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अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान से, निर्बलों की रक्षा किये जाने के 'वादे का सम्मान' करने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापित परिवारों को ज़रूरी सहायता मुहैया करा रहा है.
IOM/Mohammed Muse
संयुक्त राष्ट्र अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापित परिवारों को ज़रूरी सहायता मुहैया करा रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान से, निर्बलों की रक्षा किये जाने के 'वादे का सम्मान' करने का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने कहा है कि तालेबान ने अफ़ग़ानिस्तान में पूर्व सरकारी कर्मचारियों को आम माफ़ी दिये जाने, महिलाओं को काम करने की इजाज़त देने और लड़कियों को शिक्षा हासिल करने के लिये स्कूल जाने देने की बात कही है, मगर इन वादों का सम्मान किया जाना होगा. 

ग़ौरतलब है कि तालेबान गुट ने कुछ ही दिनों के भीतर, काबुल सहित अफ़ग़ानिस्तान में सभी बड़ी आबादी वाले शहरों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविल ने मंगलवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि काबुल हवाई अड्डे पर हताशा भरा माहौल, स्थिति की गम्भीरता को रेखांकित करता है.

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उन्होंने कहा कि राजधानी काबुल और जलालाबाद व मज़ार-ए-शरीफ़ जैसे अन्य बड़े शहरों पर नियंत्रण स्थापित करने के दौरान, लड़ाई ज़्यादा लम्बी नहीं चली, रक्तपात या विध्वंस नहीं हुआ.  

मगर, स्थानीय आबादी के एक बड़े हिस्से पर इसका भीषण असर हुआ है और अतीत को ध्यान में रखते हुए इसे समझा जा सकता है. 

यूएन एजेंसी के मुताबिक़, तालेबान के प्रवक्ता ने पिछले कुछ दिनों में अनेक बयान जारी किये हैं. इनमें पूर्व सरकार के कर्मचारियों को आम माफ़ी दिये जाने का वादा भी है, साथ ही उन्होंने समावेशी होने की बात कही है. 

“उन्होंने कहा है कि महिलाएँ काम कर सकती हैं, और लड़कियाँ स्कूल जा सकती हैं.” 

इन वादों का सम्मान किया जाना होगा और फ़िलहाल, इतिहास को देखते हुए, इन घोषणाओं को सन्देह की नज़र से देखे जाने की बात भी समझ में आती है.”

‘वादों का आदर करना होगा’

यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता ने कहा कि मगर ये वादे किये गए हैं, और इन्हें निभाया जाता है या फिर तोड़ा जा सकता है, उस पर नज़दीकी निगरानी रखी जाएगी.

रूपर्ट कोलविल ने महासचिव गुटेरेश द्वारा सुरक्षा परिषद को दी गई जानकारी का उल्लेख करते हुए दोहराया कि आम नागरिकों की रक्षा करना और मानवाधिकारों को बरक़रार रखना, तालेबान सहित सभी पक्षों का दायित्व है.

“उन्हें अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून व अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून का आदर व रक्षा करनी होगी.”

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने एक सप्ताह पहले ही, मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की थी. 

महाससचिव गुटेरेश ने भी सोमवार को हनन मामलों और व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर पाबन्दी लगाए जाने पर क्षोभ ज़ाहिर किया है. 

रूपर्ट कोलविल ने बताया कि ऐसी ख़बरें लगातार प्राप्त हो रही हैं, “दुर्भाग्यवश, सूचना के प्रवाह में, फ़िलहाल काफ़ी हद तक व्यवधान आया है, और हम हाल ही में हुए हनन के मामलों की पुष्टि करने की स्थिति में नहीं हैं.”

मानवाधिकारों में प्रगति पर संकट

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में पिछले दो दशकों में मानवाधिकारों के क्षेत्र में मेहनत से प्रगति दर्ज की गई है. 

“सभी अफ़ग़ान लोगों के अधिकारों की रक्षा की जानी होगी. हम उन हज़ारों अफ़ग़ान लोगों की सुरक्षा के प्रति विशेष रूप से चिन्तित हैं जो देश भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिये प्रयासरत रहे हैं, और जिन्होंने लाखों लोगों की ज़िन्दगियाँ बेहतर बनाने में मदद की है.”

मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, जोखिमपूर्ण हालात का सामना कर रहे हर व्यक्ति को हर सम्भव समर्थन प्रदान किये जाने की पुकार लगाई है. 

साथ ही उन्होंने तालेबान को सचेत किया है कि उन्हें अपने वादों को केवल शब्दों से नहीं बल्कि कार्रवाई से भी दर्शाना होगा. 

विस्थापितों को मदद का आहवान

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने अफ़ग़ानिस्तान में घटनाक्रम पर चिन्ता ज़ाहिर करते हुए आगाह किया है कि विस्थापितों और ज़रूरतमन्दों पर इसका भीषण असर होगा.

यूएन एजेंसी के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरिनो ने मंगलवार को भरोसा जताया कि नई चुनौतियों के बावजूद उनका संगठन विस्थापित समुदायों को सहायता प्रदान करने का कार्य जारी रखेगा. 

हिंसा के कारण इस वर्ष के शुरू से अब तक चार लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं.

50 लाख से अधिक लोग पहले से ही घरेलू विस्थापन का शिकार हैं और वे मानवीय राहत पर निर्भर हैं. 

अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध व अशान्ति के कारण अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर बहुत से परिवारों को, कन्दाहार में, विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविरों में रहना पड़ रहा है.
© UNICEF Afghanistan
अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध व अशान्ति के कारण अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर बहुत से परिवारों को, कन्दाहार में, विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविरों में रहना पड़ रहा है.

यूएन एजेंसी ने दोहराया है कि आम नागरिकों को सुरक्षा व संरक्षण मुहैया कराना, उनके लिये पहली प्राथमिकता है.

इस क्रम में उन्होंने सभी पक्षों से मानवीय राहत कार्य के लिये बिना किसी अवरोध के रास्ते खुले रखे जाने का आग्रह किया है.  

बताया गया है कि राजधानी काबुल में अस्थिरता और ताज़ा घटनाक्रम के कारण, देश में आवाजाही पर असर पड़ा है, जिससे यूएन प्रवासन एजेंसी का कामकाज भी प्रभावित हुआ है. 

देश में मौजूदा सुरक्षा हालात के मद्देनज़र, संगठन ने स्वैच्छिक रूप से देश वापसी में सहायता और एकीकरण, और वापस लौटने वाले लोगों का एकीकरण किये जाने में सहायता कार्यक्रम फिलहाल रोक दिये हैं.    

यूएन एजेंसी ने अनेक देशों द्वारा अफ़ग़ान नागरिकों को जबरन स्वदेश वापिस भेजे जाने पर रोक लगाने के निर्णय की सराहना की है और स्वैच्छिक रोक के इस दायरे को और विस्तृत किये जाने की अपील की है.