अफ़ग़ानिस्तान: यूएन एजेंसियों व साझीदारों ने स्थानीय आबादी के साथ जताई एकजुटता
संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों और उसके साझीदार संगठनों की अन्तर-एजेंसी स्थाई समिति (Inter Agency Standing Committee) के शीर्षतम अधिकारियों ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की रक्षा सुनिश्चित किये जाने और उन्हें सहायता प्रदान करने के लिये प्रतिबद्धता जताई है.
Now, as always, we remain committed to the people of #Afghanistan and will do everything possible to stay and provide assistance, especially to the most vulnerable. ~ Principals of the IASCFull statement https://t.co/6eUuCCIXXU@cejjimenez @abbymaxman @WHO @WFP @UNOCHA @UNFPA pic.twitter.com/0VNUbvtTn8
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इस वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने वाले संगठनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन, मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये संगठन, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के साथ-साथ कैथॉलिक रिलीफ़ सर्विसेस, इण्टर एक्शन सहित अन्य संगठन शामिल हैं.
बताया गया है कि वर्ष 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की लगभग आधी आबादी को पहले से ही मानवीय सहायता की आवश्यकता थी – इनमें 40 लाख महिलाएं और एक करोड़ बच्चे हैं.
एक तिहाई आबादी को संकट, खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन स्तर का सामना करना पड़ रहा है, और पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग आधे से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
कोविड-19, हिंसक संघर्ष, सूखे की घटनाओं से ये ज़रूरतें तेज़ी से बढ़ी हैं.
हिंसा की वजह से घरेलू विस्थापितों और तत्काल मानवीय राहत पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़कर साढ़े पाँच लाख पहुँच गई है.
यूएन एजेंसियों व साझीदार संगठनों ने अपने साझा बयान में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की उस पुकार का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने हिंसा पर विराम लगाने व अन्तरराष्ट्रीय मानवीय व मानवाधिकार क़ानूनों के अनुपालन पर बल दिया है.
बयान में कहा गया है कि मानवीय राहतकर्मियों के लिये सुरक्षित, त्वरित व निर्बाध रास्तों सुलभ बनाने होंगे ताकि ज़रूरतमन्दों तक सहाता पहुँचाई जा सके.
अधिकारों व आज़ादियों का आदर ज़रूरी
उन्होंने ध्यान दिलाया कि मानवीय राहत कार्रवाई धनराशि की उपलब्धता, अफ़ग़ानिस्तान के भीतर व बाहर आवाजाही और स्वास्थ्य केंद्रों की सुलभता पर निर्भर करेगी.
इस क्रम में अग्रिम मोर्चे पर डटे मानवीय राहत संगठनों की अहम भूमिका व उन्हें समर्थन दिये जाने पर ज़ोर दिया गया है.
यूएन एजेंसियों व अन्य संगठनों के प्रमुखों ने सभी व्यक्तियों के अधिकारों व आज़ादियों का सम्मान किये जाने का आहवान किया है.
लड़कियों व महिलाओं के अधिकारों को विशेष समर्थन दिये जाने की बात कही गई है और उनके अधिकारों में हुई प्रगति को बरक़रार रखा जाना होगा.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि आम नागरिकों को सुरक्षा व शरण पाने का अधिकार है, और इस क्रम में उन्हें प्रयासों की अनुमति मिलनी चाहिए.
अन्तर-एजेंसी समिति ने सरकारों से अफ़ग़ान शरणार्थियों के लिये सीमाओं को खुला रखे जाने का आग्रह किया है ताकि हिंसा व उत्पीड़न से बचाव और देश निकाला दिये जाने से बचा जा सके.
समिति ने ज़ोर देकर कहा कि यह अफ़ग़ान लोगों का साथ छोड़ने का समय नहीं है, और सदस्य देशों, विशेष रूप से पड़ोसी देशों, को जोखिमपूर्ण हालात में रह रहे अफ़ग़ान नागरिकों को हरसम्भव समर्थन मुहैया कराना होगा.
समिति ने दानदाताओं से अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय राहत अभियानों व सुदृढ़ आजीविकाओं के लिये मदद को बनाए रखने की बात कही है.
यूएन एजेंसियों के मुताबिक डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिये एक अरब 30 करोड़ डॉलर की आवश्यकता होगी.
मगर अभी 37 फ़ीसदी रक़म ही प्राप्त हो पाई है और 80 करोड़ डॉलर की अब भी ज़रूरत है.
सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने आगाह किया है कि अफ़ग़ानिस्तान में सांस्कृतिक विरासत को किसी भी प्रकार की क्षति पहुँचने से स्थाई शान्ति व मानवीय राहत कार्य पर ग़लत असर होगा.
यूनेस्को के मुताबिक सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़े पेशेवरों व कलाकारों के लिये एक सुरक्षित माहौल का निर्माण किया जाना होगा, जिनकी राष्ट्रीय जुड़ाव व सामाजिक ताने बाने में अहम भूमिका है.
यूएन एजेंसी ने कहा है कि मानवता को ध्यान में रखते इन धरोहरों की रक्षा की जानी होगी.
अफ़ग़ानिस्तान विविध प्रकार की समृद्ध विरासतों का घर है, जो कि अफ़ग़ान इतिहास व पहचान का एक महत्वपूर्ण अंग है.
इन स्थलों में हेरात में पुराने शहर का इलाक़ा, बामियान घाटी और काबुल में राष्ट्रीय संग्रहालय शामिल है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य के लिये यह ज़रूरी है कि इन विरासतों की सुरक्षा व संरक्षा सुनिश्चित की जाए.