वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

यमन: गृह युद्ध जल्दी ख़त्म होने के आसार नहीं नज़र आते

यमन में, गृह युद्ध के कारण, लाखों लोगों को अपने घर छोड़कर, अस्थाई शिविरों में रहने के लिये मजबूर होना पड़ा है.
© UNICEF/Hisham Al-Helali
यमन में, गृह युद्ध के कारण, लाखों लोगों को अपने घर छोड़कर, अस्थाई शिविरों में रहने के लिये मजबूर होना पड़ा है.

यमन: गृह युद्ध जल्दी ख़त्म होने के आसार नहीं नज़र आते

शान्ति और सुरक्षा

मध्य पूर्व क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ख़ालेद ख़ैरी ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि यमन में, सम्बद्ध पक्षों के बीच, गृहयुद्ध समाप्त करने के लिये किसी राजनैतिक समझौते पर कोई सहमति नहीं बन सकी है. ध्यान रहे कि यमन में, गृहयुद्ध सातवें वर्ष में दाख़िल हो गया है.

मध्य पूर्व, एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के लिये, सहायक महासचिव ख़ालेद ख़ैरी ने कहा, “संघर्ष का, कोई वार्ता आधारित समाधान तलाश करने के लिये, एक समावेशी और यमनी लोगों के नेतृत्व वाली एक राजनैतिक प्रक्रिया शुरू किया जाना बहुत ज़रूरी है.”

उन्होंने, इस सम्बन्ध में वर्ष 2015 की शान्ति योजना का ज़िक्र किया जिसमें राष्ट्रव्यापी युद्धविराम लागू किया जाने, सना हवाई अड्डा फिर से खोले जाने, हुदायदाह बन्दरगाह के ज़रिये ईंधन और अन्य सामान की आवाजाही के लिये, प्रतिबन्ध हटाए जाने और रूबरू राजनैतिक वार्ताएँ फिर शुरू किये जाने का आहवान किया गया है.

ख़ालेद ख़ैरी ने कहा कि हूती लड़ाकों ने हुदायदाह बन्दरगाह और सना हवाई अड्डे को खोलना जारी रखा है और साथ ही, “आक्रामक व नियंत्रण वाली गतिविधियाँ” भी बन्द कर रखी हैं. राजनैतिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी के लिये ये कुछ शर्तें रही हैं.

ध्यान रहे कि रियाध समझौते पर सऊदी अरब के समर्थन से शुरू हुई वार्ताएँ, जुलाई में, ईद के लिये रुकने के बाद से, अभी फिर से शुरू होनी बाक़ी हैं. 
इस समझौते के तहत, प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की, अदन वापसी पर मुख्य ध्यान केन्द्रित किया गया है.

ख़ालेद ख़ैरी ने कहा कि इस समझौते का समय पर क्रियान्वयन, देश के दक्षिणी हिस्से में मौजूद तनाव को ख़त्म करने के लिये बहुत अहम है.

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक, शान्तिनिर्माण व शान्ति अभियानों से सम्बन्धित मामलों के विभाग के, मध्य पूर्व, एशिया और प्रशान्त क्षेत्रों के लिये, सहायक महासचिव मोहम्मद ख़ालेद ख़ैरी, यमन की स्थिति पर सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हए.
UN Photo/Manuel Elias
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक, शान्तिनिर्माण व शान्ति अभियानों से सम्बन्धित मामलों के विभाग के, मध्य पूर्व, एशिया और प्रशान्त क्षेत्रों के लिये, सहायक महासचिव मोहम्मद ख़ालेद ख़ैरी, यमन की स्थिति पर सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हए.

लड़ाई से मारिब के मुख्य रास्ते पर जोखिम

ख़ालेद ख़ैरी ने कहा कि इस बीच, सैन्य गतिविधियाँ कम-ज़्यादा तीव्रता के साथ लगातार जारी हैं और अल जौफ़ व तायज़ में छुटपुट झड़पें भी दर्ज की गई हैं. मारिब एक मुख्य रणनैतिक केन्द्र बना हुआ है.

उन्होंने सभी पक्षों से, अपना दायरा नियंत्रण बढ़ाने के लिये किये जा रहे तमाम प्रयासों को तुरन्त रोकने का आहवान किया है.

