वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

राष्ट्रीयता का अधिकार, पहले से कहीं ज़्यादा अहम - UNHCR

नाइजीरिया में विस्थापित लोगों के एक शिविर में बच्चों को जन्म प्रमाणपत्र प्रदान किये जा रहे हैं.
© UNHCR/Gabriel Adeyemo
नाइजीरिया में विस्थापित लोगों के एक शिविर में बच्चों को जन्म प्रमाणपत्र प्रदान किये जा रहे हैं.

राष्ट्रीयता का अधिकार, पहले से कहीं ज़्यादा अहम - UNHCR

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने कहा है कि राष्ट्रीयता के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना और राष्ट्रविहीनता का उन्मूलन पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. 

यूएन एजेंसी ने राष्ट्रविहीनता में कमी लाने के लिये यूएन सन्धि को पारित किये जाने के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर यह बात कही है. 

शरणार्थियों के लिये यूएन उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने कहा कि बढ़ते जबरन विस्थापन के अलावा नई वैश्विक चुनौतियों, जैसे कि कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों ने दर्शाया है कि राष्ट्रीयता का अधिकार कितना अहम है. 

Tweet URL

उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीयता का होना, और उसके ज़रिये सरकार से प्राप्त होने वाला संरक्षण, जीवनदायी अन्तर हो सकता है, विशेष रूप से संकटपूर्ण काल में. 

फिर चाहे यह टीकाकरण हो, सुरक्षित देश से निकालने या फिर ज़रूरत होने पर सामाजिक संरक्षा उपायों को प्रदान किया जाना.

अधिकांश राष्ट्रविहीन लोगों को क़ानूनी दर्जा प्राप्त नहीं है और वे अदृश्य हैं, यही कारण है कि वे सामने नहीं आना चाहते क्योंकि उन्हें देशनिकाला दे दिया जा सकता है या फिर उन पर जुर्माना लग सकता है.

इस वजह से वे राजनैतिक और आर्थिक रूप से वंचित रहने के लिए मजबूर होते हैं, उनके साथ भेदभाव होता है और उन्हें शोषण व उत्पीड़न का भी जोखिम झेलना पड़ता है.

बुनियादी सेवाओं तक उनकी पहुँच चुनौतीपूर्ण होती है, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और क़ानूनी रोज़गार सहित अन्य सेवाएँ हैं.

कोविड-19 महामारी के दौरान उन्हें टीकाकरण प्रक्रिया के दायरे से भी बाहर रखा जा सकता है. 

साथ ही, महामारी से आजीविका पर होने वाले असर को कम करने के लिये उन्हें सामाजिक-आर्थिक राहत पैकेज भी सुलभ नहीं होते.

यूएन एजेंसी के मुताबिक जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन की चुनौती गहरा रही है, इसके प्रभावों को कम करने  के लिये किये जाने वाले सरकारी उपायों से राष्ट्रविहीनों के बाहर रह जाने का जोखिम है.

एक अनुमान के अनुसार, विश्व के 94 देशों में 42 लाख राष्ट्रविहीन लोग रहते हैं. मगर उनकी वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है. 

राष्ट्रविहीनता का उन्मूलन

राष्ट्रविहीनता के मुद्दे पर 1961 में हुई सन्धि की वर्षगाँठ के अवसर पर, यूएन एजेंसी ने सभी सदस्य देशों को ध्यान दिलाया है कि इस सन्धि के ज़रिये यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि किसी भी बच्चे का जन्म राष्ट्रीयता के बग़ैर ना हो. 

साथ ही, समय के साथ, इससे अन्तत: राष्ट्रविहीनता के उन्मूलन का मार्ग भी प्रशस्त हो सकेगा. 

अगस्त 2021 के अन्त तक, 77 देश इस सन्धि में शामिल हो चुके हैं और पिछले एक दशक में ऐसे देशों की संख्या बढ़ी है.

वर्ष 2010 से, 40 सदस्य देशों ने राष्ट्रविहीनता में कमी लाने के लिये सन्धि में शामिल होकर, औपचारिक रूप से अपने संकल्प को मज़बूत किया है. 

इसी अवधि में लगभग आठ लाख राष्ट्रविहीनों की राष्ट्रीयता की पुष्टि करने में सफलता मिली है. 

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में छह लाख से ज़्यादा राष्ट्रविहीन रोहिंज्या शरणार्थी रह रहे हैं.
© UNICEF/Bashir Sujan
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में छह लाख से ज़्यादा राष्ट्रविहीन रोहिंज्या शरणार्थी रह रहे हैं.

राष्ट्रविहीनता के अन्त के लिये वैश्विक कार्ययोजना के 10 प्रमुख कार्रवाई बिन्दुओं में 1961 की सन्धि एक उपाय है. 

इस योजना के ज़रिये सदस्य देशों को ऐसा फ़्रेमवर्क प्रदान किया गया है जिसके ज़रिये #IBelong Campaign नामक मुहिम को समर्थन प्रदान किया जा सकता है. 

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी व साझीदार संगठनों ने दस वर्षों के भीतर, राष्ट्रविहीनता का अन्त करने के लिये वर्ष 2014 में इस अभियान की शुरुआत की थी.