76वाँ सत्र: भरोसे की पुनर्बहाली और आशा का संचार, यूएन प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह किया है कि मानवता, ग़लत दिशा में आगे बढ़ते हुए रसातल के मुहाने पर पहुँच चुकी है. उन्होंने मंगलवार को यूएन महासभा के 76वें सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए दुनिया को नीन्द से जागना होगा.
यूएन प्रमुख ने विश्व के समक्ष मौजूदा छह बड़े विभाजनों को पाटे जाने की आवश्यकता पर बल दिया है.
उन्होंने इस क्रम में, जलवायु नीति, लैंगिक समानता और धनी व निर्धन देशों के बीच की खाई को पाटने के लिये बड़ी कार्रवाई किये जाने का आहवान किया है.
महासचिव गुटेरेश ने विश्व नेताओं और राजदूतों को सम्बोधित करते हुए कहा “यह हमारा समय है. कायापलट कर देने का एक लम्हा. बहुपक्षवाद में फिर से नए प्राण फूँकने का युग. सम्भावनाओं से परिपूर्ण एक दौर.”
“आइये, हम भरोसा फिर से बहाल करें. आइये, हम आशा को प्रेरित करें. और आइये, इसकी शुरुआत बिलकुल अभी करें.”
A majority of the wealthier world is vaccinated while 90% of Africans are still waiting for their first dose.This is an obscenity.We need a global vaccination plan to at least double production & ensure vaccines reach 70% of the world’s population in the first half of 2022. pic.twitter.com/d6cS72QKMY
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने कोविड-19 महामारी, जलवायु आपात स्थिति और अफ़ग़ानिस्तान, इथियोपिया व यमन जैसे देशों में हालात को हमारे जीवनकाल में संकटों की एक बड़ी श्रृंखला क़रार दिया.
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस वैक्सीन्स, रिकॉर्ड समय में विकसित किया जाना, विज्ञान और मानवीय पटुता की विजय है.
मगर राजनैतिक इच्छाशक्ति के अभाव, स्वार्थ व भरोसे की कमी को देखना त्रासदीपूर्ण है, जिसने इस विजय पर पानी फेर दिया है.
उन्होंने क्षोभ जताया कि अधिकांश धनी देशों में बड़ी आबादी का टीकाकरण पूरा हो जाना, जबकि 90 फ़ीसदी से अधिक अफ़्रीकियों का पहली ख़ुराक के लिये भी इन्तज़ार करना, दुनिया के लिये एक नैतिक कलंक है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि महामारी और जलवायु संकट से उजागर होती कमियों के बीच, देशों ने एकजुटता का रास्ता छोड़ दिया है और एक ऐसे रास्ते पर आगे बढ़ा जा रहा है जो कि विनाश की ओर जाता है.
यूएन प्रमुख के मुताबिक़ लोगों का ना सिर्फ़ अपनी सरकारों में भरोसा खो जाने का जोखिम है, बल्कि यूएन के मूल्यों – शान्ति, मानवाधिकार, सभी के लिये गरिमा, समानता, न्याय व एकजुटता – में विश्वास भी दरक रहा है.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि यह समय, वादे पूरे करने, भरोसा पुनर्बहाली और आशा जगाने के लिये प्रेरणा का संचार करने का है.
इस क्रम में उन्होंने छह बड़े विभाजनों का उल्लेख करते हुए, उन्हें पाटे जाने की आवश्यकता पर बल दिया है:
शान्ति प्राप्ति पर ज़ोर
यूएन प्रमुख ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान, इथियोपिया, म्याँमार, सीरिया और अफ़्रीका के सहेल क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों के लिये शान्ति व स्थिरता, एक सपना भर है.
अन्तरराष्ट्रीय एकता का अभाव एक बड़ी चुनौती है और विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में टकराव, एक अन्य ख़तरे को प्रदर्शित करता है. इससे आर्थिक व विकास चुनौतियों से निपटना और भी मुश्किल हो गया है.
