अफ़ग़ानिस्तान: लाखों लोगों की चिकित्सा जीवनरेखा में व्यवधान से बचने की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सचेत किया है कि लाखों अफ़ग़ान नागरिकों के लिये जीवनरक्षक मदद और चिकित्सा आपूर्ति में कटौती से बचा जाना होगा. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार लोगों को चोट पहुँचने के मामलों में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है.
बताया गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में यूएन एजेंसी द्वारा समर्थित 70 चिकित्सा केन्द्रों में पिछले महीने हिंसक संघर्ष के कारण ज़ख़्मी हुए 14 हज़ारों व्यक्तियों का उपचार किया गया.
"Our staff remain in the country [#Afghanistan] and committed to delivering health services to the most vulnerable. Yesterday, WHO dispatched trauma kits and other medical supplies to help health workers responding to the increases in injuries they’re seeing"-@DrTedros
WHO
एक वर्ष पहले यह संख़्या क़रीब चार हज़ार थी.
पूर्वी भूमध्यसागर के लिये स्वास्थ्य संगठन में क्षेत्रीय निदेशक, डॉक्टर अहमद अल - मन्दहारी ने बताया, “अति-आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति सहित, मानवीय सहायता की स्थाई सुलभता, लाखों अफ़ग़ान लोगों के लिये एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा है, और इसमें व्यवधान उत्पन्न होने से रोका जाना होगा.”
अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान के नियंत्रण और अल्पसंख्यकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा के प्रति चिन्ताओं के बीच, मानवाधिकार परिषद ने मानवाधिकार हनन के गम्भीर मामलों के मुद्दे पर एक विशेष सत्र बुलाए जाने की घोषणा की है.
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान द्वारा साझा रूप से एक आधिकारिक अनुरोध के बाद, मानवाधिकार परिषद में यह चर्चा मंगलवार को होनी तय हुई है.
इस प्रस्ताव को अब तक 89 देशों का समर्थन हासिल है.
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब यूएन की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, देश में बढ़ती हिंसा को ना थाम पाने के नतीजों के प्रति, अनेक बार, आगाह कर चुकी हैं.
उन्होंने चेतावनी जारी की है कि अफ़ग़ानिस्तान की जनता के लिये इसके विनाशकारी नतीजे होंगे.
डॉक्टर अहमद अल - मन्दहारी ने अपने बयान में क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि महीनों से हो रही हिंसा से, अफ़ग़ानिस्तान की नाज़ुक स्वास्थ्य प्रणाली पर गहरा असर हुआ है.
वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य केन्द्रों को अति-आवश्यक सामग्री की क़िल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
यूएन एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि तालेबान के नियंत्रण के बाद उपजी अनिश्चितता के बावजूद, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अफ़ग़ानिस्तान में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध है.
यूएन एजेंसी ने मंगलवार को, घावों और आग से ज़ख़्मी हुए लोगों के इलाज के लिये काबुल के वज़ीर अकबर ख़ान अस्पताल के लिये चिकित्सा सामग्री रवाना की है.
इसके ज़रिये अगले तीन महीनों में लगभग 10 हज़ार लोगों को सहायता मुहैया कराई जाएगी.
विस्थापित आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं का आरम्भिक आकलन अभी चल रहा है, मौजूदा सुरक्षा परिस्थितियों के कारण अन्य सहायता कार्यक्रम, पिछले 36 घण्टे से रोक दिये गए हैं.
इस बीच, सुरक्षा व शरण की तलाश में काबुल और अन्य बड़े शहरों का रुख़ करने वाले लोगों को हैज़ा, कुपोषण और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, और ये मामले निरन्तर बढ़ रहे हैं.
“स्वास्थ्य देखभाल में देरी और व्यवधान से बीमारियों के फैलाव का जोखिम बढ़ जाएगा और इस वजह से कुछ सबसे अधिक निर्बल समूहों के लिये जीवनरक्षक स्वास्थ्य देखभाल रुक जाएगी.”
स्वास्थ्यकर्मियों और केन्द्रों पर हमले, एक बड़ी चुनौती हैं. जनवरी से जुलाई 2021 तक, 26 स्वास्थ्य केन्द्र व 31 स्वास्थ्यकर्मी ऐसी घटनाओं का शिकार हुए हैं. अब तक, 12 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है.
अफ़ग़ानिस्तान के लिये संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष राहत समन्वयक रमीज़ अलकबरोफ़ ने, इससे पहले, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन की पुकार लगाई थी.
उन्होंने कहा था कि एक बेहद जटिल माहौल में, मानवीय राहत एजेंसियाँ, अफ़ग़ानिस्तान में निर्बल समूहों को सहारा देने के लिये प्रतिबद्ध हैं.