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अफ़ग़ानिस्तान: यूएन एजेंसियाँ ज़मीन पर मदद के लिये मुस्तैद

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक स्कूल में, 400 से अधिक परिवारों ने शरण ली है.
© UNICEF Afghanistan
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के दक्षिणी हिस्से में स्थित एक स्कूल में, 400 से अधिक परिवारों ने शरण ली है.

अफ़ग़ानिस्तान: यूएन एजेंसियाँ ज़मीन पर मदद के लिये मुस्तैद

शान्ति और सुरक्षा

अफ़ग़ानिस्तान में, संयुक्त राष्ट्र की तीन मानवीय सहायता एजेंसियों के प्रमुखों ने, बुधवार को, राजधानी काबुल से वीडियो लिंक के ज़रिये, न्यूयॉर्क स्थित पत्रकारों को सम्बोधित किया और यूएन एजेंसियों द्वारा अफ़ग़ान लोगों की मदद के लिये किये जा रहे जम़ीनी कार्यों की जानकारी दी. ये तीन एजेंसियाँ हैं विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR), और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF).

प्रेस वार्ता को शुरुआती सम्बोधन में, अफ़ग़ानिस्तान में, विश्व खाद्य कार्यक्रम की देश निदेशक मैरी ऐलेन मक्ग्रोआर्टी ने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान में, आज हमारी आँखों के सामने असीम दायरों वाला मानवीय संकट विकट हो रहा है. लगभग एक करोड़ 40 लाख लोग, गम्भीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं. संघर्ष के साथ-साथ सूखे और कोविड-19 के सामाजिक व आर्थिक प्रभाव ने मिलकर, पहले से ही बेहद ख़राब हालात को त्रासदी में तब्दील कर दिया है.”

उन्होंने कहा, “हम निर्बाध मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिये, नए प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुँचने की सक्रिय कोशिश कर रहे हैं.”

जब से तालेबान ने देश की सीमाओं पर अपना नियंत्रण स्थापित किया है, “हम खाद्य सहायता सामग्री, सीमाओं से देश के भीतर दाख़िल करने के लिये, प्रक्रियों पर काम कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि सर्दियों का मौसम दस्तक दे रहा है और बर्फ़बारी द्वारा सड़कों व मार्गों को ठप करने देने से पहले, खाद्य सामग्री, ज़रूरत वाले स्थानों पर पहुँचा दिया जाना बहुत ज़रूरी है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम की अफ़ग़ानिस्तान में प्रतिनिधि ने बताया कि ये काम करने के लिये, एजेंसी को तक़रीबन 20 करोड़ डॉलर की ज़रूरत होगी.

ज़्यादातर विस्थापित महिलाएँ और बच्चे

शरणार्थियों के लिये काम करने वाली यूएन एजेंसी – UNHCR की, अफ़ग़ानिस्तान प्रतिनिधि कैरोलाइन वान बुरेन ने कहा कि देश के भीतर ही विस्थापित होने वाली आबादी में, लगभग 80 प्रतिशत संख्या महिलाओं और बच्चों की है, जिन्हें आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और अन्य राहत सामग्रियों की तत्काल ज़रूरत है.

उन्होंने कहा कि इस समय, ज़्यादातर विस्थापन देश के भीतर ही हो रहा है और देश के भीतर, लगभग 5 लाख लोग, केवल इसी वर्ष विस्थापित हुए हैं.

उन्होंने कहा, “गम्भीर मानवीय ज़रूरतें, बेतहाशा तेज़ी से बढ़ रही हैं. देश के भीतर, विस्थापन के लिये मजबूर होने वालों में, 80 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं... इन्हें अन्य ज़रूरतों के साथ-साथ सुरक्षा और स्थिरता की ज़रूरत है”

वान बुरेन ने बताया कि यूएन शरणार्थी एजेंसी ने देशों से आग्रह किया है कि वो अफ़ग़ान नागरिकों को जबरन अफ़ग़ानिस्तान वापिस ना भेजें.

उन्होंने कहा, “स्थिति, अनुमान या आकलन से बिल्कुल बाहर है, जगह-जगह लड़ाई और असुरक्षा के हालात जारी हैं. तालेबान ने आम आबादी की सुरक्षा व मानवाधिकारों का सम्मान किये जाने का सार्वजनिक आश्वासन दिया है, जिसमें महिलाओं और लड़कियों के अधिकार भी शामिल हैं.”

“हम इस आश्वासन का स्वागत करते हैं, मगर ये बहुत ज़रूरी है कि कथनी को तेज़ी से करनी में बदला जाए.”

महिलाओं और बच्चों के लिये

अफ़ग़ानिस्तान में, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ के शीर्ष अधिकारी हर्वे डी लिस ने कहा कि यूनीसेफ़, अफ़ग़ानिस्तान में, 65 वर्षों से सक्रिय है और “हम देश छोड़कर नहीं जा रहे हैं.”

हर्वे डी लिस ने कहा है कि निकट भविष्य में अनुत्तरित प्रश्नों की मौजूदगी के बावजूद, “एक बात तो बिल्कुल निश्चित है; यूनीसेफ़ यहीं रहेगा और अफ़ग़ानिस्तान में, हर बच्चे और हर एक महिला तक सहायता पहुँचाएगा. यूनीसेफ़ यहाँ 65 वर्षों से मौजूद है और हम यहाँ से कहीं नहीं जा रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि यूनीसेफ़, देश भर में अभियानजनक मौजूदगी क़ायम रखने के लिये, नए नेतृत्व के साथ, रचनात्मक रूप से सम्बन्ध बनाने की कोशिश कर रहा है.

“और हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों हम, महिलाओं और बच्चों के लिये अपना कार्य व सहायता और समर्थन जारी रख सकेंगे.” 

उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि यूनीसेफ़ स्टाफ़ ऐसे इलाक़ों में ज़रूरतमन्दों तक पहुँच सकेगा, जहाँ अब से पहले पहुँचना सम्भव नहीं था.

हर्वे डी लिस ने कहा, “हमें ये भी उम्मीद है कि हम पोलियो पर एक विशाल हमला बोल सकेंगे. अफ़ग़ानिस्तान, दुनिया के ऐसे दो देशों में से एक है जहाँ पोलियो महामारी अब भी मौजूद है. हाल के वर्षों में, एक बड़ी चुनौती, बच्चों को पोलियो की ख़ुराक पिलाने के लिये, समुदायों तक पहुँच बना पाना रही है जिसमें घरों व मस्जिदों तक पहुँच बनाने में, मुश्किलें भी शामिल हैं.”

उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और गेट्स संस्थान जैसे साझीदारों के सक्रिय सहयोग से, अफ़ग़ानिस्तान में, पोलियो को ख़त्म करने का अवसर मिल सकेगा.

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में फ़िलहाल एक परिवर्तन का दौर है और किसी को नहीं मालूम कि निकट भविष्य में क्या होने वाला है. 

“लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि पश्चिमी इलाक़े हेरात और दक्षिणी इलाक़े मारूफ़ में प्राइमरी और सैकण्डरी स्कूल खुल गए हैं. लगभग 1500 बच्चे स्कूलों में गए जिनमें 500 लड़कियाँ थीं.”

उन्होंने ये भी बताया कि स्वास्थ्य आयुक्त ने, हाल के दिनों में, तमाम डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों को, अपने काम पर लौटने के लिये कहा है, जिनमें महिलाएँ भी हैं, और ये एक उत्साहजनक संकेत है.