महासचिव ने भरोसा बहाल करने और देशों के बीच आशा जगाने के लिये प्रेरणा का संचार करने, और रोकथाम, शान्तिरक्षा और शान्तिनिर्माण में निवेश के लिये, सहयोग, सम्वाद व समझ विकसित करने का आहवान किया है.
जलवायु कार्रवाई का दायित्व
यूएन प्रमुख के मुताबिक़ महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई के लिये, उत्तर व दक्षिण के बीच अविश्वास की भावना को दूर करना होगा.
उन्होंने स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में 31 अक्टूबर से शुरू हो रहे, यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) की सफलता की आवश्यकता को रेखांकित किया है.
उन्होंने सचेत किया है कि देशों को, कार्बन उत्सर्जन में कटौती, अनुकूलन और जलवायु वित्त पोषण के क्षेत्र में ज़्यादा महत्वाकांक्षा प्रदर्शित करनी होगी.
इसके लिये, वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता का संकल्प लिया जाना और विकासशील देशों की सहायता के लिये प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर की सहायता राशि के वादे को पूरा करना अहम है.
धनी व निर्धन के बीच की दूरी
यूएन प्रमुख ने कहा कि धनी व निर्धन के बीच के भेद को दूर करने की दिशा में पहला क़दम, हर किसी के लिये हर स्थान पर महामारी का अन्त करना है.
उन्होंने 2022 के मध्य तक, विश्व की 70 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण के लिये वैश्विक वैक्सीन योजना की अहमियत पर बल दिया है, जिसे टीकों की मौजूदा उत्पादन क्षमता को दोगुना करके हासिल किया जा सकता है.
लैंगिक विभाजन की चुनौती
यूएन प्रमुख ने कहा कि वैश्विक महामारी ने पुरुषों व महिलाओं के बीच शक्ति के असन्तुलन को उजागर और ज़्यादा पैना किया है.
महासचिव गुटेरेश के अनुसार, लैंगिक खाई को पाटा जाना, ना केवल महिलाओं व लड़कियों के लिये न्याय का विषय है, यह मानवता के लिये हालात बदलने वाला मुद्दा भी है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि लैंगिक क्षेत्र में रूपान्तरकारी बदलावों से, सरकारों व व्यवसायों में ज़्यादा संख्या में महिलाएँ शीर्ष पदों पर पहुँच सकेंगी.
साथ ही, उन्होंने ऐसे पुरातनपन्थी क़ानूनों का विरोध किये जाने का आहवान किया है, जिनसे लैंगिक भेदभाव को संस्थागत रूप से बढ़ावा मिलता हो.
डिजिटल विभाजन के ख़तरे
यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि भरोसा फिर से बहाल करने और आशा का संचार करने के लिये, डिजिटल विभाजन को पाटा जाना होगा. उन्होंने आगाह किया कि विश्व की आधी आबादी के पास अभी इण्टरनेट तक पहुँच नहीं है.
महासचिव ने डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म की बढ़ती पहुँच, और डेटा के उपयोग व उसके ग़लत इस्तेमाल से डिजिटल जुड़ाव में निहित जोखिमों के प्रति भी सचेत किया.
यूएन प्रमुख ने कहा कि टैक्नॉलॉजी से जुड़े मुद्दों पर गम्भीर चर्चा किये जाने की आवश्यकता है, और इनमें स्वचालित हथियार भी हैं, जिन पर पाबन्दी लगाए जाने की पैरवी की गई है.
युवजन का साथ
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि युवजन के साथ, पीढ़ीगत खाई को पाटे जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि आज के निर्णयों से युवाओं का कल निर्धारित होगा.
यूएन प्रमुख के अनुसार, युवजन को पहले से कहीं ज़्यादा समर्थन की आवश्यकता है, और कि उन्हें बातचीत व निर्णयों की मेज़ पर बैठने के लिये एक स्थान चाहिये.
उन्होंने, इसके मद्देनज़र, भावी पीढ़ियों के विषय पर एक विशेष दूत नियुक्त करने और यूएन युवजन कार्यालय स्थापित किये जाने की घोषणा की है.