अफ़ग़ानिस्तान: उभर रहा है एक मानवीय संकट, दुनिया नहीं फेर सकती नज़रें
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी – UNHCR ने शुक्रवार को आगाह करते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में, मौजूदा हालात को देखते हुए, और नाज़ुक हालात का सामना कर रहे अफ़ग़ान लोगों द्वारा, सीमापार शरण मांगने के मद्देनज़र अनिश्चितता की स्थिति में, एक बहुत बड़ा मानवीय संकट मंडराता नज़र आ रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने इस संकट का सामना करने के प्रयासों के तहत धन इकट्ठा करने की ख़ातिर, 13 सितम्बर को जिनीवा में, एक सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है.
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने शुक्रवार को जारी एक वक्तव्य में कहा, “इस सम्मेलन के ज़रिये, धन इकट्ठा करने के प्रयासों में तेज़ी की हिमायत की जाएगी ताकि मानवीय सहायता अभियान जारी रह सकें."
Despite immense challenges and a rapidly evolving humanitarian emergency, UNHCR and partners in Afghanistan are committed to stay and deliver protection and critical aid to displaced Afghans to address the immense and increasing human suffering. pic.twitter.com/YcEK4isO3R
Refugees
"साथ ही निर्बाध मानवीय सहायता जारी रखने देने की अपील भी की जाएगी ताकि ज़रूरमन्द अफ़ग़ान लोगों को ज़रूरी सेवाएँ हासिल होती रहें.”
यूएन प्रवक्ता ने कहा कि ये विश्व संगठन, अफ़ग़ानस्तान में, लाखों ज़रूरतमन्द लोगों के लिये मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिये प्रतिबद्ध है. “अभी तक हासिल किये गए विकास लाभों को सहेजना भी होगा ताकि उन्हें अफ़ग़ानिस्तान में मध्यम व दीर्घकालीन स्थिरता से जोड़ा जा सके."
"लोगों के मानवाधिकार, सुरक्षा और महिलाओं व लड़कियों की हिफ़ाज़त, इस कड़ी का बहुत अहम व ज़रूरी हिस्सा हैं.”
विस्थापन का संकट
संयुक्त की शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता बाबर बलोच ने, पाकिस्तान से बात करते हुए कहा है, “वास्तविकता ये है कि अफ़ग़ानिस्तान के भीतर ही विस्थापन संकट पैदा हो गया है. वर्ष 2021 के दौरान ही, लगभग छह लाख अफ़ग़ान, देश के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, जिनमें 80 प्रतिशत, महिलाएँ और बच्चे हैं.”
बाबर बलोच ने विश्व से अपील करते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान व अफ़ग़ान लोगों से इस समय, ध्यान नहीं हटाया जा सकता. उन्होंने आगाह करते हुए ये भी कहा कि इस स्थिति को एक मानवीय त्रासदी नहीं बनने दिया जा सकता.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता बाबर बलोच ने पाकिस्तान से मिलने वाली अफ़ग़ान सीमा पर स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि एजेंसी ने, पाकिस्तान व ईरान में दाख़िल होने की चाह रखने वाले शरणार्थियों का ऐसा दृश्य, पहले कभी नहीं देखा है.
उन्होंने कहा कि इस स्थिति के लिये ज़िम्मेदार कारण अस्पष्ट हैं; “ये हो सकता है कि इनमें से कुछ लोग ये समझते हों कि उनके पास सही दस्तावेज़ नहीं हैं, कुछ अन्य लोग, सीमाओं पर सशस्त्र सुरक्षा गार्डों का सामना करने में सहज ना हों.”
“अफ़ग़ान लोग, अब भी पाकिस्तान में दाख़िल हो पा रहे हैं, मगर या दाख़िला बहुत नियंत्रित है और दाख़िल होने के लिये, सभी लोगों को अपने पहचान पत्र, पासपोर्ट या वीज़ा वग़ैरा दिखाना होता है.”
पत्रकारों को सुरक्षा की तत्काल ज़रूरत
इस बीच, संयुक्त द्वारा नियुक्त कुछ स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भी शुक्रवार को कहा है कि तमाम देशों को, उन अफ़ग़ान पत्रकारों व मीडियाकर्मियों को तत्काल सुरक्षा मुहैया करानी होगी जिन्हें अपनी जान का ख़तरा है और जिन्होंने अपनी सुरक्षा की ख़ातिर विदेशों में पनाह मांगी है.
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि ख़ासतौर पर, महिलाओं की सुरक्षा के बारे में ज़्यादा चिन्ता है क्योंकि, देश में तालेबान का राजनैतिक नियंत्रण स्थापित होने के बाद, महिलाओं को ज़्यादा असुरक्षा व जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है.
“महिलाओं को या तो मीडिया में काम करने के लिये, या फिर सार्वजनिक जीवन में केवल महिला होने के नाते ही, उन्हें निशाना बनाए जाने का ख़तरा है.”
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार, हाल के महीनों में, तालेबान के नियंत्रण वाले इलाक़ों में, पत्रकारों और उनके परिजनों की पहचान कर मारे जाने और उनके घरों पर छापेमारी, धमकियाँ देने और परेशान करने के मामलों में बढ़ोत्तर होने की ख़बरें मिली हैं.