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76वाँ सत्र: चीन का “विदेशों में नए कोयला संयंत्रों का निर्माण बन्द करने” का संकल्प

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (स्क्रीन पर) ने, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की जनरल डिबेट को सम्बोधित किया.
UN Photo/Cia Pak
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (स्क्रीन पर) ने, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की जनरल डिबेट को सम्बोधित किया.

76वाँ सत्र: चीन का “विदेशों में नए कोयला संयंत्रों का निर्माण बन्द करने” का संकल्प

यूएन मामले

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2060 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने और दुनिया को अतिरिक्त कोविड-19 टीके प्रदान करने के लिये प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है. मंगलवार को, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए उन्होंने अन्तरारष्ट्रीय नेतृत्व से एकजुटता को मज़बूत करने का आग्रह करते हुए कहा कि वे “संकुचित दायरों में बँटकर, बेमतलब पैंतरेबाज़ी” से बचें और आपसी सम्मान को बढ़ावा दें.

रिकॉर्ड किए गए वीडियो सम्बोधन में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "वर्ष 2021 चीन के लोगों के लिये बेहद अहम है", क्योंकि इस साल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शताब्दी होने के साथ-साथ, संयुक्त राष्ट्र में चीन जनवादी गणराज्य की वैध सीट की बहाली की 50वीं वर्षगाँठ भी है. चीन के लिये यह एक ऐसी ऐतिहासिक घटना है, जिसे वो निष्ठापूर्वक मनाएगा.

मानवता के लिये कोविड-19 की समाप्ति महत्वपूर्ण 

शी जिनपिंग ने कोविड-19 के ख़िलाफ़ समन्वित वैश्विक कार्रवाई बढ़ाने और सीमाओं के बीच वायरस संचरण के जोखिम को कम करने का आह्वान किया. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि "हमें कोविड-19 को हराना होगा और मानवता के भविष्य के लिये महत्वपूर्ण, इस निर्णायक जंग को जीतना ही होगा."

कोविड-19 के ख़िलाफ़ टीकाकरण को एक शक्तिशाली हथियार बताते हुए, उन्होंने इस साल के अन्त तक दुनिया को कोविड-19 टीकों की दो अरब ख़ुराकें उपलब्ध करवाने की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि चीन, कोविड की उत्पत्ति के वैश्विक विज्ञान-आधारित अनुरेखण में सहयोग देते हुए सम्वाद जारी रखेगा और किसी भी तरह की राजनीतिक पैंतरेबाज़ी का दृढ़ता से विरोध करेगा.

लोगों के कल्याण के लिये विकास की कुँजी

शी जिनपिंग ने कोविड-19 के गम्भीर झटकों का सामना करने के लिये, एक सन्तुलित, समन्वित और समावेशी विकास के नए चरण की राह दिखाती, एवैश्विक विकास पहल का प्रस्ताव रखा.

उन्होंने ऐसी वैश्विक विकास साझेदारी को बढ़ावा देने का सुझाव दिया, जो अधिक समान और सन्तुलित हो और बहुपक्षवाद के बीच अधिक तालमेल बनाने व टिकाऊ विकास के संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेण्डा के कार्यान्वयन में तेज़ी लाने में सहायक हो.

हरित एवं निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था

शी जिनपिंग ने हरित सुधार और विकास को हासिल करते हुए, एक हरित और निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर तेज़ी से बदलाव की आवश्यकता पर भी बल दिया.

उन्होंने संकल्प लिया, "चीन, 2030 से पहले तत्परता से कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के प्रयास करेगा और 2060 से पहले ही कार्बन तटस्थता हासिल करेगा." 

उन्होंने कहा कि चीन अन्य विकासशील देशों को हरित व निम्न-कार्बन ऊर्जा विकसित करने में भी सहयोग देगा, और विदेशों में कोयले से चलने वाली नई बिजली परियोजनाओं का निर्माण बन्द करेगा. 

सम्वाद और समावेशन

चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि "लोकतन्त्र किसी एक देश के लिये आरक्षित विशेष अधिकार नहीं है, बल्कि सभी देशों के लोगों की ख़ुशी का आधार है. उन्होंने कहा कि हाल की वैश्विक घटनाओं से एक बार फिर स्पष्ट है कि बाहरी सैन्य हस्तक्षेप और तथाकथित लोकतान्त्रिक परिवर्तन से नुक़सान के अलावा कुछ हासिल नहीं होता.

"हमें, शान्ति, विकास, समानता, न्याय, लोकतन्त्र और आज़ादी जैसे मानवता के आम मूल्यों का समर्थन करने की ज़रूरत है, और संकुचित दायरों या बेफज़ूल पैंतरेबाजी को त्याग देना चाहिये." 

उन्होंने ज़ोर देते हुए कि कहा "एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं होती.यह विश्व बहुत बड़ा है और इसमें सभी देशों की आम विकास और प्रगति समा सकती है."

उन्होंने कहा, "हमें टकराव और बहिष्कार की बजाय बातचीत और समावेशन बढ़ाने की ज़रूरत है."


सच्चे बहुपक्षवाद का पालन 

शी जिनपिंग ने दोहराया कि केवल एक ही अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली है, जिसके मूल में संयुक्त राष्ट्र है.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से, सच्चे बहुपक्षवाद का झण्डा ऊँचा रखने, सभी देशों द्वारा सार्वभौमिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये केन्द्रीय मंच के रूप में कार्य करने, विकास उपलब्धियों को साझा करने और दुनिया के लिये भविष्य की राह तैयार करने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र को सन्तुलित तरीक़े से आगे बढ़ना चाहिये... सबसे अहम मुद्दों को उजागर करते हुए, वास्तविक कार्रवाई पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि बहुपक्षवाद के प्रति सभी पक्षों द्वारा की गई प्रतिबद्धताएँ सही मायने में पूरा हो सकें."

पूरा वक्तव्य यहाँ उपलब्ध है.