अफ़ग़ानिस्तान: यूनीसेफ़ का ज़ोर, लड़कियों को तालीम से वंचित ना रखा जाए

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने अफ़ग़ानिस्तान से मिली इन ख़बरों का स्वागत किया है कि वहाँ शनिवार से सैकण्डरी स्कूल खोले जा रहे हैं. कोविड-19 के कारण, कई महीनों से ये स्कूल बन्द थे. मगर, यूनीसेफ़ ने ज़ोर देकर ये भी कहा है कि लड़कियों को, स्कूलों से बाहर नहीं रखा जाए, यानि उन्हें भी स्कूलों में जाकर शिक्षा हासिल करने का मौक़ा दिया जाए.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने शुक्रवार को जारी एक वक्तव्य में कहा है, “हम बहुत चिन्तित हैं कि बहुत सी लड़कियों को, इस बार फिर से स्कूलों में जाकर शिक्षा हासिल करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी.”
UNICEF welcomes news that secondary schools in Afghanistan will be open tomorrow after closing down for months due to COVID-19. We are deeply worried, however, that many girls may not be allowed back at this time.Girls cannot, and must not, be left behind.
unicefchief
मीडिया ख़बरों के अनुसार, तालेबान ने स्कूल फिर से खोले जाने की जो घोषणा की है, उसमें स्कूलों में केवल लड़कों की वापसी की बात की गई है, और लड़कियों की स्कूल वापसी का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है.
हैनरीएटा फ़ोर ने कहा, “लड़कियों को पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिये, और ना ही छोड़ा जा सकता है. ये बहुत अहम है कि सभी लड़कियाँ, बिना किसी देरी के, अपनी तालीम फिर से शुरू करें. उसके लिये, हमें महिला अध्यापकों की आवश्यकता होगी.”
तालेबान चरमपंथी गुट ने, अफ़ग़ानिस्तान में 1996 से लेकर 2001 तक शासन किया था और अगस्त 2021 में, अन्तरराष्ट्रीय सेनाओं की वापसी के बीच, देश की सरकार बिखर जाने के बाद, इस गुट ने देश पर फिर नियंत्रण स्थापित कर लिया है.
तालेबान के नियंत्रण के बाद ऐसी चिन्ताएँ बढ़ गई हैं कि वो इस्लामी क़ानून – शरिया की बहुत सख़्त परिभाषा लागू करेंगे जिसके तहत लड़कियों को स्कूल जाकर शिक्षा हासिल करने की इजाज़त नहीं जाती है.
यूनीसेफ़ के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में हाल के मानवीय संकट से पहले भी, लगभग 42 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा के लिये पंजीकृत नहीं थे, जिनमें लगभग 60 प्रतिशत संख्या लड़कियों की थी.
संयुक्त राष्ट्र ने देश के मानवीय संकट में लोगों की मदद करने के वास्ते, 13 सितम्बर को, एक अन्तरराष्ट्रीय दान सम्मेलन आयोजित किया था जिसमें लगभग एक अरब डॉलर की राशि इकट्ठा करने के संकल्प व्यक्त किये गए.
यूनीसेफ़ प्रमुख का कहना है, “लड़कियों को तालीम से वंचित किये जाने का हर दिन, ख़ुद उनके, उनके परिवारों और उनके समुदायों के लिये, हाथ से निकला हुआ एक मौक़ा है.”
इन हालात के बावजूद, अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में, महत्वपूर्ण बेहतरी हुई है जिनका सम्मान करते हुए, उन्हें बरक़रार रखा जाना चाहिये.
अफ़ग़ानिस्तान में, पिछले लगभग दो दशकों के दौरान शिक्षा प्रसार में ख़ासी बढ़ोत्तरी हुई है और स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या में तीन गुना इज़ाफ़ा हुआ है.
पिछले दो दशकों में, स्कूलों में आने वाले बच्चों की संख्या, 10 लाख से बढ़कर लगभग 95 लाख हो गई है.
यूनीसेफ़ ने, तमाम विकास साझीदारों से, अफ़ग़ानिस्तान में भी, “सभी के लिये शिक्षा” के लक्ष्य को समर्थन देने का आग्रह किया है.
हैनरीएटा फ़ोर ने कहा, “यूनीसेफ़, तमाम पैरोकारों और साझीदारों के साथ अपनी मुहिम जारी रखेगा ताकि तमाम लड़कियों व लड़कों को तालीम व ऐसी ट्रेनिंग हासिल करने के समान अवसर मिलें, जिनकी बदौलत वो अपनी ज़िन्दगी बेहतर बना सकें और एक शान्तिपूर्ण व उत्पादक अफ़ग़ानिस्तान बनाएँ.”