जासूसी सॉफ़्टवेयर प्रकरण: निगरानी टैक्नॉलॉजी की बिक्री पर स्वैच्छिक रोक की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने सभी देशों से निगरानी टैक्नॉल़ॉजी की बिक्री व हस्तांतरण पर स्वैच्छिक रोक लगाये जाने का आहवान किया है. उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप सुदृढ़ नियामन लागू होने तक इन टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल को रोका जाना होगा.
यूएन के विशेष रैपोर्टेयरों ने गुरूवार को जारी एक वक्तव्य में कहा, “हमें बेहद परिष्कृत, घुसपैठ करने वाले औज़ारों का इस्तेमाल निगरानी करने, डराने-धमकाने, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व राजनैतिक विरोधियों को चुप कराने में किये जाने पर गहरी चिन्ता है.”
#Spyware scandal: UN experts call on States to impose global moratorium on sale and transfer of #surveillance technology until they have put in place robust regulations that guarantee its use in compliance with international #HumanRights standards.👉https://t.co/T95sHfLzZY pic.twitter.com/xZc4opDy08
UN_SPExperts
18 जुलाई 2021 को, फॉरबिडन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इण्टरनेशनल ने कथित रूप से सैकड़ों पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व राजनैतिक नेताओं के मोबाइल उपकरणों की व्यापक स्तर पर निगरानी किये जाने को उजागर किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक निगरानी के लिये एनएसओ समूह के पैगेसस नामक जासूसी सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल किया गया.
ख़बरों के अनुसार पैगेसस स्पाइवेयर सॉफ़्टवेयर के ज़रिये लोगों के उपकरणों तक पहुँचा गया, और उनके जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी हासिल की गई.
हालांकि, एनएसओ ग्रुप ने इन ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों को तत्काल ख़ारिज किया है.
यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह की गतिविधियों से अभिव्यक्ति की आज़ादी, निजता व स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होता है.
“निगरानी टैक्नॉलॉजी और व्यापार सैक्टर को मानवाधिकारों से मुक्त-क्षेत्र के रूप में संचालित किये जाने की अनुमति दिया जाना बेहद ख़तरनाक और ग़ैरज़िम्मेदाराना है.”
उन्होंने कहा कि इससे सैकड़ों व्यक्तियों के लिये जोखिम पैदा होता है, मीडिया आज़ादी ख़तरे में आती है और लोकतंत्र, शान्ति, सुरक्षा व अन्तरराष्ट्रीय सहयोग कमज़ोर होता है.
विचारों व अभिव्यक्ति की आज़ादी के मुद्दे पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ने दो वर्ष पहले एक रिपोर्ट में निगरानी के लिये इस्तेमाल की जाने वाली टैक्नॉलॉजी से मानवाधिकारों पर होने वाले ख़तरनाक प्रभावों के प्रति आगाह किया था.
इस रिपोर्ट में ऐसी प्रौद्योगिकियों की बिक्री व हस्तांतरण पर तब तक स्वैच्छिक रोक लगाने की सिफ़ारिश की गई थी, जब तक मानवाधिकार संरक्षण को ध्यान में रख कर अन्तरराष्ट्रीय नियामकों पर सहमति ना बन जाए.
यूएन विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने इस पुकार को अनसुना कर दिया है.
यूएन विशेषज्ञों ने कहा है कि एनएसओ समूह को यह सार्वजनिक करना होगा कि ‘व्यवसाय एवँ मानवाधिकार पर यूएन मार्गदर्शक सिद्धान्तों’ के अनुरूप किस तरह के क़दम उठाये गए और आन्तरिक जाँच-पड़ताल के निष्कर्षों को भी साझा किया जाना होगा.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के तहत, सभी देशों से सुदृढ़ क़ानूनी फ़्रेमवर्क को अपनाया जाना होगा.
इसका उद्देश्य व्यक्तियों की ग़ैरक़ानूनी निगरानी, निजता के हनन और अभिव्यक्ति की आज़ादी, एकत्र होने सहित अन्य मानवाधिकारों की रक्षा करना है.
बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ इस सिलसिले में इसराइल सरकार और एनएसओ समूह के साथ सीधे सम्पर्क में हैं.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतन्त्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.