अफ़ग़ानिस्तान: सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक में अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता की पुकार

अफ़ग़ानिस्तान में, बहुत से लोग तालेबान से बचने की कोशिशों के तहत इधर-उधर भागने और कुछ लोग विमानों पर सवार होने की कोशिशें करते देखे गए हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को सुरक्षा परिषद के एक विशेष सत्र को सम्बोधित करते हुए, अफ़ग़ानिस्तान मुद्दे पर, अन्तरराष्ट्रीय एकता का आहवान किया है.
एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद से एकजुटता दिखाने और ये सुनिश्चित किये जाने की भी अपील की है कि मानव अधिकारों का सम्मान हो, मानवीय सहायता जारी रहे, और अफ़ग़ानिस्तान, एक बार फिर आतंकवाद के लिये कोई मंच ना बन जाए.
We cannot & must not abandon the people of Afghanistan.It's time for the international community to stand, work & act together:We must speak with one voice to uphold human rights.We must unite to make sure Afghanistan is never again used as a safe haven for terrorists. pic.twitter.com/IspFhPi9zM
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने अपने सम्बोधन में कहा, “आने वाले दिन बहुत अहम होंगे. दुनिया की नज़रें वहाँ टिकी हुई हैं. हम अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को बेसहारा नहीं छोड़ सकते, और छोड़ना भी नहीं होगा.”
यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, अफ़ग़ानिस्तान के हालात पर नज़र रखे हुए है, और इस बारे में आशंकाएँ व एक गहरी ख़ामोशी बनी हुई है कि आगे क्या होने वाला है.
तालेबान ने हाल के महीनों में देश के अनेक इलाक़ों पर क़ब्ज़ा करने के बाद, रविवार, 15 अगस्त को राजधानी काबुल में भी अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया. काबुल की आबादी लगभग 60 लाख है.
मीडिया ख़बरों के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी देश छोड़कर चले गए हैं, और हताश व निराश लोग, सुरक्षित स्थानों को जाने की ख़ातिर विमानों में बैठने के लिये, हवाई अड्डे की तरफ़ उमड़ते देखे गए हैं.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “संकट की इस घड़ी में, मैं तमाम पक्षों से, ख़ासतौर पर तालेबान से, लोगों की ज़िन्दगियों की हिफ़ाज़त करने और मानवीय ज़रूरतों की पूर्ति के लिये सेवाएँ जारी रखने के लिये, ज़्यादा से ज़्यादा संयम बरतने की आग्रह करता हूँ.”
संयुक्त राष्ट्र में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत ग़ुलाम एम इसाकज़ई ने, सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, काबुल में व्याप्त भय का ब्यौरा पेश किया जिसमें अन्य प्रान्तों से विस्थापित हुए लोग, सुरक्षा के लिये आख़िरी ठिकाने की तलाश में, राजधानी के लिये भागते नज़र आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, “काबुल निवासियों ने ख़बर दी है कि तालेबान ने, राजधानी के कुछ इलाक़ों में पहले ही घर-घर की तलाशी लेनी शुरू कर दी है, वो निवासियों के नाम दर्ज कर रहे हैं और उनकी सूची में शामिल लोगों की तलाश कर रहे हैं.”
“काबुल में लोगों को चुन-चुनकर मारने और लूटपाट होने की, पहले से ही ख़बरें मिलने लगी हैं.”
यूएन महासचिव ने आम नागरिकों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने और मानवीय सहायता जारी रखने की ज़रूरत को रेखांकित किया.
उन्होंने देशों से आग्रह किया कि वो अफ़ग़ान शरणार्थियों को अपने यहाँ आने की इजाज़त देने में दरियादिली दिखाएँ, और अफ़ग़ान लोगों को अपने यहाँ से जबरन, अफ़ग़ानिस्तान वापिस ना भेजें.
उन्होंने कहा, “अब एकजुटता दिखाने का समय है.”
यूएन प्रमुख ने कहा कि ये सुनिश्चित करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय एकता की ज़रूरत होगी कि अफ़ग़ानिस्तान, फिर से आतंकवादी संगठनों के लिये मंच या एक सुरक्षित ठिकाने के रूप में काम ना करे.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “मैं सुरक्षा परिषद और व्यापक रूप में, पूरे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करता हूँ कि मज़बूती के साथ एकजुट हों - एक साथ काम करने और एक साथ कार्रवाई करने के लिये, अफ़ग़ानिस्तान में एक वैश्विक आतंकवादी जोखिम उत्पन्न होने से रोकने के लिये, सभी विकल्पों व उपकरणों का प्रयोग करें. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिये कि बुनियादी मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए.”
