WHO: जी20 देशों से कोविड-19 वादे पूरे करने का अनुरोध

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने दुनिया के प्रमुख औद्योगीकृत देशों के संगठन – जी20 के स्वास्थ्य मंत्रियों की एक बैठक में कहा है कि पूर्व उम्मीदों के अनुसार, दुनिया को अब तक, कोरोनावायरस महामारी से छुटकारा मिल जाना चाहिये था, मगर अब भी, इसके उलट वास्तविकता मौजूद है.
जी20 देशों के स्वास्थ्यमंत्रियों की एक बैठक, रविवार को, इटली की राजधानी रोम में हुई है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि बहुत से देशों में अब भी कोविड-19 के संक्रमण मामलों और मौतों की संख्या बढ़ रही है.
At the @g20org Health Minister meeting, I called for commitment & support of #G20 countries to reach @WHO's global #COVID19 target for every country to vaccinate🎯at least 10% of its population by this month🎯at least 40% by end of 2021🎯70% by mid-2022https://t.co/fhLSQzzP7d
DrTedros
उन्होंने कहा कि ऐसा तब हो रहा है जबकि दुनिया भर में, कोविड-19 की रोकथाम वाली वैक्सीन्स के पाँच अरब से ज़्यादा टीके लगाए जा चुके हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि मगर उन पाँच अरब टीकों में से लगभग 75 प्रतिशत टीके, केवल 10 देशों में लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा, “अफ़्रीका में सबसे कम, यानि लगभग 2 प्रतिशत टीके लगाए गए हैं, और ये स्थिति अस्वीकार्य है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन का वैश्विक लक्ष्य दुनिया के हर देश में, सितम्बर के अन्त तक कम से कम 10 प्रतिशत आबादी को, कोविड-19 की वैक्सीन्स के टीके लगाए जाने का है.
वर्ष 2021 के अन्त तक, कम 40 प्रतिशत आबादी, और वर्ष 2022 के मध्य तक, 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है.
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “हम अब भी ये लक्ष्य हासिल कर सकते हैं, मगर एक पक्के इरादे और जी20 देशों की मदद के साथ.”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैक्सीन्स के सबसे बड़े निर्माता, उपभोक्ता और दानदाता देश होने के नाते, जी20 देशों के पास, वैक्सीन समता हासिल करने और महामारी का ख़ात्मा करने की चाबी मौजूद है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने कहा, “हम फिर कभी, इस पैमाने पर, कोई अन्य महामारी नहीं होने दे सकते. और हम इस तरह का अन्याय भी फिर कभी नहीं होने दे सकते.”
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के प्रयास व तरीक़े, कुछ निश्चित मूल सिद्धान्तों पर आधारित होने चाहिये.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि इन सिद्धान्तों में, सभी देशों की भागीदारी और ज़िम्मेदारी नज़र आनी चाहिये; ये सिद्धान्त बहुसमावेशी हों, इसमें ‘वन हैल्थ स्पैक्ट्रम’ के सभी भागीदारों की साझेदारी हो, ये सिद्धान्त, विश्व स्वास्थ्य संगठन के शासनादेश से जुड़े हों; व अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामकों और अन्य सन्धियों और समझौतों के साथ मेल खाते हों.
“और ये सिद्धान्त जवाबदेह व पारदर्शी भी हों.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने इस पृष्ठभूमि के साथ बोलते हुए, चार प्रमुख कार्रवाई क्षेत्र भी गिनाए, जिनकी शुरुआत, एक बेहतर वैश्विक प्रशासन के साथ होती है.
उन्होंने कहा, “महामारियों की रोकथाम तैयारियों व उनका मुक़ाबला करने के बारे एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि से, वैश्विक सहयोग की नींव मज़बूत होगी, खेल के नियम तय होंगे, और देशों के बीच एकजुटता बढेगी.”
राष्ट्रीय और वैश्विक मुस्तैदी और कार्रवाई के लिये ज़्यादा और बेहतर वित्त व्यवस्था, दूसरा बिन्दु था.
“वित्तीय सुविधाएँ, मौजूदा वित्तीय संस्थानों का इस्तेमाल करते हुए, बनाई जानी चाहिये, नाकि नई बनाई जाएँ जिनसे वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचा और भी ज़्यादा बिखर जाने की आशंका है.”
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने, ‘वन हैल्थ स्पैक्ट्रम’ में, पहले ही बेहतर प्रणालियों और उपकरणों की दिशा में, क़दम उठाए हैं.
उन्होंने अन्तिम बिन्दु की ओर ध्यान दिलाते हुए, एक मज़बूत, सशक्त और वित्तीय रूप में टिकाऊ विश्व स्वास्थ्य संगठन की ज़रूरत पर जोर दिया, जिसके ज़रिये, ये संगठन अपना व्यापक शासनादेश पूरा कर सकेगा.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया ने अपने भाषण का समापन करते हुए, जी20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों से आग्रह किया कि वो वैक्सीन ख़ुराकें और वैक्सीन निर्माण टैक्नॉलॉजी साझा करने के अपने वादे पूरे करने के लिये, कोवैक्स सुविधा के साथ सहयोग करें.
साथ ही, बौद्धिक सम्पदा में भी लचीला रुख़ अपनाकर क्षेत्रीय वैक्सीन निर्माताओं की मदद करें.
उन्होंने जी20 देशों से ये अनुरोध भी किया कि महामारी की रोकथाम और उसका मुक़ाबला करने के लिये पूर्व तैयारी पर, क़ानूनी रूप से बाध्य एक अन्तरराष्ट्रीय समझौता विकसित करने और उसे लागू करने में मदद करें.
साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शुरू किये गए कार्यक्रमों और योजनाओं को समर्थन देकर, इसे मज़बूत बनाएँ, नाकि इसके शासनादेश को कमज़ोर करें.