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संयुक्त राष्ट्र संगठन व इसके शान्तिरक्षा अभियानों में 'डिजिटल परिवर्तन रणनीति'

संयुक्त राष्ट्र का एक चीनी शान्तिरक्षक, लाइबेरिया में एक वीडियो ड्रोन उड़ाते हुए. (फ़ाइल फ़ोटो)
UN Photo/Albert González Farran
संयुक्त राष्ट्र का एक चीनी शान्तिरक्षक, लाइबेरिया में एक वीडियो ड्रोन उड़ाते हुए. (फ़ाइल फ़ोटो)

संयुक्त राष्ट्र संगठन व इसके शान्तिरक्षा अभियानों में 'डिजिटल परिवर्तन रणनीति'

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को कहा है कि इस विश्व संगठन को, और दुनिया भर में संचालित इसके 12 शान्तिरक्षा मिशनों को, लगातार बदलती चुनौतियों का सामना करने के लिये, नई टैक्नॉलॉजी को पूरी तरह अपनाना होगा. उन्होंने, यूएन शान्तिरक्षा में डिजिटल परिवर्तन के लिये अपनी रणनीति, सुरक्षा परिषद के सामने पेश करते हुए ये बात कही.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि नई टैक्नॉलॉजी के कारण, युद्धों और संघर्षों का चरित्र और प्रकृति बदल रहे हैं जिसका बहुत व्यापक असर आम आबादी पर हो रहा है.

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इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर, सुरक्षा परिषद की ये बैठक, भारत की पहल पर आयोजित की गई जोकि वर्ष 2021 -2022 के लिये, परिषद का अस्थाई सदस्य होने के साथ-साथ, अगस्त महीने के लिये परिषद का अध्यक्ष भी है.

इस बैठक में, भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी शिरकत की.

‘सम्भव की कला’

यूएन महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने, अपने वजूद के 75 वर्ष के दौरान, लगातार समय के साथ तालमेल बिठाया है और नवाचार अपनाया है, और ख़ुद शान्तिरक्षा का विचार भी, “सम्भव की कला” का नतीजा है. हालाँकि उन्होंने ये भी याद दिलाया कि शान्तिरक्षा का विचार, एक अलग दुनिया में वजूद में आया और लागू हुआ था.

एंतोनियो गुटरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा, “अब ये बहुत ज़रूरी है कि संयुक्त राष्ट्र एक ऐसी डिजिटल दुनिया के बदलते तक़ाज़ों के साथ तालमेल बिठाए, जिसमें अब हम जीवन जीते हैं. ऐसा करना, संयुक्त राष्ट्र की चुस्ती-फ़ुर्ती, प्रत्याशा और संघर्षों का सामना करने के लिये इसकी मुस्तैदी व कार्रवाई बेहतर बनाने के लिये ज़रूरी है.”

“साथ ही, ऐसा करके, मौजूदा दौर और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की सामर्थ्य भी विकसित होगी.”

उन्होंने कहा, “यह सम्भव बनाने के लिये, शान्तिरक्षा की संस्कृति में एक बदलाव और- एक व्यवस्थागत परिवर्तन – आवश्यक है.”

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “21वीं सदी में शान्तिरक्षा को एक मज़बूत, टैक्नॉलॉजी व नवाचार की समान प्रणाली पर आधारित रहना होगा, जिससे यूएन शान्तिरक्षा अभियानों के लिये जटिल परिस्थितियों में अपने मैण्डेट को लागू कर पाना सम्भव हो सकेगा.”  

उन्होंने कहा कि इसके ज़रिये हिंसक संघर्षों के दौरान बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढलने और दक्षताओं का लाभ उठाया जा सकेगा.   

भारतीय विदेश मंत्री ने सचेत किया कि शान्तिरक्षा मिशनों को विविध स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने के लिये तेज़ी से प्रयास करने होंगे ताकि माहौल के प्रति समझ विकसित करने, सुरक्षा बढ़ाने, अभियान से जुड़ी योजनाओं और निर्णय निर्धारण में बेहतर समर्थन सुनिश्चित किया जा सके. 

लक्ष्यों का ख़ाका

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी ने, डिजिटल परिवर्तन रणनीति के उद्देश्यों का ख़ाका पेश करते हुए कहा कि इसका मक़सद, मुख्यालय और मैदानों में, टैक्नॉलॉजी नवाचार को आगे बढ़ाना है.

उन्होंने कहा, “शान्तिरक्षा अभियान, राजनैतिक व मानवीय सहायता मिशन, आम आबादी और शान्तिरक्षकों के लिये उत्पन्न होने वाले किसी भी तरह के जोखिम को, पर्याप्त समय रहते और संयोजित रूप में भाँपने, उसका आकलन करने और उसका मुक़ाबला करने के योग्य होने चाहिये.”

उन्होंने बताया, “हमारे शान्ति अभियानों में, पहले ही डिजिटल बदलाव देखा जा रहा है.” 

इसमें लम्बी दूरी के कैमरा, मानव रहित हवाई वाहन, ज़मीनी निगरानी करने वाले राडार जैसे अत्याधुनिक डिजिटल उपकरण शामिल हैं.

यूएन कर्मचारियों की सुरक्षा

सुरक्षा परिषद ने यह बैठक शुरू होने पर, एक प्रस्ताव संख्या 2589 (2021) सर्वसम्मति से पारित किया जिसमें सदस्य देशों से, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों पर हमले करने या उनकी हत्याएँ करने के लिये ज़िम्मेदार तत्वों को, न्याय के कटघरे में लाने के लिये, राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार, तमाम उपाय किये जाने का आहवान किया गया है.

ये आहवान ख़ासतौर से उन सदस्य देशों से किया गया है जहाँ या तो अतीत में, यूएन शान्तिरक्षा अभियान चलाए गए हैं, या वर्तमान में चलाए जा रहे हैं.

इस प्रस्ताव के ज़रिये, 15 देशों के राजदूतों ने, महासचिव से एक ऐसा ऑनलाइन डेटाबेस स्थापित किये जाने का भी अनुरोध किया जिसमें, संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ़ और शान्तिरक्षकों पर होने वाले हमलों की जानकारी - मेज़बान देशों, शान्तिरक्षकों और पुलिसकर्मियों का योगदान करने वाले देशों, व सिविल कर्मचारियों की राष्ट्रीयता वाले देशों को उपलब्ध हो.