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कोविड-19: महामारी के अन्त के लिये वैश्विक टीकाकरण योजना पर बल

इण्डोनेशिया में कोविड-19 टीकाकरण मुहिम जारी है.
© UNICEF/Arimacs Wilander
इण्डोनेशिया में कोविड-19 टीकाकरण मुहिम जारी है.

कोविड-19: महामारी के अन्त के लिये वैश्विक टीकाकरण योजना पर बल

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 महामारी से निपटने के प्रयासों पर केंद्रित एक बैठक को सम्बोधित करते हुए, वैश्विक टीकाकरण योजना को अपनाये जाने पर ज़ोर दिया है. इस बैठक में, अमेरिका ने कोविड-19 वैक्सीन की 50 करोड़ ख़ुराकें (टीके) ख़रीदकर, उन्हें दान करने की घोषणा की है.

न्यूयॉर्क में जारी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के दौरान अमेरिका ने कोविड-19 महामारी का अन्त करने और भावी महामारियों के जोखिमों से निपटने के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षा ढाँचे के विषय पर बुधवार को एक वर्चुअल शिखर बैठक का आयोजन किया.  

अमेरिका ने फ़ाइज़र वैक्सीन की 50 करोड़ ख़ुराकें ख़रीदकर, उन्हें दान करने की घोषणा की है.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश बैठक को सम्बोधित करते हुए ने क्षोभ जताया कि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा अब तक विफल साबित हुई है और लगभग 45 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के विरुद्ध असरदार वैक्सीन मौजूद हैं, और कि महामारी का अन्त किया जा सकता है. 

“इसीलिये, मैं वैश्विक टीकाकरण की अपील करता रहा हूँ, और मुझे आशा है कि यह शिखर बैठक उसी दिशा में एक क़दम है.”

उन्होंने कहा, “वैसे तो वैक्सीनों को सार्वजनिक कोष के ज़रिये विकसित किया गया था, मगर अब वे 100 अरब डॉलर के उद्योग के रूप में उभर रही हैं. मध्य-आय वाले देश, अपने लोगों का टीकाकरण करने के लिये एक विक्रेता बाज़ार में करोड़ों डॉलर ख़र्च कर रहे हैं.”

“यह ना सिर्फ़ निराशाजनक है. यह समझ से बाहर भी है.”

“वैश्विक टीकाकरण महज़ परोपकारिता नहीं है; यह स्व-हित भी है.”

महासचिव ने आगाह किया कि वायरस का फैलना निरन्तर जारी है. जिन स्थानों पर संक्रमण मामलों में गिरावट आ रही थी, वहाँ भी वायरस के नए रूपों व प्रकारों की वजह से बढ़ोत्तरी हो रही है और संक्रमण लहरें आ रही हैं.  

वैश्विक टीकाकरण योजना

इसके मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने वैश्विक टीकाकरण योजना की अपनी अपील को दोहराया है, जिसके तहत टीकों के उत्पादन को कम से कम दोगुना किये जाने और कोवैक्स पहल के तहत दो अरब 30 करोड़ ख़ुराकों के न्यायसंगत वितरण पर ज़ोर दिया गया है.

संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में, दुनिया भर में समान टीकाकरण सम्भव बनाने के लिये कोवैक्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है.
© UNICEF/Arlette Bashizi
संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में, दुनिया भर में समान टीकाकरण सम्भव बनाने के लिये कोवैक्स कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

इसके ज़रिये, इस वर्ष के अन्त तक सभी देशों में लगभग 40 फ़ीसदी आबादी और 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण को सुनिश्चित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है.

महासचिव ने स्पष्ट किया कि इस योजना को एक आपात टीम की देखरेख में लागू किया जा सकता है, जिसमें वैक्सीन का उत्पादन कर रहे या उसकी क्षमता रखने वाले देश शामिल होंगे.

इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन, कोवैक्स पहल के साझीदार, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ और विश्व व्यापार संगठन भी इसका हिस्सा होंगे.

ये सभी संगठन, औषधि निर्माता कम्पनियों के साथ मिलकर वैक्सीन उत्पादन को दोगुना किये जाने और न्यायसंगत वितरण पर ज़ोर देंगे.

यूएन प्रमुख के अनुसार, बौद्धिक सम्पदा व टीकों के उत्पादन के लिये तकनीकी समर्थन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिये यह आवश्यक है. 

महासचिव ने पुरज़ोर ढँग से कहा कि अगली वैश्विक महामारी से निपटने में अतीत के औज़ारों से काम नहीं चलाया जा सकता.

उन्होंने कहा कि महामारी की तैयारियों व जवाबी कर्रवाई पर अन्तरराष्ट्रीय पैनल की सिफ़ारिशों को ध्यान में रखते हुए, वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचे को मज़बूत बनाने के लिये उसमें तत्काल सुधारों की आवश्यकता है.

साथ ही, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी को सशक्त बनाने और उसके लिये बेहतर वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने पर बल दिया गया है ताकि आपात मामलों से निपटने के लिये बेहतर समन्वय सुनिश्चित किया जा सके. 

वैक्सीन विषमता

विश्व भर में कोरोनावायरस वैक्सीन की अब तक पाँच अरब 70 करोड़ ख़ुराकें दी जा चुकी हैं, मगर इनका 73 प्रतिशत महज़ 10 देशों में ही दिया गया है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि उच्च-आय वाले देशों में, निम्न-आय वाले देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति 61 गुना अधिक ख़ुराकें दी गई हैं. अफ़्रीका में तो महज़ तीन फ़ीसदी आबादी का ही टीकाकरण हो पाया है.

यूएन प्रमुख ने जी7 समूह द्वारा वैक्सीन की एक अरब ख़ुराकों को प्रदान करने के संकल्प को आवश्यकता से कम बताया है, और कहा है कि इस वादे को अभी पूरा नहीं किया जा सका है.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि टीकाकरण के दायरे से बाहर रह गए लोगों की संख्या, जितनी अधिक होगी, वायरस उतना ही फैलता रहेगा और उसके नए वैरीएण्ट्स उभरते रहेंगे. 

इससे व्यापक पैमाने पर आर्थिक व सामाजिक व्यवधान आने की आशंका प्रबल होगी.