अफ़्रीकी मूल के लोगों के लिये, पहला यूएन अन्तरराष्ट्रीय दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने, जीवन व मानवता के क्षेत्र में, अफ़्रीकी मूल के लोगों द्वारा किये गए असीम योगदान को पहचान देने के लिये, मंगलवार, 31 अगस्त को, अफ़्रीकी मूल के लोगों का पहला अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस के शुरुआती सन्देश में, सभी इनसानों के लिये, समानता, न्याय और गरिमा का वादा आगे बढ़ाने के लिये, और भी ज़्यादा संकल्प दिखाने की पुकार लगाई है.
और देर ना हो
यूएन महासचिव ने अपने सन्देश में कहा, “अफ़्रीकी मूल के लोगों के साथ, सदियों से जो व्यवस्थागत भेदभाव और असीम अन्याय किये गए हैं, उन्हें पहचान देने में, पहले ही बहुत देर हो चुकी है, इन लोगों को, इस तरह का भेदभाव और अन्याय, आज भी सहना पड़ता है.”
“और ये तात्कालिक व अहम पुकार है, सभी से, हर जगह - नस्लभेद की बुराई को, जड़ से उखाड़ फेंकने के लिये.”
केवल अमेरिका क्षेत्र में ही, अफ़्रीकी मूल के लोगों की संख्या लगभग 20 करोड़ समझी जाती है. अफ़्रीकी महाद्वीप से बाहर भी, दुनिया के अनेक हिस्सों में, लाखों ऐसे लोग बसते हैं.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि चाहें अन्तर-महाद्वीपीय दास व्यापार के पीड़ित हों या हाल के समय में, प्रवासियों की बात हो, अफ़्रीकी मूल के लोग, निर्धनतम और सर्वाधिक हाशियों पर धकेल दिये गए समूहों में शामिल हैं.
यूएन महासभा ने, दिसम्बर 2020 में, ये अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाने लिये, एक प्रस्ताव पारित किया था.
ये अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाने का मक़सद, समाजों के विकास में, अफ़्रीकी मूल के लोगों की विविधता भरी विरासत, संस्कृति और योगदान को और ज़्यादा पहचान व सम्मान देना, और उनके मानवाधिकारों व बुनियादी स्वतंत्रताओं को प्रोत्साहन देना है.
विरासत को पहचानें, ग़लतियाँ सुधारें
यूएन महासचिव ने इस अवसर पर, नस्लभेद को ख़त्म करने के लिये, इस विश्व संगठन द्वारा किये जा रहे कामकाज की तरफ़ भी ध्यान खींचा.
संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन – यूनेस्को द्वारा चलाई जा रही - दासिता का मार्ग नामक परियोजना (The Slave Route) में, दासता के लालच व उसकी तकलीफ़ों के इर्दगिर्द, खुली व बेबाक बातचीत और चर्चा को प्रोत्साहित किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) भी एक कार्यक्रम चलाता है जिसमें अफ़्रीकी मूल के युवाओं के लिये, अवसर मुहैया कराने पर ध्यान दिया जाता है.
जबकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने व्यवस्थागत नस्लभेद का मुक़ाबला करने, जवाबदेही निर्धारित करने, और सुधार व राहत पहुँचाने वाला न्याय सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत, एक कार्यक्रम चलाया हुआ है जिसका नाम है - Agenda Towards Transformative Change for Racial Justice and Equality.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अगस्त 2021 के आरम्भ में, अफ़्रीकी मूल के लोगों के लिये, संयुक्त राष्ट्र का एक स्थाई फ़ोरम (मंच) स्थापित किया था. इसमें 10 सदस्यों वाली एक परामर्शकारी संस्था, जिनीवा स्थित, यूएन मानवाधिकार परिषद के साथ मिलकर काम करेगी.
यूएन प्रमुख ने कहा, “सदियों तक जारी रही दासता की विरासत को पहचान देने, अतीत की ग़लतियों को सुधारने, और प्रभुत्व जमाने की बुराई को उखाड़ फेंकने के लिये, पक्की लगन और हर दिन, हर स्तर पर व हर समाज में, कार्रवाई किये जाने की ज़रूरत है.”
“आइये, हम साथ मिलकर अपनी भूमिका निभाने और समानता, न्याय और सभी के लिये गरिमा का अपना वादा और आगे बढ़ाने का संकल्प लें.”