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कोविड-19: वैक्सीन के असर में कमी ला सकता है ‘म्यू’ वेरिएंट

कोलम्बिया में कोविड-19 के फैलवा को रोकने के लिये लोग फ़ेस मास्क पहन रहे हैं.
IMF/Joaquin Sarmiento
कोलम्बिया में कोविड-19 के फैलवा को रोकने के लिये लोग फ़ेस मास्क पहन रहे हैं.

कोविड-19: वैक्सीन के असर में कमी ला सकता है ‘म्यू’ वेरिएंट

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोनावायरस के एक नए वेरिएंट ‘म्यू’ की नज़दीकी तौर पर निगरानी की जा रही है. कोरोनवायरस के इस नए प्रकार का वैज्ञानिक नाम B.1.621 बताया गया है. 

महामारी विज्ञान सम्बन्धी अपने साप्ताहिक अपडेट में यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि कोरोनावायरस का यह वेरिएंट कोलम्बिया और इक्वाडोर में तेज़ी से फैल रह है. 

साथ ही वायरस के इस प्रकार पर वैक्सीनों के कम प्रभावी होने की आशंका है. 

यूएन एजेंसी के मुताबिक ‘म्यू’ के शुरुआती मामले, पहली बार जनवरी 2021 में कोलम्बिया में देखे गए थे. उसके बाद से दक्षिण अमेरिका और योरोप में इसके संक्रमण व छिटपुट फैलाव के मामले सामने आते रहे हैं.

वैश्विक स्तर पर कोविड-19 संक्रमण मामलों की सीक्वेन्सिन्ग में ‘म्यू” के मामले 0.1 प्रतिशत से भी कम बताए गए हैं.

मगर, कोलम्बिया और इक्वाडोर में वायरस के इस रूप के संक्रमण निरन्तर बढ़ रहे हैं, जहाँ अब कुल संक्रमणों में ये वेरिएंट क्रमश: 39 फ़ीसदी और 13 फ़ीसदी मामलों के लिये ज़िम्मेदार है.

इस वर्ष मार्च महीने से यह कोरोनावायरस का पाँचवा (variant of interest ) प्रकार है, जिसकी यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने निगरानी करने की बात कही है. 

इस वायरस में ऐसे बदलाव देखे गए हैं जिनसे संकेत मिलता है कि इससे वैक्सीनों की कारगरता में कमी आ सकती हैं. हालांकि

इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये अभी और अध्ययन किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

शुरुआती आँकड़े दर्शाते हैं कि वैक्सीनों की कारगरता में कमी वैसी ही आंकी गई है, जैसा कि बीटा वेरिएंट के मामले में देखा गया था.

नॉवल कोरोनावायरस से अब तक कोलम्बिया में 49 लाख से अधिक संक्रमण मामलों की पुष्टि हुई है और एक लाख 24 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. 

27 अगस्त तक देश में तीन करोड़ 42 लाख ख़ुराकों को दिया जा चुका है.

इस बीच, दक्षिण अफ़्रीकी मीडिया के मुताबिक देश के वैज्ञानिक एक अन्य वेरिएंट के फैलाव की क़रीब से निगरानी कर रहे हैं.

हालांकि यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बताया कि C.1.2 नामक यह वेरिएंट फ़िलहाल चिन्ताजनक नहीं है. यूएन एजेंसी के मुताबिक अभी ऐसा प्रतीत नहीं होता कि इसका फैलाव बढ़ रहा है.