की मार से पीड़ित देश के ग्रामीण इलाक़ों, सभी में एक जैसे ही गम्भीर हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख का ये बयान ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवीय सहायता अधिकारी मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने, अफ़ग़ानिस्तान के बेहद कमज़ोर स्वास्थ्य ढाँचे को समर्थन व सहायता मुहैया कराने के लिये, यूएन आपदा कोष से, साढ़े चार करोड़ डॉलर की रक़म जारी की है.
मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान के स्वास्थ्य ढाँचे को यूँ ही बिखर जाने देने के, विनाशकारी परिणाम होंगे."
"पूरे देश में लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित होना पड़ेगा, जिनमें आपदा ऑपरेशन और ट्रॉमा देखभाल सेवाएँ शामिल हैं.”
काबुल संकट
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल से ऐसा ही सन्देश देते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय सहायता राशि में कटौती होने से, स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने वालों को ये कठिन फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं कि “किसकी ज़िन्दगी बचाई जाए, और किसकी ज़िन्दगी को ख़त्म होने दिया जाए”.
डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस काबुल में, तालेबान की वरिष्ठ हस्तियों, चिकित्सा अधिकारियों और मरीज़ों के साथ बैठकें करने के बाद बताया कि देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य परियोजना - सेहतमन्दी को वित्तीय सहायता की कमी होने के कारण, हज़ारों परिवारों के लिये चिकित्सा सामान की ख़रीदारी करना मुश्किल हो गया है और हज़ारों परिवारों को वेतन भी नहीं दिये जा सके हैं.
उन्होंने बताया कि देश की ‘सेहतमन्दी’ स्वास्थ्य परियोजना में, पाँच में से एक से भी कम के बराबर स्वास्थ्य सेवाएँ काम कर रही हैं.
दवाओं की क़िल्लत
डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “स्वास्थ्य सेवाओं में आए इन व्यवधानों के कारण, बुनियादी और ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता पर कई गुना असर पड़ रहा है, साथ ही आपात सेवाएँ, पोलियो उन्मूलन, और कोवि-19 की वैक्सीन के टीकाकरण प्रयास भी प्रभावित हो रहे हैं.”
कोविड-19 का जोखिम
डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने ये भी ध्यान दिलाया कि देश में कोविड-19 के 37 में से नौ अस्पताल पहले ही बन्द हो चुके हैं, और देश में इस महामारी का मुक़ाबला करने के तमाम आयाम बन्द हो गए हैं, निगरानी से लेकर टैस्ट और टीकाकरण तक.
अफ़ग़ानिस्तान में सितम्बर के आरम्भ में घोषित, तालेबान की अन्तरिम कैबिनेट में, महिलाओं को कोई जगह नहीं मिलने से उपजी चिन्ताओं के बीच, डॉक्टर टैड्रॉस ने ज़ोर देकर कहा कि, महिलाओं के लिये, तालीम, स्वास्थ्य देखभाल, और स्वास्थ्य कार्यबल तक पहुँच हासिल होना बहुत ज़रूरी है.
अफ़ग़ानिस्तान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अभियानों के तहत, एक विस्तृत आघात कार्यक्रम को समर्थन दिया जाता है जिसमें 130 अस्पतालों और 67 रक्त बैंकों को ज़रूरी सामान व उपकरणों की आपूर्ति भी शामिल है.
कोविड-19 वैक्सीन चुनौती
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों से संकेत मिलता है कि अफ़ग़ानिस्तान में, 15 अगस्त को, तालेबान द्वारा नियंत्रण स्थापित किये जाने से पहले, देश भर में, लगभग 22 लाख लोगों को, कोरोनावायरस की वैक्सीन के टीके लगे थे.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “हाल के सप्ताहों में, टीकाकरण की रफ़्तार बहुत कम हुई है जबकि देश में अब भी कोविड-19 वैक्सीन के लगभग 18 लाख टीके अप्रयुक्त रखे हैं.”
“इन टीकों का प्रयोग आगामी सप्ताहों के दौरान किये जाने और इस वर्ष के अन्त तक, कम से कम 20 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण लक्ष्य हासिल करने के लिये, त्वरित कार्रवाई की सख़्त ज़रूरत है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने, अफ़ग़ानिस्तान में पोलियो उन्मूलन के लिये, फिर से मज़बूत कार्रवाई शुरू किये जाने का भी आग्रह किया है.
ध्यान रहे कि अफ़ग़ानिस्तान उन दो देशों में से एक है जहाँ पोलियो अब भी एक ख़तरनाक स्थानीय बीमारी बनी हुई है.