लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में चरम मौसम से करोड़ों लोग प्रभावित
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) व अन्य यूएन एजेंसियों की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 1998 और 2020 के दौरान, जलवायु-सम्बन्धी और भू-भौतिकीय घटनाओं से लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में, तीन लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है और 27 करोड़ से ज़्यादा लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं.
The State of the Climate in Latin America and the Caribbean 2020 provides a snapshot of the effects of #ClimateChange & #ExtremeWeather across the region, providing a regional breakdown of worsening global climate change indicators. Full report here: https://t.co/JsNNiu1MQW pic.twitter.com/lVUselsYHw
WMO
मंगलवार को जारी ‘State of the Climate in Latin America and the Caribbean 2020’ नामक अध्ययन दर्शाता है कि चरम मौसम व जलवायु परिवर्तन से पूरे क्षेत्र के लिये ख़तरा पैदा हो रहा है – एण्डीज़ चोटियों से लेकर निचले द्वीपों और शक्तिशाली नदियों के बेसिन तक.
बढ़ते तापमान, वर्षा रुझानों में बदलावों, तूफ़ानों और घटते हिमनदों का मानव स्वास्थ्य, भोजन, जल, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण पर गहरा असर हुआ है.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा, “लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र चरम जल-मौसमविज्ञान सम्बन्धी घटनाओं से सबसे अधिक चुनौतियों का सामना करने वाले क्षेत्रों में है.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि जल और ऊर्जा-सम्बन्धी क़िल्लतों, कृषि में नुक़सानों, विस्थापन और स्वास्थ्य व सुरक्षा में कमज़ोरियों की वजह से, कोविड-19 महामारी से चुनौतियाँ और ज़्यादा गहराई हैं.
अध्ययन में जंगलों में आग लगने और वनों को पहुँचने वाले नुक़सान के विषय में भी चिन्ताएँ ज़ाहिर की गई हैं.
लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में, आधे से अधिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है, जो कि विश्व के शेष प्राथमिक वनों का लगभग 57 प्रतिशत हिस्सा है और लगभग 104 गीगाटन कार्बन को सोखता है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने आगाह किया कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं और वनों की कटाई के कारण, कार्बन को सोखने वाले तंत्रों के लिये जोखिम उत्पन्न हो रहे हैं, जिसके दूरगामी और लम्बे समय तक दिखाई देने वाले परिणाम होंगे.
बढ़ता तापमान
वर्ष 2020, मध्य अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र के लिये सबसे तीन गर्म सालों में रहा है, जबकि दक्षिण अमेरिका के लिये यह दूसरा सबसे गर्म वर्ष था.
कुछ स्थलों पर अधिकतम तापमान सामान्य से 10 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया, जो कि रिकॉर्ड अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सूखे की घटनाएँ हुईं, जिनका भीषण असर देखा गया.
नदियों के जल स्तर में कमी आई है, जिससे नदियों पर बने जलमार्गों पर असर हुआ है, फ़सल उत्पादन में कमी आई है और अनेक क्षेत्रों में खाद्य असुरक्षा के हालात बदतर हुए हैं.
अध्ययन के मुताबिक़, वनों को नुक़सान पहुँचने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है, जोकि जलवायु परिवर्तन की वजह है.
वर्ष 2000 से 2016 के बीच, पाँच करोड़ 50 लाख हैक्टेयर वन भूमि का नुक़सान हुआ है, जो कि विश्व भर में वन हानि का 91 फ़ीसदी है.
वर्ष 2020 में जंगलों में आग लगने की घटनाओं की दर में तेज़ी आने से, पारिस्थितिकी तंत्रों व सेवाओं को भीषण नुक़सान हुआ है. इस स्थिति के, उन तंत्रों पर अपनी आजीविका के लिये निर्भर रहने वाले लोगों के लिये, गम्भीर नतीजे होंगे.
वर्ष 2020 में कैरीबियाई क्षेत्र में समुद्री सतह के तापमान में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई. रिपोर्ट दर्शाती है कि समुद्री जीवन, तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों और उन पर निर्भर मानव समुदायों पर असर हुआ है.
महासागरों के अम्लीकरण, तापमान बढ़ने और समुद्री जलस्तर बढ़ने से जोखिम बढ़ रहा है.
लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में 27 फ़ीसदी से अधिक आबादी, तटीय इलाक़ों में रहती है. इनमें से छह से आठ प्रतिशत आबादी, उन क्षेत्रों में रह रही है जिन पर तटीय जोखिमों से प्रभावित होने का ख़तरा सबसे अधिक है.
पिछले कुछ दशकों से ग्लेशियर में कमी आई है, और वर्ष 2010 से बर्फ के द्रव्यमान में कमी की रफ़्तार तेज़ हुई है.
समय पूर्व चेतावनी प्रणाली
बताया गया है कि समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों व मौसम, जलवायु व जलविज्ञान सम्बन्धी सेवाओं को मज़बूती प्रदान करने के लिये राजनैतिक संकल्प और वित्तीय समर्थन की आवश्यकता होगी.
समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों के ज़रिये आपदाओं के जोखिम और त्रासदियों के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है.
मगर, यूएन एजेंसी का अध्ययन दर्शाता है कि लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र में ये प्रणालियाँ अल्प-विकसित हैं, विशेष रूप से मध्य व दक्षिण अमेरिका में.
जलवायु परिवर्तन अनुकूलन व कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिये मैनग्रोव को एक असाधारण संसाधन बताया गया है, जिसमें अधिकांश वनों से तीन से चार गुना अधिक कार्बन सोखने की क्षमता है.
वर्ष 2001-2018 के दौरान मैनग्रोव क्षेत्र में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है.
इसके मद्देनज़र, ‘ब्लू कार्बन’ पारिस्थितिकी तंत्रों, जैसे कि मैनग्रोव और समुद्री घास तल को, वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी के असर को कम करने और अनुकूलन में अवसरों का लाभ उठाया ज सकता है.
यह रिपोर्ट यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO), और लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र के लिये यूएन आर्थिक आयोग (ECLAC) और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये यूएन कार्यालय (UNDRR) ने मिलकर तैयार की है.
कुछ ही दिन पहले जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया है कि इस क्षेत्र में तापमान में वृद्धि, वैश्विक औसत से कहीं अधिक हुई है और आगे भी यह जारी रहने की सम्भावना है.
ताज़ा रिपोर्ट में विज्ञान-आधारित जानकारी मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है ताकि बदलती जलवायु के अनुरूप ढालने व सहनक्षमता विकसित करने में देशों व समुदायों के लिये समर्थन सुनिश्चित किया जा सके.