“सत्ता में चाहे जो भी पक्ष हों, ये दो बुनियादी सिद्धान्त अवश्य क़ायम रहने चाहिये, जिनमें, हमारे विश्व की बहुत गहरी और बाध्यकारी रुचि व हित समाए हुए हैं.”
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की लगभग आधी आबादी, यानि क़रीब एक करोड़ 80 लाख लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं, इसलिये ये बहुत ज़रूरी है कि बुनियादी सेवाएँ सुचारू रूप से काम करती रहें.
एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के राजदूतों से कहा, “तालेबान ने रविवार को जारी एक वक्तव्य में कहा था कि वो मौजूदा संस्थाओं के साथ ही काम करेंगे. ये बहुत ज़रूरी है कि सिविल सेवकों की वेतन अदायगी जारी रहे, बुनियादी ढाँचा बरक़रार रखा जाए, हवाई अड्डे खुले रहें और काम करते रहें, साथ ही, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएँ भी जारी रहें.”
यूएन महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, अफ़ग़ानिस्तान में उभरने वाली स्थिति के साथ तालमेल बिठाएगा, “हम अफ़ग़ान लोगों की संकट की इस घड़ी में, उन्हें समर्थन व सहायता मुहैया कराना जारी रखेंगे.”
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के 24 स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने अफ़ग़ानिस्तान में, आम लोगों का क़त्लेआम रोकने के लिये, त्वरित वैश्विक कार्रवाई किये जाने का आहवान किया है.
उन्होंने साथ ही चेतावनी भरे शब्दों में ये भी कहा है कि देश में, स्वाथ्य, शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक ढाँचे के क्षेत्र में, पिछले दो दशकों के दौरान हासिल की गई प्रगति पर भी जोखिम मण्डराने लगा है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों के इस समूह ने एक वक्तव्य जारी करके कहा है, “हम ये बहुत पक्के तौर पर दोहराना चाहते हैं कि जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा सूचीबद्ध एक आतंकवादी संगठन, अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर क़ब्जा करता है और ऐसे कृत्य करता है या गतिविधियों में शामिल होता है, जो युद्धापराध या मानवता के ख़िलाफ़ अपराध माने जा सकते हैं, तो देशों की चुप्पी या उनका ख़ामोशी के साथ एक तरफ़ खड़े रहना, क़तई स्वीकार्य नहीं है.”
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने आम नागरिकों पर हमले, स्वतंत्र पत्रकारों व मीडियाकर्मियों को निशाना बनाए जाने, और महिलाओं b लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा पर क्षोभ और क्रोध व्यक्त किया है.
उन्होंने कहा कि 16 अफ़ग़ान प्रान्तों से मिली ख़बरों में मालूम होता है कि महिलाओं के मानवाधिकारों का हनन, उसी तरह हो रहा है जिस तरह, 20 वर्ष पहले तालेबान के शासन के दौरान हुआ था. महिलाओं को बुर्क़ा पहनने व उनकी जबरन शादिया करने के लिये मजबूर करने के साथ-साथ, उनके आज़ादी से घूमने-फिरने पर पाबन्दियाँ लगाई जा रही हैं.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सुरक्षा परिषद से, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने और उनकी मानवीय ज़रूरतें पूरी करने के लिये, यूएन चार्टर के अध्याय-7 के तहत उपयुक्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में, सदस्य देशों की भूमिका को सामने लाने के लिये भी, ऐसा किया जाना ज़रूरी है.
यूएन चार्टर का अध्याय-7, शान्ति के लिये जोखिम, शान्ति भंग होना, या आक्रामक गतिविधियों से निपटने के लिये की जाने वाली कार्रवाई से सम्बन्धित है. इस अध्याय में, असैन्य और सैन्य कार्रवाई किये जाने का भी प्रावधान है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ये भी सिफ़ारिश की है कि आतंकवादी संगठनों के ख़िलाफ़ अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबन्ध लगाए जाएँ. साथ ही, ज़रूरतें बढ़ने पर, आम लोगों की मानवीय सहायता के लिये पहुँच भी सुनिश्चित की जाए.
इस वक्तव्य पर 24 स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने हस्ताक्षर किये हैं.
इन स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति मानवाधिकार परिषद द्वारा, किसी देश में किसी ख़ास स्थिति या किसी विशेष, मुद्दे की निगरानी करने के लिये की जाती है. ये मानवाधिकार विशेषज्ञ अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं और वो, संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ़ नहीं होते हैं, और ना ही उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से उन्हें कोई वेतन मिलता है.