रियाल में भारी गिरावट

ख़ालेद ख़ैरी ने कहा कि आर्थिक मोर्चे पर, सरकार के नियंत्रण वाले इलाक़ों में, रियाल (यमनी मुद्रा) का मूल्य रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच कर - एक अमेरिकी डॉलर की तुलना में, 1000 रियाल पर पहुँच गया है.

दक्षिणी संक्रमणकालीन परिषद ने, अपने नियंत्रण वाले दक्षिणी हिस्से के अदन व अन्य इलाक़ों में, स्वतंत्र स्थानीय मुद्रा विनिमय दर लागू करने की धमकी दी है. अगर ऐसा हुआ तो, एक समावेशी आर्थिक पुनर्बहाली सम्भव बनाने के प्रयास और ज़्यादा जटिल हो जाएंगे.

बच्चों पर हिंसा का क़हर

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने कहा है कि दो वर्ष पहले उन्होंने स्थिति की जो जानकारी सुरक्षा परिषद के सामने रखी थी, उसके बाद से, ज़मीनी हालात में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं देखा गया है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हर दिन, हिंसा और विध्वंस, बच्चों व उनके परिवारों पर क़हर बरपाते हैं.”

यमन में, देश के भीतर ही विस्थापित लोगों के लिये बनाए गए एक शिविर में, एक बच्चा बर्तन साफ़ करते हुए.
©UNICEF/Gabreez
यमन में, देश के भीतर ही विस्थापित लोगों के लिये बनाए गए एक शिविर में, एक बच्चा बर्तन साफ़ करते हुए.

हैनरीएटा फ़ोर ने बताया कि वर्ष 2021 के दौरान अभी तक, हिंसा के कारण, लगभग 16 लाख बच्चे, देश के ही भीतर विस्थापित हुए हैं, मुख्य रूप से हुदायदाह और मारिब में. इसके अलावा, ज़रूरी स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा सेवाएँ बहुत कमज़ोर अवस्था में हैं और पूरी तरह से ढह जाने के निकट हैं. 

उन्होंने कहा कि इस बीच, सकल घरेलू उत्पाद में, वर्ष 2015 से, 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जोकि एक बड़ी चिन्ता का कारण है क्योंकि देश की लगभग एक चौथाई आबादी, सिविल सेवकों के वेतनों पर निर्भर है, जिनमें डॉक्टर, अध्यापक और स्वच्छताकर्मी शामिल हैं. उन्हें वेतन का भुगतान नियमित नहीं है, कभी-कभी तो वेतन मिलता ही नहीं है. 

हर 10 मिनट में एक बच्चे की मौत

हैनरीएटा फ़ोर ने कहा कि यमन में, लगभग दो करोड़, 10 लाख बच्चों को, जीवित रहने के लिये, मानवीय सहायता की ज़रूरत है, जिनमें क़रीब एक करोड़ 13 लाख बच्चे हैं. लगभग 23 लाख बच्चे गम्भीर रूप से कुपोषित हैं और पाँच वर्ष से कम उम्र के, क़रीब चार लाख बच्चे अत्यन्त गम्भीर कुपोषण के शिकार हैं.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा, “यमन में, हर दस मिनट में एक बच्चे की मौत, ऐसी बीमारियों के कारण हो जाती है जिन्हें रोका या उनका इलाज किया जा सकता है. इनमें कुपोषण और ऐसी बीमारियाँ शामिल हैं जिनकी रोकथाम के लिये वैक्सीनें उपलब्ध हैं.”

क़रीब 20 लाख बच्चे, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं और छह में से एक स्कूल का अब बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. 

संघर्ष के कारण, दो तिहाई अध्यापकों यानि लगभग एक लाख 70 हज़ार को, चार वर्ष से, नियमित रूप से वेतन नहीं मिला है, जिसके कारण लगभग 40 लाख अतिरिक्त बच्चों के लिये, स्कूली शिक्षा से वंचित हो जाने का जोखिम उत्पन्न हो गया है. 

क्योंकि वेतन नहीं मिलने के कारण, बहुत से अध्यापक, अपने परिवारों का ख़र्च चलाने की ख़ातिर आमदनी के लिये कुछ और काम की तलाश में, अध्पायन कार्य छोड़ने को मजबूर हैं.